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Blog / 18 Oct 2025

विश्व वायु सेना रैंकिंग में भारत ने चीन को पीछे छोड़ा

संदर्भ:

भारतीय वायु सेना (IAF) ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फ़ोर्स (PLAAF) को पीछे छोड़ते हुए 2025 की रैंकिंग में विश्व स्तर पर तीसरा स्थान हासिल कर लिया है। यह रैंकिंग आधुनिक सैन्य विमान विश्व निर्देशिका (WDMMA) में प्रकाशित हुई है।

आधुनिक सैन्य विमान विश्व निर्देशिका के बारे में:

    • आधुनिक सैन्य विमान विश्व निर्देशिका (WDMMA) रैंकिंग 103 देशों की वायु सेनाओं का मूल्यांकन करती है, जिसमें 129 वायु सेवाएँ (सेना, नौसेना, और समुद्री विमानन घटक) शामिल हैं और वैश्विक स्तर पर कुल 48,082 विमानों का आंकलन करती है।
    • मुख्य मापदंड ट्रूवैल रेटिंग (टीवीआर) है, जो मात्रात्मक और गुणात्मक कारकों जैसे फ्लीट का आकार, आधुनिकीकरण का स्तर, परिचालन तत्परता, रसद व्यवस्था और मिशन लचीलापन आदि का मिश्रण दर्शाता है।

2025 में, शीर्ष रैंक वाली वायु सेनाओं के लिए टीवीआर स्कोर इस प्रकार हैं:

·         संयुक्त राज्य अमेरिका : 242.9

·         रूस : 114.2

·         भारत : 69.4

·         चीन : 63.8

भारत की रैंकिंग बढ़ने के कारण:

1.        संतुलित फ्लीट संरचना:

·         भारतीय वायु सेना में 31.6% फाइटर, 29% हेलीकॉप्टर, और 21.8% ट्रेनर विमान हैं, जिससे यह बहु-भूमिका क्षमता वाली और संतुलित वायु सेना के विमान समूह बनती है।

·         इसके विपरीत, चीन की फ्लीट अधिकतर फाइटर विमानों (52.9%) और ट्रेनर (28.4%) में केंद्रित है। यह ताकतवर जरूर है, लेकिन मिशन की विविधता में लचीलापन कम देती है।

2.      आधुनिकीकरण और बहु-पीढ़ी के प्लेटफ़ॉर्म:

·         भारतीय वायु सेना वर्तमान में 4.5 जेनरेशन फाइटर जैसे Su-30MKI, डसॉल्ट राफेल, तेजस Mk1 संचालित करती है, साथ ही पुराने विमानों मिग 29 और मिराज 2000 को अपग्रेड किया गया है।

·         भविष्य में तेजस एमके1, तेजस एमके2 , एमआरएफए (मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट) और एएमसीए (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) शामिल होने से 5वीं पीढ़ी की क्षमता प्राप्त होगी।

3.      ऑपरेशनल रेडीनेस और प्रशिक्षण:

·         मजबूत पायलट प्रशिक्षण, रखरखाव प्रणाली, लॉजिस्टिक समर्थन और विभिन्न मिशन (एयर डिफेंस, ग्राउंड सपोर्ट, ट्रांसपोर्ट, सर्विलांस) में तैनाती की क्षमता WDMMA के मूल्यांकन में महत्वपूर्ण कारक हैं।

रणनीतिक महत्व:

·         भारत की सामरिक बढ़त: तीसरा स्थान हासिल करने से भारत को क्षेत्रीय निवारक शक्ति में मजबूती मिली है और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उसका प्रभाव बढ़ा है।

·         प्रतिष्ठा और कूटनीति: यह रैंकिंग भारत की वायु शक्ति की विश्वसनीयता प्रदर्शित करने में मदद करेगी और रक्षा कूटनीति में सहायक सिद्ध होगी।

·         सतत सुधार का दबाव: चीन को पीछे छोड़ना प्रतीकात्मक जीत है, लेकिन इसे बनाए रखने के लिए निरंतर आधुनिकीकरण, अनुसंधान एवं विकास (R&D), पायलट प्रशिक्षण, वायु दल नवीनीकरण और लॉजिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

भारतीय वायु सेना का विश्व में तीसरा स्थान हासिल करना वैश्विक सैन्य परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव है। ऑपरेशनल तत्परता, पायलट प्रशिक्षण और आधुनिकीकरण पर जोर देने से भारत अब क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा में एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए तैयार है। भविष्य में भी यह वायु सेना वैश्विक सुरक्षा में एक प्रमुख शक्ति बनी रहने की संभावना रखती है।