सन्दर्भ:
हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की कि भारत अब विश्व का तीसरा सबसे बड़ा वाहन निर्माता देश बन गया है। यह घोषणा उन्होंने नई दिल्ली में आयोजित चौथे अंतरराष्ट्रीय बीबीबी समिट एवं एक्सपो ऑन बायोएनर्जी वैल्यू चेन के दौरान की। यह उपलब्धि भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र की तीव्र वृद्धि और वैश्विक मंच पर इसके विस्तार की संभावनाओं को रेखांकित करती है।
चौथे अंतरराष्ट्रीय बीबीबी शिखर सम्मेलन और एक्सपो के बारे में:
चौथा अंतरराष्ट्रीय बीबीबी शिखर सम्मेलन और एक्सपो भारत की जैव-ऊर्जा मूल्य श्रृंखला पर केंद्रित था। इस आयोजन में जैव-ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने भाग लिया और भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नवाचारपूर्ण समाधानों की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही, उन्होंने पर्यावरणीय संतुलन और सतत विकास को सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता भी रेखांकित की।
भारत का वैश्विक ऑटोमोबाइल उद्योग में स्थान:
हाल के वर्षों में भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र ने बड़ी तरक्की की है। अब भारत चीन और अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वाहन निर्माता बन गया है। यह उपलब्धि घरेलू मांग में बढ़ोतरी, तकनीकी विकास और निर्यात में उछाल के कारण संभव हो सकी है।
भारत का वैश्विक वाहन बाज़ार में बढ़ता योगदान:
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- आर्थिक योगदान: भारत का ऑटोमोबाइल क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 7.1% का योगदान करता है, साथ ही यह कुल निर्यात में लगभग 4.7% हिस्सेदारी रखता है।
- रोज़गार सृजन: यह उद्योग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 1.9 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है, जिससे यह देश के सबसे बड़े रोजगार प्रदाताओं में से एक बन गया है।
- उत्पादन में ऐतिहासिक उपलब्धि: वित्त वर्ष 2022–23 के दौरान भारत में कुल 2.59 करोड़ वाहनों का निर्माण हुआ, जिनमें यात्री वाहन, दोपहिया वाहन और व्यावसायिक वाहन शामिल हैं।
- निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि: वर्ष 2022–23 में भारत ने कुल 47.6 लाख वाहन निर्यात किए, जिसमें विशेष रूप से दोपहिया वाहनों का प्रमुख योगदान रहा। इससे भारत एक महत्वपूर्ण वैश्विक वाहन निर्यातक के रूप में स्थापित हुआ है।
- आर्थिक योगदान: भारत का ऑटोमोबाइल क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 7.1% का योगदान करता है, साथ ही यह कुल निर्यात में लगभग 4.7% हिस्सेदारी रखता है।
विकास को गति देने वाले प्रमुख खंड:
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- दो-पहिया वाहन: कम कीमत, ईंधन की बचत और ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती मांग के कारण भारत इस बाजार में अग्रणी है।
- यात्री वाहन: SUV वाहनों की मांग के चलते यह खंड तेज़ी से बढ़ रहा है।
- व्यावसायिक वाहन: भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा बसें बनाता है, ट्रैक्टर निर्माण में दूसरा और भारी ट्रकों के उत्पादन में तीसरे स्थान पर है।
- इलेक्ट्रिक वाहन (EVs): भारत का EV बाजार 2025 तक ₹50,000 करोड़ (लगभग $7.09 बिलियन) तक पहुँच सकता है, और 2030 तक इसमें $200 बिलियन से अधिक का निवेश संभावित है।
- दो-पहिया वाहन: कम कीमत, ईंधन की बचत और ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती मांग के कारण भारत इस बाजार में अग्रणी है।
विकास को बढ़ावा देने वाले कारण:
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- सरकारी पहल: ऑटोमोटिव मिशन प्लान 2026, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना और वाहन स्क्रैपेज नीति से निर्माण, निर्यात और स्वच्छ तकनीकों को बढ़ावा मिल रहा है।
- बुनियादी ढांचे का विकास: ‘गति शक्ति योजना’ के तहत राष्ट्रीय राजमार्गों का विस्तार और EV चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना से उद्योग को सहारा मिल रहा है।
- नीतिगत समर्थन: FAME (हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों की तेज़ी से अपनाने और निर्माण की योजना) जैसी योजनाएं EV और स्वच्छ तकनीकों को बढ़ावा देती हैं।
- सरकारी पहल: ऑटोमोटिव मिशन प्लान 2026, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना और वाहन स्क्रैपेज नीति से निर्माण, निर्यात और स्वच्छ तकनीकों को बढ़ावा मिल रहा है।
निष्कर्ष:
भारत का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वाहन निर्माता बनना देश के आर्थिक विकास और औद्योगिक विस्तार के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। ऑटोमोबाइल क्षेत्र का विस्तार रोज़गार, निर्यात और नवाचार को बढ़ावा देगा। हालांकि, इस विकास को टिकाऊपन और ऊर्जा दक्षता के साथ संतुलित करना एक बड़ी चुनौती भी है।