संदर्भ:
विश्व बैंक के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत ने गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। वर्ष 2011-12 से 2022-23 के बीच लगभग 26.9 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी से बाहर आये हैं।
विश्व बैंक की गरीबी रेखा के बारे में:
विश्व बैंक के अनुसार अत्यधिक गरीबी की स्थिति में ऐसे व्यक्ति है, जो प्रति व्यक्ति प्रति दिन एक निश्चित राशि से कम पर जीवन यापन करता है। इस राशि की गणना विभिन्न देशों में जीवन यापन की लागत और मुद्रास्फीति के अंतर को ध्यान में रखते हुए क्रय शक्ति समता (PPP) के आधार पर की जाती है। वर्तमान में, विश्व बैंक के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा (IPL) को $3.00 प्रति व्यक्ति प्रति दिन तय किया गया है। यह सीमा विशेष रूप से निम्न-आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में अत्यधिक गरीबी को मापने के लिए उपयोग की जाती है।
गरीबी रेखा की श्रेणियाँ इस प्रकार हैं:
· निम्न आय वाले देश: $3.00 प्रति व्यक्ति प्रति दिन (पहले $2.15 था)
· निम्न-मध्यम आय वाले देश (LMIC): $4.20 प्रति व्यक्ति प्रति दिन (पहले $3.65 था)
· उच्च-मध्यम आय वाले देश: $8.40 प्रति व्यक्ति प्रति दिन (पहले $6.85; कुछ स्रोतों में $8.30 भी उल्लेखित है)
विश्व बैंक के मुख्य निष्कर्ष:
अत्यधिक गरीबी में रहने वाले भारतीयों की कुल संख्या 2011-12 में 344.47 मिलियन से घटकर 2022-23 में 75.24 मिलियन रह गयी।
· अत्यधिक गरीबी दर : भारत की अत्यधिक गरीबी दर 2011-12 में 27.1% से घटकर 2022-23 में 5.3% हो गई।
· ग्रामीण और शहरी गरीबी : इसी अवधि के दौरान ग्रामीण अत्यधिक गरीबी 18.4% से घटकर 2.8% हो गई, जबकि शहरी अत्यधिक गरीबी 10.7% से घटकर 1.1% हो गई।
· गरीबी में कमी लाने में योगदान देने वाले राज्य : उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश, ये पांच राज्य 2011-12 में भारत की लगभग 65% अत्यधिक गरीब जनसंख्या के लिए जिम्मेदार थे। 2022-23 तक कुल गरीबी में आई कमी का दो-तिहाई योगदान इन्हीं राज्यों से आया।
बहुआयामी गरीबी में प्रगति:
सिर्फ आय-आधारित मापदंडों से आगे बढ़कर, भारत ने बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) के संकेतकों (जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर तक पहुँच) में भी उल्लेखनीय सुधार किया है।
· वर्ष 2005-06 में MPI 53.8% था।
· 2019-21 तक यह घटकर 16.4% रह गया।
· 2022-23 में यह और घटकर 15.5% हो गया, जो स्वास्थ्य सेवाओं, स्कूली शिक्षा, स्वच्छता और बुनियादी सुविधाओं की बेहतर उपलब्धता को दर्शाता है।
गरीबी उन्मूलन के लिए प्रमुख योजनायें:
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में गरीबी में आई तीव्र गिरावट का श्रेय लक्षित कल्याणकारी योजनाओं और प्रौद्योगिकी व शासन सुधारों से समर्थित आर्थिक विकास को जाता है। इन पहलों ने सामाजिक सुरक्षा को मजबूत किया और विकास को समावेशी बनाया। प्रमुख कार्यक्रमों में शामिल हैं:
· प्रधानमंत्री आवास योजना: ग्रामीण और शहरी गरीबों के लिए किफायती आवास प्रदान करना।
· प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना: स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन वितरित करना।
· प्रधानमंत्री जन धन योजना: बैंक खातों के माध्यम से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना।
· आयुष्मान भारत – निम्न-आय वाले परिवारों के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा कवरेज उपलब्ध कराना।
· प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) : सब्सिडी और लाभों को सीधे लाभार्थियों तक पहुँचाकर लीकेज को रोकना।
· डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना: आधार, मोबाइल बैंकिंग और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए पारदर्शिता, पहुंच और सेवा वितरण में सुधार।
निष्कर्ष:
भारत की यह उल्लेखनीय यात्रा जहाँ एक दशक में अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या 344 मिलियन से घटकर 75 मिलियन रह गई—इसके विकास मार्ग में एक गहरे परिवर्तनकारी चरण को दर्शाती है। समावेशी विकास, डिजिटल शासन, और सशक्त सामाजिक कल्याण योजनाओं पर निरंतर ध्यान देने के साथ, भारत न केवल अपने गरीबी अंतर को और कम करने के लिए तैयार है, बल्कि यह दुनिया के सामने गरीबी उन्मूलन का एक प्रभावशाली वैश्विक मॉडल भी प्रस्तुत कर सकता है।