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Blog / 25 Nov 2025

भारत-ब्राज़ील-दक्षिण अफ्रीका (IBSA) समूह का विश्लेषण | Dhyeya IAS करंट अफेयर्स

सन्दर्भ:

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोहान्सबर्ग में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारतब्राज़ीलदक्षिण अफ्रीका (आईबीएसए) नेताओं की बैठक में भाग लिया। इस बैठक ने यह स्पष्ट किया कि दक्षिणदक्षिण सहयोग को सशक्त बनाने और वैश्विक शासन सुधार को आगे बढ़ाने के लिए आईबीएसए एक महत्त्वपूर्ण मंच बनता जा रहा है।

आईबीएसए वार्ता मंच के बारे में:

भारतब्राज़ीलदक्षिण अफ्रीका (आईबीएसए) संवाद मंच एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के तीन बहु-जातीय लोकतांत्रिक देशों का एक त्रिपक्षीय समूह है।

         2003 में स्थापित आईबीएसए का उद्देश्य दक्षिणदक्षिण सहयोग को बढ़ावा देना, लोकतांत्रिक वैश्विक शासन को मजबूत करना और विकास आधारित साझेदारी को आगे ले जाना है।

India-Brazil-South Africa (IBSA) Leaders’ Meeting

बैठक के दौरान भारत के मुख्य विषय और प्रस्ताव:

1.      वैश्विक शासन सुधार

·        भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में तुरंत सुधार की मांग करते हुए कहा कि वैश्विक शासन संस्थाएँ 21वीं सदी की वास्तविकताओं से बहुत दूर हैं और ऐसा सुधार कोई विकल्प नहीं, बल्कि अत्यंत आवश्यकहै।

·        भारत ने सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए आईबीएसए देशों के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) स्तर की वार्ता स्थापित करने का प्रस्ताव रखा।

2.     आतंकवाद के खिलाफ एकजुट प्रयास

·        भारत ने आतंकवाद के खतरे की गंभीरता पर ज़ोर देते हुए आतंकवाद से निपटने में दोहरे मापदंडों की आलोचना की।

·        भारत ने तीनों आईबीएसए देशों से आतंकवाद-रोधी प्रयासों में और अधिक तालमेल और सहयोग बढ़ाने की अपील की।

3.     डिजिटल इनोवेशन अलायंस

·       डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना साझा करने के लिए भारत ने आईबीएसए डिजिटल इनोवेशन अलायंस स्थापित करने का प्रस्ताव रखा।

·       सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों में UPI, CoWIN जैसे स्वास्थ्य प्लेटफॉर्म, साइबर सुरक्षा ढांचे और महिलाओं के नेतृत्व वाली तकनीकी पहल शामिल होंगी।

·       भारत ने इस पहल की शुरुआत के लिए आईबीएसए नेताओं को भारत में होने वाले AI इम्पैक्ट समिट में आमंत्रित किया।

4.    जलवायु-लचीला कृषि कोष

·        सतत कृषि में दक्षिणदक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत ने जलवायु-लचीला कृषि (Climate-Resilient Agriculture) हेतु आईबीएसए कोष स्थापित करने का सुझाव दिया।

रणनीतिक महत्व:

         ग्लोबल साउथ की आवाज़ को मजबूत करना: भारत, आईबीएसए को तीन महाद्वीपों “एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका” के बीच एक सेतु के रूप में देखता है जो वैश्विक संस्थाओं में सुधार को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन सकता है।

         सुरक्षा सहयोग को मज़बूत करना: NSA-स्तर की बातचीत को संस्थागत रूप देने से आतंकवाद-रोधी सहयोग, खुफिया जानकारी साझा करने और क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर आपसी भरोसा और समन्वय और अधिक मजबूत हो सकता है।

         विकास में नवाचार: प्रस्तावित डिजिटल गठबंधन और जलवायु कोष यह दर्शाते हैं कि आईबीएसए पारंपरिक विकास सहायता से आगे बढ़कर भविष्य-केंद्रित सहयोग, जैसे तकनीक, स्थिरता और डिजिटल सार्वजनिक साधनों, की दिशा में बढ़ रहा है।

         बहुपक्षीय मंचों में बढ़ी वैधता: ग्लोबल साउथ देशों (आईबीएसए सदस्यों सहित) द्वारा लगातार तीन बार G20 अध्यक्षता करने की पृष्ठभूमि में, इस बैठक का समय रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष:

2025 में जोहान्सबर्ग में आयोजित आईबीएसए बैठक त्रिपक्षीय सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण चरण साबित हुई। आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में तत्काल सुधार की आवश्यकता तथा डिजिटल अवसंरचना और जलवायु-लचीली कृषि में नई साझेदारियों पर भारत द्वारा दिया गया जोर यह दर्शाता है कि भारत आईबीएसए को एक सक्रिय, लोकतांत्रिक और विकास-केंद्रित समूह के रूप में देखता है। वैश्विक अस्थिरता के इस दौर में बहुपक्षवाद, समावेशिता और दक्षिणदक्षिण एकजुटता पर आधारित आईबीएसए का दृष्टिकोण इसे एक अधिक न्यायपूर्ण और प्रतिनिधिक वैश्विक व्यवस्था के निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है।