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Blog / 03 Nov 2025

स्कूलों में एआई पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना

संदर्भ:

हाल ही में स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (DoSE&L) ने घोषणा की है कि शैक्षणिक सत्र 2026–27 से कक्षा 3 से ही स्कूलों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और संगणनात्मक चिंतन  (Computational Thinking – CT) को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 के अनुरूप है।

पहल के उद्देश्य:

1.        एआई की बुनियादी समझ विकसित करना: इस पहल का उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को पढ़ना, लिखना और गणना की तरह एक बुनियादी कौशल के रूप में सिखाना है। इसे हमारे आस-पास की दुनिया” (The World Around Us) विषय से जोड़कर छात्रों को यह समझाया जाएगा कि एआई तकनीक उनके दैनिक जीवन, परिवेश और समाज में किस प्रकार उपयोगी है।

2.      नैतिक और जिम्मेदार एआई का उपयोग: पाठ्यक्रम में जनहित के लिए एआईकी अवधारणा को प्रमुखता दी जाएगी, ताकि छात्र यह सीख सकें कि एआई का प्रयोग केवल तकनीकी उद्देश्यों के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक भलाई और मानवीय मूल्यों के अनुरूप जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए।

3.      संगणनात्मक चिंतन (Computational Thinking) का विकास: एआई शिक्षा के माध्यम से छात्रों में तार्किक सोच, समस्या-समाधान की क्षमता, रचनात्मकता और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित किया जाएगा। यह उन्हें 21वीं सदी के लिए आवश्यक डिजिटल और विश्लेषणात्मक कौशलों से सशक्त बनाएगा।

मुख्य विशेषताएँ:

·        पाठ्यक्रम में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की अवधारणाओं और संगणनात्मक चिंतन (CT) दोनों को कक्षा 3 से ही शामिल किया जाएगा, ताकि यह केवल उच्च कक्षाओं तक सीमित न रहे और बच्चों में प्रारंभिक उम्र से ही तकनीकी समझ विकसित हो।

·        शिक्षकों को एआई उपकरणों और संसाधनों का प्रभावी उपयोग सिखाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट पहले से चल रहे हैं। भविष्य में बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे, ताकि शिक्षक एआई आधारित शिक्षण विधियों में पूरी तरह दक्ष बन सकें।

·        आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर कार्तिक रमन की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई है, जो एआई और सीटी से संबंधित सामग्री तैयार करेगी। अध्ययन सामग्री, हैंडबुक और डिजिटल/प्रिंट संसाधन दिसंबर 2025 तक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।

·        वर्तमान में सीबीएसई के 18,000 से अधिक स्कूलों में कक्षा 6 से एआई एक कौशल विषय के रूप में पढ़ाया जा रहा है। अब इस पहल के तहत इसका विस्तार कक्षा 3 तक किया जाएगा, जिससे अधिक से अधिक विद्यार्थियों को एआई शिक्षा का लाभ मिल सके।

पहल का महत्व:

1.        भविष्य के लिए तैयार करना: बच्चों को प्रारंभिक स्तर पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से परिचित कराने से उनमें डिजिटल कौशल, विश्लेषणात्मक सोच और तकनीकी समझ विकसित होगी। इससे वे भविष्य की उभरती हुई तकनीकों और रोजगार अवसरों के लिए बेहतर रूप से तैयार रहेंगे।

2.      डिजिटल अंतर को कम करना: यह समावेशी पाठ्यक्रम ग्रामीण और शहरी छात्रों के बीच डिजिटल साक्षरता में मौजूद अंतर को कम करेगा। सभी बच्चों को समान तकनीकी अवसर देकर यह शिक्षा प्रणाली को अधिक न्यायसंगत और संतुलित बनाएगा।

3.      नवाचार और रचनात्मकता को प्रोत्साहन: एआई और संगणनात्मक चिंतन (CT) को एक साथ सिखाने से छात्रों में समस्या-समाधान की क्षमता, रचनात्मक सोच और नवाचार की भावना विकसित होगी। साथ ही वे एआई के नैतिक और जिम्मेदार उपयोग के महत्व को भी समझ पाएंगे।

4.     नीतिगत संरेखण और डिजिटल सशक्तिकरण: यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की उस दृष्टि को साकार करती है, जिसमें स्कूल शिक्षा में एआई को एकीकृत करने की बात कही गई है। इसके माध्यम से डिजिटल सशक्तिकरण की दिशा में एक ठोस, संगठित और दीर्घकालिक व्यवस्था स्थापित होगी।

निष्कर्ष:

कक्षा 3 से एआई और संगणनात्मक चिंतन को शामिल करना भारत की शिक्षा व्यवस्था में एक दूरदर्शी कदम है। यह पहल एनईपी 2020 के उद्देश्यों के अनुरूप है और बच्चों को ज्ञान-आधारित भविष्य के लिए तैयार करेगी। इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि शिक्षक कितने तैयार हैं, ग्रामीण-शहरी अंतर कैसे समाप्त हो और कार्यान्वयन कितना प्रभावी होता है। यदि इसे सही ढंग से लागू किया गया, तो भारत की नई पीढ़ी एआई युग की चुनौतियों और अवसरों के लिए पूरी तरह सक्षम होगी।