संदर्भ:
हाल ही में 12 मई 2025 को भारत ने मालदीव के साथ $50 मिलियन मूल्य के ट्रेजरी बिल को एक वर्ष के लिए और नवीनीकृत (रोलओवर) किया है। यह कदम भारत की आर्थिक सहायता जारी रखने की मंशा के साथ-साथ क्षेत्रीय सहयोग और स्थिरता के प्रति उसकी दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है, भले ही हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव रहे हों।
ट्रेजरी बिल क्या होते हैं?
ट्रेजरी बिल (T-bills) सरकार द्वारा जारी किए गए अल्पकालिक ऋण पत्र होते हैं, जिनकी अवधि आमतौर पर एक साल से कम होती है।
- इन्हें सरकार तत्काल धन जुटाने के लिए जारी करती है।
- सरकार द्वारा समर्थित होने के कारण ये जोखिम रहित माने जाते हैं।
- इन्हें द्विपक्षीय या बहुपक्षीय आर्थिक सहायता कार्यक्रमों में भी इस्तेमाल किया जाता है।
- रोलओवर का अर्थ है कि जब कोई ट्रेजरी बिल परिपक्व होता है, तो उसमें लगे पैसे को फिर से एक नए ट्रेजरी बिल में निवेश कर दिया जाता है अर्थात समय सीमा को बढ़ा दिया जाता है।
इस मामले में, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने इस बिल को एक साल के लिए और बढ़ा दिया है, जिससे मालदीव को बिना ब्याज के फंड की सुविधा मिलती रहेगी। यह मदद देश के मौजूदा आर्थिक संकट में बहुत काम आएगी।
मालदीव का आर्थिक संकट:
- मालदीव इस समय अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 134% से अधिक सार्वजनिक ऋण के दबाव में है। यह स्थिति मुख्य रूप से भारी विदेशी उधारों और पर्यटन-आधारित अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 महामारी के गहरे प्रभाव के कारण उत्पन्न हुई है।
- क्रेडिट रेटिंग में गिरावट और विदेशी मुद्रा भंडार की कमी ने मालदीव की नई वित्तीय सहायता प्राप्त करने की क्षमता को और अधिक सीमित कर दिया है।
- भारत द्वारा इस बिल में की गई सदस्यता (जो पहली बार 2023 में हुई थी) अब हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सक्रिय और निरंतर वित्तीय कूटनीति के हिस्से के रूप में आगे बढ़ा दी गई है।
भारत-मालदीव आर्थिक सहयोग का महत्व:
- रणनीतिक महत्त्व: मालदीव हिंद महासागर में भारत का समुद्री पड़ोसी देश है और ‘पड़ोसी पहले’ नीति और ‘विजन महासागर’ जैसी क्षेत्रीय रणनीतियों में अहम भूमिका निभाता है।
- स्थिरता का स्रोत: भारत की वित्तीय मदद से मालदीव को गैर-लोकतांत्रिक ताकतों, जैसे कि चीन (जो मालदीव का बड़ा कर्जदाता है), पर अत्यधिक निर्भरता से राहत मिलती है।
- कूटनीतिक प्रयास: यह विस्तार हाल के कूटनीतिक तनावों के बावजूद हुआ है, जिससे यह संकेत मिलता है कि भारत खुली बातचीत और सहयोग के लिए तैयार है।
- सॉफ्ट पावर (कोमल ताकत) का प्रदर्शन: भारत बार-बार जो आर्थिक सहायता दे रहा है, वह दक्षिण एशिया में एक भरोसेमंद और मददगार साथी के रूप में उसकी छवि को मजबूत करता है।
निष्कर्ष:
$50 मिलियन के ट्रेजरी बिल को बढ़ाने का भारत का फैसला केवल आर्थिक सहायता नहीं है, बल्कि यह एक रणनीतिक संदेश भी है कि भारत क्षेत्रीय शांति, समृद्धि और साझेदारी के लिए प्रतिबद्ध है। 2025-26 में जब मालदीव के गंभीर कर्ज संकट में होने की संभावना है, तब भारत की यह पहल उसके लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकती है और यह दोनों देशों के बीच स्थायी संबंधों को भी मजबूत करेगी।