सन्दर्भ-
भारत ने अपने पहले स्वदेशी बहु-चरणीय मलेरिया टीके एडफाल्सीवैक्स (AdFalciVax ) को पाँच घरेलू दवा कंपनियों को लाइसेंस कर दिया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और उसके वैज्ञानिक साझेदारों द्वारा विकसित यह टीका प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum) परजीवी को मानव रक्तप्रवाह में प्रवेश करने से पहले ही रोकने का लक्ष्य रखता है, ताकि मलेरिया संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ा जा सके।
औद्योगिक सहयोग
व्यावसायीकरण और व्यापक वितरण को सक्षम बनाने के लिए, इस टीके के उत्पादन अधिकार निम्नलिखित कंपनियों को हस्तांतरित किए गए हैं:
· इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड
· टेकइन्वेंशन लाइफकेयर प्राइवेट लिमिटेड
· पैनासिया बायोटेक लिमिटेड
· बायोलॉजिकल ई लिमिटेड
· ज़ाइडस लाइफसाइंसेज़
यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल बड़े पैमाने पर उत्पादन और त्वरित विस्तार के लिए महत्वपूर्ण है।
एडफाल्सीवैक्स (AdFalciVax) की प्रमुख विशेषताएँ-
· बहु-चरणीय लक्ष्यीकरण: पारंपरिक टीकों के विपरीत, जो परजीवी के जीवनचक्र के केवल एक चरण पर हमला करते हैं,
· एडफाल्सीवैक्स, प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम को कई चरणों पर रोकता है। इससे संक्रमण नियंत्रण और समुदायों में इसके फैलाव को रोकने में अधिक प्रभावकारिता मिल सकती है।
· सुलभ और विस्तार योग्य: बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया यह टीका किफायती और विस्तार योग्य है, जिससे सीमित संसाधन वाले क्षेत्रों में भी पहुँच सुनिश्चित हो सके।
· ताप-स्थायित्व: एडफाल्सीवैक्स, सामान्य तापमान पर नौ माह से अधिक तक प्रभावी रहता है। यह भारत के ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के लिए अत्यंत आवश्यक है, जहाँ शीत-श्रृंखला अवसंरचना (cold-chain infrastructure) अपर्याप्त है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य महत्व
1. भारत में मलेरिया का बोझ
· भारत में वैश्विक मलेरिया मामलों का 1.4% और वैश्विक मलेरिया मृत्यु का 0.9% हिस्सा है।
· भारत की 95% जनसंख्या मलेरिया-स्थानिक (endemic) क्षेत्रों में रहती है, जिनमें से जनजातीय और दुर्गम क्षेत्र 80% मामलों का योगदान करते हैं।
2. रोग नियंत्रण की संभावना
एडफाल्सीवैक्स से यह संभावनाएँ हैं:
· संक्रमण श्रृंखला को तोड़ना
· रोग-प्रसार और मृत्यु-दर को कम करना
· राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम (NMEP) को समर्थन देना
मलेरिया के बारे में
मलेरिया प्लास्मोडियम परजीवियों से होने वाली जानलेवा बीमारी है, जो संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलती है। यह रोकी जा सकती है, ठीक की जा सकती है और मुख्यतः उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है।
कारक जीव (Causative Agents):
मनुष्यों को पाँच प्लास्मोडियम प्रजातियाँ संक्रमित करती हैं:
• पी. फाल्सीपेरम (सबसे घातक, अफ्रीका में आम)
• पी. विवैक्स (भारत और एशिया में प्रमुख)
• पी. मलेरिया, पी. ओवले, पी. नोलेसी (कम सामान्य)
रोग का वैश्विक बोझ (2023):
· 26.3 करोड़ मामले, 5.97 लाख मौतें विश्व स्तर पर
· डब्ल्यूएचओ अफ्रीकी क्षेत्र: 94% मामले, 95% मौतें
· भारत: ~1.4% वैश्विक मामले; अधिकांश मामले जनजातीय और दुर्गम क्षेत्रों से
टीके:
· RTS,S/AS01 (2021 से) और R21/Matrix-M (2023 से) डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित।
डब्ल्यूएचओ वैश्विक रणनीति (2016–2030):
2030 तक के लक्ष्य:
· मलेरिया मामलों और मौतों में 90% की कमी
· ≥35 देशों में मलेरिया उन्मूलन
· मलेरिया-मुक्त देशों में पुनरुत्थान की रोकथाम
निष्कर्ष
एडफाल्सीवैक्स का विकास और लाइसेंसिंग भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य नवाचार में ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह टीका भारत की वैक्सीन विकास और जैव-प्रौद्योगिकी अनुसंधान में बढ़ती आत्मनिर्भरता को दर्शाता है। यदि सही ढंग से लागू किया जाए, तो एडफाल्सीवैक्स भारत के मलेरिया उन्मूलन लक्ष्यों को तेज कर सकता है, संवेदनशील क्षेत्रों में रोग बोझ को कम कर सकता है और भारत को उष्णकटिबंधीय रोग नियंत्रण में वैश्विक अग्रणी के रूप में स्थापित कर सकता है।