संदर्भ:
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है। वर्ष 2023-24 में देश का कुल दुग्ध उत्पादन 239.30 मिलियन टन रहा। यह जानकारी केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री एस.पी. सिंह बघेल ने 12 अगस्त 2025 को लोकसभा में दी।
दुग्ध उत्पादन से संबंधित प्रमुख आँकड़े:
· भारत का दुग्ध उत्पादन 239.30 मिलियन टन तक पहुँच गया है, जिसमें गायों का योगदान 53.12% (127.11 मिलियन टन) और भैंसों का योगदान 43.62% (104.39 मिलियन टन) है।
शीर्ष दुग्ध उत्पादक राज्य हैं:
• उत्तर प्रदेश: 37.46 मिलियन टन (13.11 मिलियन टन गाय का दुग्ध और 24.35 मिलियन टन भैंस का दुग्ध)
• राजस्थान: 31.60 मिलियन टन (14.81 मिलियन टन गाय का दुग्ध और 16.79 मिलियन टन भैंस का दुग्ध)
• मध्य प्रदेश: 20.28 मिलियन टन (10.09 मिलियन टन गाय का दुग्ध और 10.20 मिलियन टन भैंस का दुग्ध)
क्षेत्रीय वितरण:
उत्तरी और पश्चिमी भारत—जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश—भैंस के दुग्ध पर अधिक निर्भर रहते हैं, जो अपनी उच्च वसा सामग्री के कारण घी, पनीर और खोया जैसे पारंपरिक दुग्ध उत्पादों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
दक्षिणी राज्य, नस्लीय विविधता और उपभोग पैटर्न में अंतर के चलते, अपेक्षाकृत गाय-प्रधान डेयरी मॉडल अपनाते हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था में डेयरी क्षेत्र:
प्रमुख आर्थिक योगदानकर्ता:
डेयरी क्षेत्र भारत की सबसे बड़ी कृषि-वस्तु है, जो राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 4–5% तथा कृषि सकल घरेलू उत्पाद (Agri-GDP) में लगभग 25% का योगदान देता है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है, जो 8 करोड़ से अधिक किसानों—मुख्यतः लघु और सीमान्त—को स्थिर आय का स्रोत प्रदान करता है। साथ ही, यह क्षेत्र राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आय सृजन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
रोज़गार और महिला सशक्तिकरण:
· डेयरी क्षेत्र प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से एक महत्त्वपूर्ण रोज़गार-सृजनकर्ता है। यह पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, प्रसंस्करण एवं वितरण की संपूर्ण शृंखला में लाखों लोगों को आजीविका प्रदान करता है। विशेष उल्लेखनीय है कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएँ इस कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्वतंत्रता सुदृढ़ होती है और घरेलू आर्थिक स्थिरता में योगदान मिलता है।
दुग्ध उत्पादन, विकास और सरकारी सहायता:
· भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है, जिसका वैश्विक उत्पादन में 24% योगदान है। पिछले एक दशक में दुग्ध उत्पादन में 6% चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) के साथ, यह क्षेत्र निरंतर विकास दर्शा रहा है।
· भारत में प्रति व्यक्ति दुग्ध की उपलब्धता वैश्विक औसत से अधिक है। ऑपरेशन फ्लड, राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) और एलएचडीसीपी जैसे प्रमुख कार्यक्रमों ने आनुवंशिक सुधार, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढाँचे के विकास के माध्यम से इस क्षेत्र को मज़बूत किया है।
निष्कर्ष:
भारत का डेयरी क्षेत्र, ग्रामीण आजीविका और खाद्य सुरक्षा का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ बना हुआ है। नेशनल डेयरी मिशन (NDM) जैसी योजनाओं और क्षेत्र-विशिष्ट रणनीतियों के माध्यम से निरंतर समर्थन के साथ, यह क्षेत्र लाखों किसानों के लिए समावेशी विकास सुनिश्चित करता है और भारत को वैश्विक डेयरी बाजार में नेतृत्व बनाए रखने की स्थिति में रखता है।