संदर्भ:
28 अगस्त 2025 को भूटान के थिम्फू में पहली संयुक्त तकनीकी कार्य समूह (JTWG) बैठक के दौरान भारत और भूटान ने कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में तकनीकी सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता कृषि विकास, खाद्य सुरक्षा और सतत् खेती के क्षेत्र में दोनों देशों के द्विपक्षीय सहयोग को और गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
सहयोग के मुख्य क्षेत्र:
- कृषि अनुसंधान और नवाचार: संयुक्त शोध कार्य और ज्ञान का आदान-प्रदान, जिससे फसल उत्पादन बढ़े और आधुनिक खेती के तरीकों में सुधार हो सके।
- पशु स्वास्थ्य और उत्पादन: पशुओं की सेहत, प्रजनन और पोषण पर सहयोग, ताकि पशुधन की उत्पादकता और गुणवत्ता में वृद्धि हो सके।
- फसल कटाई उपरांत प्रबंधन: कृषि उत्पादों के संभाल, भंडारण, प्रसंस्करण और विपणन की बेहतर तकनीकों का विकास करना।
- मूल्य श्रृंखला विकास: कृषि मूल्य श्रृंखला को अधिक प्रभावी, टिकाऊ और लाभकारी बनाना।
- क्षमता निर्माण: किसानों, वैज्ञानिकों और कृषि विस्तार कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण व कौशल विकास कार्यक्रम।
भारत–भूटान संबंध:
भारत और भूटान के बीच संबंध भौगोलिक निकटता, सांस्कृतिक जुड़ाव और साझा रणनीतिक हितों पर आधारित हैं। यह संबंध न केवल विशेष बल्कि दीर्घकालिक और विश्वासपूर्ण भी है। कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में तकनीकी सहयोग से जुड़ा हालिया समझौता ज्ञापन इसी गहरे, समय-परीक्षित और परस्पर लाभकारी साझेदारी का सशक्त प्रमाण है।
द्विपक्षीय सहयोग की नींव:
1. संधि आधारित संबंध: भारत–भूटान मैत्री और सहयोग संधि (1949), जिसे 2007 में संशोधित किया गया, दोनों देशों के रिश्तों की कानूनी और कूटनीतिक आधारशिला है। यह संधि एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान सुनिश्चित करते हुए शांति, स्थिरता और आपसी सहयोग को बढ़ावा देती है।
2. आर्थिक संबंध: भारत, भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और प्रमुख निवेशक है। 2016 का व्यापार, वाणिज्य और पारगमन (Transit) समझौता भूटानी निर्यातों को भारत के रास्ते शुल्क-मुक्त पारगमन की सुविधा प्रदान करता है, जिससे भूटान की आर्थिक स्थिरता और विकास को मजबूती मिलती है।
3. विकासात्मक सहयोग: भूटान के समग्र विकास में भारत की भूमिका अहम है। भारत ने भूटान की पंचवर्षीय योजनाओं के बड़े हिस्से को वित्तीय सहायता दी है। यह सहयोग बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा और डिजिटल द्रुकयुल (Digital Drukyul) जैसी डिजिटल पहलों तक फैला हुआ है।
4. रक्षा और सुरक्षा सहयोग: भूटान के पास न तो वायुसेना है और न ही नौसेना, इसलिए वह सैन्य प्रशिक्षण, उपकरण और वायु सुरक्षा के लिए भारत पर निर्भर है। भारत भूटानी अधिकारियों को अपने सैन्य संस्थानों में प्रशिक्षण देकर उसकी सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करता है।
5. डिजिटल सहयोग और कनेक्टिविटी: भारत, फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क, ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म और क्षमता निर्माण के माध्यम से भूटान की डिजिटल प्रगति का सहयोगी है। यह पहल डिजिटल द्रुकयुल मिशन (Digital Drukyul mission) के अंतर्गत आगे बढ़ाई जा रही है।
6. रणनीतिक भौगोलिक स्थिति: भारत और चीन के बीच स्थित भूटान की भौगोलिक स्थिति अत्यंत रणनीतिक है। डोकलाम क्षेत्र, जो चुंबी घाटी के पास है, विशेष रूप से संवेदनशील है क्योंकि यह भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर (जिसे "चिकन नेक" कहा जाता है) के बेहद करीब है।
निष्कर्ष:
2025 का भारत–भूटान कृषि समझौता केवल तकनीकी सहयोग का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह उस व्यापक रणनीतिक और विकासात्मक साझेदारी का हिस्सा है जो दोनों देशों के रिश्तों को निरंतर मजबूत बनाए रखती है। ऐसे समय में जब भूटान अन्य वैश्विक साझेदारों (जैसे चीन) के साथ भी संबंध बढ़ा रहा है, कृषि, डिजिटल अवसंरचना और रक्षा जैसे अहम क्षेत्रों में भारत का सक्रिय, संवेदनशील और भरोसेमंद सहयोग उसे भूटान का सबसे विश्वसनीय साथी सिद्ध करता है। यह समझौता भारत की क्षेत्रीय कूटनीति और दक्षिण-दक्षिण सहयोग (South-South Cooperation) का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।