संदर्भ:
हाल ही में कनाडा के निर्यात संवर्धन, अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक वृद्धि मंत्री मनिंदर सिद्धू 11 से 14 नवंबर के बीच भारत की आधिकारिक यात्रा पर थे। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने महत्वपूर्ण खनिजों, व्यापार और निवेश में घनिष्ठ सहयोग पर जोर दिया।
मुख्य बिंदु:
1. महत्वपूर्ण खनिजों और स्वच्छ ऊर्जा सहयोग को मजबूत करना
• दोनों देशों ने महत्वपूर्ण खनिजों की सप्लाई चेन में दीर्घकालिक साझेदारियों को बढ़ावा देने पर सहमति जताई।
• स्वच्छ ऊर्जा सहयोग पर विशेष ध्यान दिया गया, जो वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन और औद्योगिक विस्तार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
• इस पहल का उद्देश्य उन आवश्यक खनिजों तक स्थिर और विश्वसनीय पहुंच सुनिश्चित करना है, जिनका उपयोग बैटरियों, नवीकरणीय ऊर्जा तकनीक और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे क्षेत्रों में होता है।
2. व्यापार और निवेश के अवसरों का विस्तार
• दोनों देशों ने निम्न क्षेत्रों में निवेश और व्यापार के अवसरों की पहचान तथा विस्तार करने पर सहमति व्यक्त की:
o एयरोस्पेस
o डुअल-यूज क्षमताएँ (जो नागरिक और रक्षा, दोनों क्षेत्रों में उपयोग की जा सकती हैं)
• यह कदम भारत की उस रणनीति के अनुरूप है, जिसके तहत वह वैश्विक उच्च तकनीक मूल्य श्रृंखलाओं में अधिक प्रभावी तरीके से शामिल होना चाहता है और अपनी औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना चाहता है।

महत्व:
· रणनीतिक और आर्थिक तालमेल: महत्वपूर्ण खनिजों की सप्लाई चेन को मजबूत करना भारत की ऊर्जा सुरक्षा और उसके औद्योगिक विकास लक्ष्यों को सुदृढ़ करता है।
· उच्च तकनीक सहयोग: एयरोस्पेस और डुअल-यूज क्षेत्रों में बढ़ता सहयोग तकनीकी आदान-प्रदान, नवाचार और निवेश को गति देगा।
· व्यापार का विविधीकरण: यह साझेदारी भारत को अपने व्यापारिक संबंधों को विविध बनाने और किसी एक देश या स्रोत पर निर्भरता कम करने में मदद करेगी।
· वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन: स्वच्छ ऊर्जा और महत्वपूर्ण खनिजों में सहयोग भारत की नेट-ज़ीरो प्रतिबद्धताओं और सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
भारत–कनाडा संबंधों के बारे में:
भारत और कनाडा के संबंध ऐतिहासिक और बहुआयामी हैं। दोनों देश राष्ट्रमंडल (कॉमनवेल्थ) और G20 के सदस्य हैं और वर्ष 2023 में दोनों देशों के बीच व्यापार 9.36 बिलियन डॉलर तक पहुँचा।
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- भारत की स्वतंत्रता के बाद कनाडा ने कोलंबो योजना के तहत भारत को महत्वपूर्ण विकास सहायता प्रदान की। लेकिन 1974 में भारत द्वारा कनाडाई रिएक्टर का उपयोग कर किए गए परमाणु परीक्षणों के कारण संबंधों में तनाव उत्पन्न हुआ।
- 1985 में कनाडा स्थित खालिस्तानी आतंकवादियों द्वारा एयर इंडिया विमान बम विस्फोट से दोनों देशों के संबंधो को और भी कमजोर कर दिया।
- 1990 के दशक में भारत में आर्थिक उदारीकरण के बाद संबंधों में फिर से सकारात्मक दिशा दिखी और 2010 के परमाणु सहयोग समझौते ने द्विपक्षीय जुड़ाव को नई गति दी। इसके बावजूद, कनाडा में खालिस्तान समर्थक समूहों के प्रति ‘नरमी’ की धारणा अभी भी एक प्रमुख चुनौती बनी हुई है।
- इसके बावजूद, भारतवंशी प्रवासी समुदाय की मज़बूत उपस्थिति और बढ़ते आर्थिक संबंध दोनों देशों को विश्वास बहाल करने और दीर्घकालिक सहयोग के नए अवसर प्रदान करते हैं।
- भारत की स्वतंत्रता के बाद कनाडा ने कोलंबो योजना के तहत भारत को महत्वपूर्ण विकास सहायता प्रदान की। लेकिन 1974 में भारत द्वारा कनाडाई रिएक्टर का उपयोग कर किए गए परमाणु परीक्षणों के कारण संबंधों में तनाव उत्पन्न हुआ।
निष्कर्ष:
भारत–कनाडा की यह हालिया सहभागिता व्यापार, निवेश और रणनीतिक क्षेत्रों में नई प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जो औद्योगिक आधुनिकीकरण और ऊर्जा परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह दर्शाता है कि आर्थिक कूटनीति किस प्रकार द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत कर सकती है और दोनों देशों को वैश्विक वैल्यू चेन में अधिक प्रभावी रूप से एकीकृत होने का अवसर प्रदान कर सकती है।
