सन्दर्भ:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 अगस्त 2025 को टोक्यो में जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ भारत-जापान आर्थिक मंच (India-Japan Economic Forum) में भाग लिया। यह मंच भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और केदानरेन (जापान बिज़नेस फेडरेशन) द्वारा आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को सुदृढ़ करना था।
फोरम बैठक के दौरान प्रमुख घोषणा:
12वें भारत-जापान बिज़नेस लीडर्स फ़ोरम (IJBLF) की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसमें फोरम बैठक के दौरान नई साझेदारियों को रेखांकित किया गया। इस दौरान इस्पात, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), अंतरिक्ष, स्वच्छ ऊर्जा, शिक्षा और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में कई बी2बी समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर हुए। इन समझौतों का उद्देश्य भारतीय प्रतिभा और जापानी प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर लचीली और भविष्य-उन्मुख आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण करना है।
भविष्य में भारत-जापान सहयोग के लिए पहचाने गए प्रमुख क्षेत्र:
प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक के दौरान गहन सहयोग के लिए पाँच प्राथमिक क्षेत्रों की रूपरेखा प्रस्तुत की:
- निर्माण (Manufacturing) – बैटरियाँ, सेमीकंडक्टर्स, रोबोटिक्स, शिप-बिल्डिंग और परमाणु ऊर्जा।
- प्रौद्योगिकी और नवाचार (Technology & Innovation) – जिसमें AI, बायोटेक, अंतरिक्ष और क्वांटम कंप्यूटिंग शामिल हैं।
- हरित ऊर्जा संक्रमण (Green Energy Transition) – भारत के 2030 तक 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा और 2047 तक 100 GW परमाणु ऊर्जा के लक्ष्य का समर्थन।
- अगली पीढ़ी का अवसंरचना (Next-Gen Infrastructure) – हाई-स्पीड रेल, मोबिलिटी समाधान और लॉजिस्टिक्स।
- कौशल विकास और जन-से-जन संबंध (Skill Development & People-to-People Ties) – मानव संसाधन आदान-प्रदान और प्रतिभा सहयोग को बढ़ावा देना।
भारत-जापान संबंधों के बारे में:
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत-जापान संबंध 6वीं शताब्दी से हैं जब बौद्ध धर्म जापान पहुँचा और उसने जापानी संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया। इस ऐतिहासिक संबंध ने दोनों देशों के बीच निकटता की भावना को बढ़ाया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, भारत के लौह अयस्क ने जापान को तबाही से उबरने में मदद की और भविष्य के सहयोग की नींव रखी।
भारत-जापान संबंधों में प्रमुख विकास
वर्षों में उनके द्विपक्षीय संबंध विकसित हुए — ग्लोबल पार्टनरशिप (2000) से लेकर विशेष सामरिक और वैश्विक साझेदारी (2014) तक।
हिंद-प्रशांत और रक्षा सहयोग
भारत की एक्ट ईस्ट नीति और हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI) जापान की फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक (FOIP) दृष्टि से मेल खाती है। रक्षा संबंध प्रमुख समझौतों, JIMEX और मलाबार जैसे संयुक्त नौसैनिक अभ्यासों और UNICORN जैसे सह-विकास परियोजनाओं के माध्यम से मजबूत हुए हैं। दोनों देश अब क्षेत्रीय गतिशीलताओं को देखते हुए 2008 के सुरक्षा सहयोग ढाँचे को उन्नत करने पर विचार कर रहे हैं।
आर्थिक और अवसंरचना सहयोग
2023–24 में द्विपक्षीय व्यापार $22.8 अरब तक पहुँच गया, जिसमें जापान भारत के शीर्ष निवेशकों में से एक रहा। 2023–24 में जापान की 580 अरब येन आधिकारिक विकास सहायता (ODA) ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन जैसी अवसंरचना परियोजनाओं का समर्थन किया। उभरते क्षेत्र सेमीकंडक्टर्स, AI और आपूर्ति शृंखला लचीलापन हैं, जिनके लिए नए आर्थिक सुरक्षा उपक्रम तैयार किए जा रहे हैं।
जन-से-जन और बहुपक्षीय सहयोग:
665 से अधिक शैक्षणिक साझेदारियाँ, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और प्रवासी संबंध आपसी समझ को मजबूत करते हैं। भारत और जापान क्वाड, ISA, CDRI और SCRI जैसे बहुपक्षीय मंचों पर भी सहयोग करते हैं, जिससे एक स्वतंत्र और समावेशी हिंद-प्रशांत के साझा लक्ष्यों को मजबूती मिलती है।