संदर्भ:
भारत ने 6 से 8 जुलाई 2025 तक ब्राज़ील में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया। लगभग 60 वर्षों में यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की ब्राज़ील की पहली आधिकारिक यात्रा थी। इस सम्मेलन में मिस्र, इथियोपिया, ईरान, इंडोनेशिया, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे छह नए देशों ने शामिल होकर ब्रिक्स का विस्तार किया। इस विस्तार से ब्रिक्स की वैश्विक जनसंख्या और अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी बढ़ गई है, जिससे यह समूह वैश्विक दक्षिण (Global South) के लिए एक सशक्त मंच बन गया है।
मुख्य बिंदु:
1. ब्रिक्स नेताओं की घोषणा (डिक्लेरेशन):
इस सम्मेलन में जो साझा घोषणा पत्र अपनाया गया, उसमें भारत की प्राथमिकताओं को शामिल किया गया:
· सीमा पार आतंकवाद की कड़ी निंदा।
· वैश्विक शासन संस्थाओं में तत्काल सुधार की आवश्यकता पर बल, ताकि वे अधिक प्रतिनिधित्वशील बन सकें।
2. बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार की मांग:
भारत ने कहा कि दुनिया की अधिकांश आबादी को प्रमुख वैश्विक संस्थाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। उसने ब्रिक्स से आग्रह किया कि यह समूह एकजुट होकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे संगठनों में सुधार की मांग करे।
3. भारत के चार प्रमुख प्रस्ताव:
भारत ने ब्रिक्स सहयोग को मजबूत करने के लिए चार मुख्य सुझाव दिए:
· प्रणाली और विश्वसनीयता में सुधार: निर्णय लेने की प्रक्रिया मांग आधारित हो, वित्तीय रूप से टिकाऊ हो और ब्रिक्स की क्रेडिट रेटिंग मजबूत बनी रहे।
· सहयोगात्मक अनुसंधान: ब्रिक्स विज्ञान और अनुसंधान भंडार (repository) की स्थापना का प्रस्ताव, जिससे सभी सदस्य देशों और वैश्विक दक्षिण को लाभ हो।
· लचीली आपूर्ति श्रृंखलाएँ: महत्त्वपूर्ण खनिजों और प्रौद्योगिकी की आपूर्ति शृंखलाओं को सुरक्षित और विविध बनाना ताकि निर्भरता कम हो और स्थिरता बनी रहे।
· जिम्मेदार कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): ऐसी AI विकसित करना जो मानव क्षमताओं को बढ़ाए, “AI for All” की भावना से निर्देशित हो।
4. द्विपक्षीय बैठकें:
भारत ने बोलीविया और उरुग्वे के नेताओं से मुलाकात कर व्यापार, ऊर्जा, रक्षा, अंतरिक्ष, कृषि और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की।
ब्रिक्स का स्वरूप:
ब्रिक्स की शुरुआत 2006 में BRIC (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन) के रूप में हुई थी, जिसमें 2010 में दक्षिण अफ्रीका भी शामिल हो गया। तब से हर साल शिखर सम्मेलन आयोजित होते हैं। ब्रिक्स का फोकस तीन प्रमुख स्तंभों पर है:
· राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग
· आर्थिक और वित्तीय सहयोग
· सांस्कृतिक और जन-जन के बीच संपर्क
बढ़ती प्रासंगिकता:
· नए सदस्यों के साथ ब्रिक्स अब दुनिया की लगभग आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करता है।
· इसमें कई बड़े तेल उत्पादक देश शामिल हैं, जिससे इसकी ऊर्जा संबंधी ताकत बढ़ी है।
· विस्तार से किसी एक देश का प्रभाव संतुलित हो सकता है और निष्पक्ष एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए समूहों की भूमिका मजबूत हो सकती है।
भारत-ब्राज़ील संबंध:
ब्राज़ील दक्षिण अमेरिका में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। 2024–25 में द्विपक्षीय व्यापार $12.2 अरब तक पहुंच गया। दोनों देशों के संबंध पुर्तगाली उपनिवेश काल से हैं और सांस्कृतिक तथा आर्थिक आदान-प्रदान ने इन रिश्तों को आकार दिया है। आज दोनों देशों के बीच आईटी, दवा, कृषि और ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग है।
निष्कर्ष:
2025 का ब्रिक्स सम्मेलन भारत के लिए वैश्विक दक्षिण की आवाज़ बनने और वैश्विक संस्थाओं में सुधार की उसकी प्रतिबद्धता दिखाने का अवसर बना। नए सदस्यों के साथ ब्रिक्स वैश्विक शासन में अधिक प्रभावशाली भूमिका निभाएगा और भारत को एक बहुध्रुवीय (multipolar) दुनिया में अपने रणनीतिक और आर्थिक हितों को आगे बढ़ाने का नया मंच मिलेगा।