संदर्भ:
हाल ही में 3 नवंबर 2025 को भारत और बहरीन ने नई दिल्ली में अपनी पाँचवीं उच्च संयुक्त आयोग की बैठक आयोजित की। इस बैठक की सह-अध्यक्षता भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और बहरीन के विदेश मंत्री डॉ. अब्दुल लतीफ बिन रशीद अज़ ज़यानी ने की। बैठक का मुख्य उद्देश्य रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और निवेश जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को और मज़बूत करना था।
मुख्य निष्कर्ष और विकास:
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- रक्षा एवं सुरक्षा: दोनों देशों ने रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने पर सहमति जताई। भारत और बहरीन ने ख़ुफ़िया जानकारी साझा करने, क्षमता निर्माण और अन्य सहयोगात्मक उपायों के माध्यम से आतंकवाद से मिलकर मुकाबला करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
- व्यापार और निवेश: व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) पर वार्ता शुरू हो चुकी है। द्विपक्षीय निवेश संधि में प्रगति हो रही है और दोनों पक्ष दोहरे कराधान से बचाव समझौते (Double Taxation Avoidance Agreement – DTAA) की दिशा में भी काम करने पर सहमति जताई।
- सहयोग के अन्य क्षेत्र: स्वास्थ्य, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, वित्तीय प्रौद्योगिकी, संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा हुई। इसके अतिरिक्त, भारत ने बहरीन के नागरिकों की यात्रा को और सुगम बनाने के लिए ई-वीज़ा प्रणाली शुरू की है।
- रक्षा एवं सुरक्षा: दोनों देशों ने रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने पर सहमति जताई। भारत और बहरीन ने ख़ुफ़िया जानकारी साझा करने, क्षमता निर्माण और अन्य सहयोगात्मक उपायों के माध्यम से आतंकवाद से मिलकर मुकाबला करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
रणनीतिक महत्व:
1. क्षेत्रीय सुरक्षा: रक्षा सहयोग को मज़बूत करने से समुद्री मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी, जो वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति के लिए बेहद अहम हैं।
2. भूराजनीतिक संतुलन: बहरीन के साथ भारत की बढ़ती भागीदारी से भारत को खाड़ी क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी।
3. आर्थिक विविधीकरण: व्यापार और निवेश पर हुई चर्चाएँ भारत की आर्थिक कूटनीति को मज़बूत करती हैं, साथ ही यह बहरीन के आर्थिक विविधीकरण के लक्ष्यों को भी सहयोग देती हैं।
भारत–बहरीन संबंधों के बारे में:
भारत और बहरीन के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध 1971 में बहरीन की स्वतंत्रता के तुरंत बाद स्थापित हुए। भारत ने जनवरी 1973 में मनामा (बहरीन की राजधानी) में अपना दूतावास स्थापित किया, जबकि बहरीन ने मार्च 2007 में नई दिल्ली में अपना दूतावास खोला।
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- दोनों देशों के बीच व्यापार लगातार बढ़ रहा है, हाल के वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार लगभग 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर के आसपास रहा है।
- विशेष रूप से क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे और अरब खाड़ी में अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण बहरीन, खाड़ी क्षेत्र में भारत का एक प्रमुख साझेदार है।
- दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी सहयोग के क्षेत्र में घनिष्ठ संबंध हैं।
- भारत, खाड़ी सहयोग परिषद (Gulf Cooperation Council – GCC) में बहरीन के सहयोग को अत्यंत महत्वपूर्ण मानता है और इसे अपनी व्यापक खाड़ी एवं हिंद महासागर क्षेत्रीय रणनीति का अभिन्न हिस्सा समझता है।
- दोनों देशों के बीच व्यापार लगातार बढ़ रहा है, हाल के वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार लगभग 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर के आसपास रहा है।
निष्कर्ष:
भारत–बहरीन की यह वार्ता दोनों देशों के बीच गहरे रणनीतिक और आर्थिक सहयोग की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाती है। रक्षा सहयोग और व्यापारिक साझेदारी को सुदृढ़ करके भारत और बहरीन न केवल अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने और आपसी समृद्धि को भी आगे बढ़ाना चाहते हैं। यह संवाद भारत के उस व्यापक प्रयास का हिस्सा है जिसके अंतर्गत वह खाड़ी और हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी साझेदारियों को और गहरा तथा व्यापक बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है।

