होम > Blog

Blog / 18 Jun 2025

भारत ने परमाणु हथियारों की संख्या में पाकिस्तान को पीछे छोड़ा

संदर्भ:

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की वर्ष 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने परमाणु हथियारों की कुल संख्या के मामले में पाकिस्तान को पीछे छोड़ दिया है। हालांकि, इस क्षेत्र में चीन अब भी दोनों देशों से काफी आगे है।

रिपोर्ट की मुख्य बातें:

·         SIPRI के अनुमान के अनुसार जनवरी 2025 तक:

    • भारत: 180 संग्रहित परमाणु हथियार
    • पाकिस्तान: 170 संग्रहित परमाणु हथियार
    • चीन: 600 परमाणु हथियार (इनमें से 24 तैनात हैं)
  • यह पहली बार है जब भारत परमाणु हथियारों की होड़ में पाकिस्तान से आगे निकला है। हालांकि चीन की ताकत भारत से तीन गुना से भी अधिक है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2024 में अपने परमाणु हथियारों की संख्या में कुछ वृद्धि की है, विशेष रूप से कैनिस्टरयुक्त मिसाइलों के क्षेत्र में परमाणु हथियार ले जाने वाले नए प्रणालियों के विकास में उल्लेखनीय प्रगति की है।
    • ये मिसाइलें तेज़ी से तैनात की जा सकती हैं और इनमें पहले से परमाणु हथियार जुड़े होते हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि भारत की पारंपरिक नीति (जिसमें परमाणु हथियार अलग से संग्रहित किए जाते थे) में संभावित बदलाव आ रहा है।
  • SIPRI का मानना है कि यह परिवर्तन भारत की परमाणु नीति में एक महत्वपूर्ण सिद्धांतगत (doctrinal) बदलाव हो सकता है, जो अब केवल पाकिस्तान तक सीमित न रहकर चीन को भी प्रभावी ढंग से रोकने पर केंद्रित होती जा रही है।
  • भारत की परमाणु क्षमता अब एक सुदृढ़ न्यूक्लियर ट्रायड के अंतर्गत संचालित हो रही है, जिसमें शामिल हैं:

o    ज़मीन से मार करने वाली मिसाइलें

o    परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम लड़ाकू विमान

o    परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बियाँ, जो समुद्र से प्रतिरोधक शक्ति प्रदान करती हैं।

India surpasses Pakistan in nuclear arsenal, adds 8 more warheads: Sipri  report - India Today

चीन का तेज़ परमाणु विस्तार:

·         चीन एशिया में सबसे तेज़ी से अपने परमाणु हथियारों का विस्तार कर रहा है। जहां 2023 में उसके पास लगभग 410 परमाणु हथियार थे, वहीं 2025 की शुरुआत तक यह संख्या बढ़कर 600 हो गई है। इनमें से 24 हथियार पहले से ही तैनात हैं, यानी ये हथियार किसी भी समय इस्तेमाल के लिए तैयार स्थिति में हैं।

·         चीन ने कम से कम दो ऐसे मिसाइल प्रणालियाँ विकसित कर ली हैं जो MIRV (Multiple Independently Targetable Re-entry Vehicles) ले जाने में सक्षम हैं, अर्थात एक ही मिसाइल से कई लक्ष्यों पर अलग-अलग वार किया जा सकता है।

·         यह क्षमता पहले केवल अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों के पास थी। अब भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया भी इस दिशा में तकनीकी विकास कर रहे हैं।

वैश्विक परमाणु प्रवृत्तियाँ और शक्तियाँ:
अमेरिका और रूस अभी भी परमाणु हथियारों के मामले में सबसे आगे हैं:

  • अमेरिका: 5,459 परमाणु हथियार (सेवानिवृत्त सहित)
  • रूस: 5,177 परमाणु हथियार

·         सभी 9 परमाणु हथियार संपन्न देश “अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इज़राइल और उत्तर कोरिया” अपने परमाणु शस्त्रागार का आधुनिकीकरण कर रहे हैं।

·         रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया द्वारा पारंपरिक और परमाणु दोनों प्रकार के पेलोड के लिए प्रयोग योग्य दोहरी क्षमता वाली मिसाइल प्रणालियों की तैनाती की जा रही है।

भारत का रणनीतिक ध्यान अब चीन की ओर:

·         SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि पाकिस्तान अभी भी भारत की प्रमुख परमाणु चिंता बना हुआ है, लेकिन अब भारत ऐसी लंबी दूरी की मिसाइलें विकसित कर रहा है जो चीन के भीतर गहराई तक निशाना साध सकती हैं। यह संकेत करता है कि भारत की रणनीतिक प्राथमिकताएं अब चीन की सैन्य ताकत को संतुलित करने की दिशा में बढ़ रही हैं, विशेषकर सीमा विवादों और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के परिप्रेक्ष्य में।

·         रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि 2020 से 2024 के बीच भारत दुनिया के पाँच सबसे बड़े हथियार आयातक देशों में शामिल रहा है। इस सूची में यूक्रेन, कतर, सऊदी अरब और पाकिस्तान भी शामिल हैं। इन पाँच देशों ने मिलकर वैश्विक हथियार आयातों का लगभग 35% हिस्सा किया, जो दक्षिण एशिया में रणनीतिक योजना में हथियार खरीद की अहम भूमिका को दर्शाता है।

निष्कर्ष:

जैसे-जैसे परमाणु नीतियाँ बदल रही हैं और हथियार प्रणालियाँ अधिक उन्नत और जटिल होती जा रही हैं, SIPRI की यह रिपोर्ट इस बात पर विशेष बल देती है कि एशिया में किसी भी तरह की गलतफहमी और टकराव से बचने के लिए पारदर्शिता, हथियार नियंत्रण पर संवाद और विश्वास निर्माण के ठोस उपायों की अत्यंत आवश्यकता है।