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Blog / 10 Jul 2025

भारत-नामीबिया संबंध

संदर्भ:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नामीबिया यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को एक नई दिशा देने वाला ऐतिहासिक कदम है। यह लगभग 30 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है, जिससे तकनीक, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे, विकास और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।

भारत-नामीबिया संबंधों के बारे में:

·        भारत और नामीबिया एक साझा उपनिवेशवादी इतिहास से जुड़े हैं, और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी दोनों देशों के बीच मजबूत और मैत्रीपूर्ण संबंध कायम रहे हैं। भारत उन शुरुआती देशों में था, जिसने 1946 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में नामीबिया की स्वतंत्रता का मुद्दा उठाया।

·        नामीबिया के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने वाले संगठन SWAPO (साउथ वेस्ट अफ्रीका पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन) ने 1986 में नई दिल्ली में अपना पहला दूतावास स्थापित किया।

·        स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान भारत ने नामीबियाई सेनानियों को सैन्य प्रशिक्षण और सामग्री सहायता प्रदान की। वर्ष 1990 में नामीबिया को स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद, भारत के ऑब्जर्वर मिशन को उच्चायोग का दर्जा दिया गया, जिससे द्विपक्षीय संबंध और अधिक सुदृढ़ हुए।

भारत के लिए नामीबिया का महत्व:

  • नामीबिया अफ्रीकी महाद्वीप का एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देश है, जहां भारत के अनेक हित जुड़े हुए हैं। भारत नामीबिया के साथ व्यापार, विकास, सुरक्षा और ऊर्जा सहयोग के क्षेत्रों में संबंधों को और प्रगाढ़ बनाना चाहता है।
  • ऊर्जा सुरक्षा और महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच परस्पर लाभकारी साझेदारी की अपार संभावनाएं हैं।
  • नामीबिया विश्व का तीसरा सबसे बड़ा यूरेनियम उत्पादक देश है, साथ ही यह लिथियम, जिंक और रेयर अर्थ मेटल्स जैसे बहुमूल्य खनिजों का भी प्रमुख उत्पादक है।

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आर्थिक और व्यापारिक संबंध:

  • हाल के वर्षों में भारत और नामीबिया के आर्थिक एवं व्यापारिक संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अप्रैल से नवंबर 2023 के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार $654 मिलियन तक पहुंच गया, जो 178% की वृद्धि को दर्शाता है।
  • इस अवधि में भारत द्वारा नामीबिया को निर्यात $418 मिलियन रहा, जबकि नामीबिया से आयात $235 मिलियन के स्तर पर रहा।
  • भारत ने नामीबिया में लगभग $800 मिलियन का निवेश किया है, जो मुख्य रूप से खनिज संसाधनोंविशेषकर जिंक और हीरे के प्रसंस्करणसे संबंधित क्षेत्रों में केंद्रित है।

क्षमता निर्माण और विकास सहायता:

भारत विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से नामीबिया को निरंतर क्षमता निर्माण और विकास सहयोग प्रदान करता रहा है। इसी प्रयास के तहत, भारत ने लगभग $12 मिलियन की सहायता से नामीबिया विश्वविद्यालय के ओंगवेडिवा परिसर में 'इंडिया विंग' की स्थापना की है।

इसके अतिरिक्त, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम के अंतर्गत भारत ने नामीबियाई रक्षा कर्मियों, राजनयिकों, सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों और क्रिकेट खिलाड़ियों को प्रशिक्षण प्रदान किया है।

चीतों की कूटनीति:

भारत और नामीबिया ने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय सहयोग किया है। 2022 में नामीबिया से आठ चीतों को भारत लाया गया, जो किसी बड़े मांसाहारी जीव की विश्व की पहली अंतर-महाद्वीपीय पुनर्स्थापना (translocation) थी। यह पहल जैव विविधता संरक्षण में दोनों देशों की साझेदारी को दर्शाती है।

अफ्रीका के साथ भारत की भागीदारी:

अफ्रीकी देशों के साथ भारत की भागीदारी मानवीय मूल्यों और साझेदारिता की भावना पर आधारित है। चीन की रणनीतिक और आर्थिक प्राथमिकताओं से भिन्न, भारत अफ्रीकी देशों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को केंद्र में रखकर कार्य करता है।
1996 से अब तक भारत ने अफ्रीका में लगभग $76 बिलियन का निवेश किया है, और 2030 तक इस निवेश को $150 बिलियन तक पहुँचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

निष्कर्ष:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नामीबिया यात्रा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह दौरा आपसी हितों के नए क्षेत्रों को चिन्हित करने के साथ-साथ तकनीक, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे, विकास और सुरक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को और सशक्त बनाएगा। इससे भारत और नामीबिया के बीच दीर्घकालिक, मजबूत और बहुपक्षीय साझेदारी को नई गति और स्थायित्व मिलेगा।