संदर्भ:
हाल ही में फिजी के प्रधानमंत्री सिटिवेनी राबुका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर भारत का दौरा किया और दोनों देशों के बीच गहरे द्विपक्षीय संबंधों की पुष्टि की। यह यात्रा भारत की एक्ट ईस्ट और इंडो-पैसिफिक नीतियों के तहत प्रशांत द्वीपीय देशों के साथ भारत के रणनीतिक, विकासात्मक और समुद्री सहयोग को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है।
यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित प्रमुख समझौते:
स्वास्थ्य सेवा और औषधियाँ:
- सुवा में 100 बिस्तरों वाले सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर, जो भारत की प्रशांत क्षेत्र की सबसे बड़ी विकास परियोजनाओं में से एक है।
- भारतीय औषधकोश की मान्यता से फिजी में भारतीय दवाइयाँ उपलब्ध होंगी, जिससे सस्ती और प्रभावी स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा।
- भारत दूसरा जयपुर फुट कैंप आयोजित करेगा और 'हील इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत 10 फिजीवासियों को तृतीयक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करेगा।
रक्षा और समुद्री सहयोग:
- 2017 के रक्षा समझौता ज्ञापन के तहत संबंधों को मजबूत किया गया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना, सैन्य चिकित्सा, श्वेत नौवहन सूचना विनिमय और समुद्री क्षेत्र जागरूकता शामिल हैं। फिजी में एक साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण प्रकोष्ठ की स्थापना की गई है।
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नौसैनिक सहयोग बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना के पोत का फिजी बंदरगाह पर नियोजित प्रवास हुआ।
जलवायु, ऊर्जा और नीली अर्थव्यवस्था:
- मिशन लाइफ और फ़िजी की 2050 की नीली प्रशांत रणनीति के प्रति नई प्रतिबद्धता।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (GBA) और आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) में फ़िजी की सक्रिय भागीदारी।
- फ़िजी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में सौर तकनीक के लिए STAR केंद्र की स्थापना की जाएगी।
क्षेत्रीय सहयोग और वैश्विक दक्षिण एकजुटता:
- स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति प्रतिबद्धता।
- भारत के नेतृत्व वाले हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI) में फिजी की भागीदारी का स्वागत।
- दोनों नेताओं द्वारा "शांति के महासागर" के साझा दृष्टिकोण का समर्थन।
- संयुक्त राष्ट्र सुधारों के संदर्भ में फिजी भारत की स्थायी सुरक्षा परिषद सदस्यता और 2028-29 के लिए अस्थायी सदस्यता के प्रस्ताव का समर्थन करता है।
भारत-फिजी संबंध:
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: भारत-फिजी संबंध 1879 से हैं, जब ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय गिरमिटिया मजदूरों को फिजी लाया गया। भारत ने 1948 से फिजी में आयुक्त नियुक्त किया और 1970 में उसकी स्वतंत्रता को मान्यता दी। फिजी ने 2004 में नई दिल्ली में उच्चायोग स्थापित किया।
- राजनीतिक संबंध: भारत-प्रशांत द्वीप समूह सहयोग मंच (FIPIC) की शुरुआत 2014 में सुवा, फिजी में हुई। इसके बाद जयपुर (2015) और पापुआ न्यू गिनी (2023) में शिखर सम्मेलन हुए। फिजी अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन में सक्रिय है।
- आर्थिक एवं वाणिज्यिक संबंध: 2023-25 के दौरान भारत का फिजी को निर्यात 76.28 से बढ़कर 84.67 मिलियन अमेरिकी डॉलर और आयात 1.19 से बढ़कर 1.54 मिलियन अमेरिकी डॉलर हुआ। व्यापार अधिशेष बढ़कर 83.13 मिलियन डॉलर पहुंचा, जो भारत की बढ़ती बाजार उपस्थिति दर्शाता है।
भारत के लिए फिजी का महत्व:
· दक्षिण प्रशांत में फिजी की रणनीतिक स्थिति भारत के हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण, समुद्री सुरक्षा और जलवायु कार्रवाई के लिए महत्वपूर्ण है। फिजी भारतीय फार्मास्यूटिकल्स, आईटी और क्षमता निर्माण के लिए बढ़ता बाजार है, जहां भारत सौर ऊर्जा और स्वास्थ्य अवसंरचना परियोजनाएं चला रहा है। चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, रक्षा सहयोग और नौसैनिक प्रशिक्षण से क्षेत्रीय संतुलन में मदद मिलती है।
फिजी की लगभग एक-तिहाई आबादी भारतवंशी है, जहां फिजी-हिंदी आधिकारिक भाषा है। सांस्कृतिक संबंधों को गिरमिट दिवस और ICCR छात्रवृत्तियाँ मजबूत करती हैं।
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री राबुका की यात्रा भारत-फिजी संबंधों में एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी कदम है, जो 1987 के तख्तापलट के बाद उत्पन्न मनमुटाव को पीछे छोड़कर सुलह और रणनीतिक सहयोग की दिशा में बढ़त को दर्शाती है। साझा औपनिवेशिक इतिहास, सक्रिय प्रवासी समुदाय और वैश्विक मंचों पर बढ़ती नजदीकी के आधार पर, भारत और फिजी बहुध्रुवीय हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मजबूत और स्थायी साझेदारी के लिए तैयार हैं।