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Blog / 01 May 2025

भारत-कनाडा संबंध

संदर्भ:

कनाडा में हाल ही में हुए चुनावों में लिबरल पार्टी ने एक बार फिर सत्ता हासिल की है और मार्क कार्नी को नया प्रधानमंत्री चुना गया है। यह भारत-कनाडा संबंधों में एक संभावित मोड़ का संकेत देता है, क्योंकि भारत ने औपचारिक रूप से बधाई संदेश भेजा है, जो पिछले दो वर्षों से चले आ रहे राजनयिक तनावों के बाद एक सकारात्मक पहल है।

द्विपक्षीय संबंधों में तनाव की पृष्ठभूमि

  • भारत-कनाडा संबंधों में तनाव जून 2023 के बाद से शुरू हुआ, जब कनाडा ने खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता का आरोप लगाया। इसके बाद दोनों देशों ने वरिष्ठ राजनयिकों को निष्कासित कर दिया और CEPA (व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता) वार्ताएं निलंबित कर दीं।
  • इस तनाव को और बढ़ाया कनाडा द्वारा खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को लेकर दिखाई गई सहनशीलता ने, जिसमें पूर्व NDP नेता की भूमिका भी शामिल थी, जिसे भारत ने अपनी संप्रभुता के लिए खतरा माना।
  • नए कनाडाई प्रधानमंत्री, जो पहले कनाडा और इंग्लैंड के केंद्रीय बैंकों के गवर्नर रह चुके हैं, ने व्यावहारिक कूटनीति और व्यापार में विविधता लाने पर ज़ोर दिया है, जिसमें भारत के साथ घनिष्ठ संबंध शामिल हैं।
  • पहल्गाम आतंकी हमले की निंदा में उनकी देरी भले रही हो, लेकिन भारत ने उनके बयान को सकारात्मक रूप में देखा। वहीं, चुनावी हार के बाद NDP नेता के इस्तीफे से रिश्तों में सुधार की राह में एक प्रमुख बाधा दूर हुई है।

 

जनता की धारणा और प्रवासी प्रभाव की भूमिका

कनाडा में भारतीय प्रवासी समुदाय, जिसकी संख्या लगभग 18 लाख है, दोनों देशों के बीच सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक सेतु का काम करता है। हालांकि, हालिया राजनयिक विवादों ने इसके प्रभाव को चुनौती दी है।

दोनों देशों में जनमत नकारात्मक हुआ है। दिसंबर 2024 में एंगस रीड इंस्टिट्यूट के एक सर्वेक्षण में केवल 24% कनाडाई नागरिकों ने भारत कोमित्रवत देशमाना, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 52% था।

इसके साथ ही भारत से कनाडा जाने वाले छात्रों की संख्या में गिरावट से दोनों देशों के बीच लोगों के स्तर पर जुड़ाव में भी कमी आई है।

 

रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण

वर्तमान नेतृत्व के तहत CEPA वार्ताओं के दोबारा शुरू होने की उम्मीद जगी है। वैश्विक वित्तीय संस्थाओं में अनुभव रखने वाली नई कनाडाई सरकार व्यापार और जलवायु सहयोग को प्राथमिकता दे सकती हैये दोनों ऐसे क्षेत्र हैं जहां भारत के साथ सहयोग संभव है।

कनाडा द्वारा आगामी G7 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी (अल्बर्टा में) भारत-कनाडा संवाद को फिर से शुरू करने का एक अवसर हो सकता है, खासकर यदि भारत को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है।

 

भारत-कनाडा द्विपक्षीय संबंध:

 

द्विपक्षीय व्यापार (2023): लगभग $12 बिलियन, जिसमें व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में है।

 

भारत की रैंकिंग: कनाडा का 10वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार (2022)

 

कनाडा के वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी: केवल 1.95%, जो दर्शाता है कि संभावनाएं अभी बाकी हैं।

 

भारत के प्रमुख निर्यात: दवाइयाँ, रत्न और आभूषण, वस्त्र, और मशीनरी।

 

कनाडा के प्रमुख निर्यात: दालें, लकड़ी, लुगदी और कागज, और खनन उत्पाद।

 

FDI (विदेशी प्रत्यक्ष निवेश): कनाडा भारत में 18वां सबसे बड़ा निवेशक है, जिसने अप्रैल 2000 से मार्च 2023 के बीच लगभग $3.3 बिलियन का निवेश किया (स्रोत: इन्वेस्ट इंडिया)

 

CEPA वार्ताएं: व्यापार, सेवाएं, निवेश, और सुविधा को कवर करने वाले व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते के लिए तकनीकी वार्ताएं जारी हैं।

 

 

निष्कर्ष

2025 के कनाडाई चुनाव भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को फिर से संतुलित करने का अवसर प्रदान करते हैं। साझा लोकतांत्रिक मूल्य, आर्थिक हित, और प्रवासी संबंध मजबूत नींव बने हुए हैं, लेकिन आपसी विश्वास बहाल करने के लिए निरंतर कूटनीतिक प्रयास, विषय-विशिष्ट दृष्टिकोण और दीर्घकालिक रणनीतिक योजना की आवश्यकता होगी।