संदर्भ:
भारत ने बच्चों की मृत्यु दर कम करने के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, जो वैश्विक औसत से बेहतर है। यह उपलब्धि दर्शाती है कि स्वास्थ्य सेवाओं में की गई योजनाबद्ध और केंद्रित पहलों का गहरा प्रभाव पड़ा है। संयुक्त राष्ट्र बाल मृत्यु दर आकलन समूह (UN IGME) की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर (U5MR) में 78% की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह गिरावट 61% रही है। इसी प्रकार, नवजात शिशुओं की मृत्यु दर (NMR) में भारत ने 70% की कमी हासिल की है, जबकि विश्व स्तर पर यह कमी 54% रही।
मुख्य तथ्य:
· पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में गिरावट: भारत में 78%, जबकि वैश्विक औसत 61% है।
· नवजात शिशु मृत्यु दर में गिरावट: भारत में 70%, जबकि वैश्विक स्तर पर यह गिरावट 54% रही।
· ‘शून्य-खुराक’ वाले बच्चों की संख्या में कमी: जिन बच्चों को एक भी टीका नहीं मिला, उनकी हिस्सेदारी 2023 में 0.11% थी, जो 2024 में घटकर 0.06% रह गई है। यह टीकाकरण सेवाओं की बेहतर पहुंच और प्रभावी कार्यान्वयन को दर्शाता है।
टीकाकरण की भूमिका:
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, टीकाकरण सबसे प्रभावशाली और कम लागत वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों में से एक है। भारत का सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunization Programme - UIP) हर वर्ष लगभग 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं और 2.6 करोड़ शिशुओं को निशुल्क टीके प्रदान करता है। इस कार्यक्रम ने रोकथाम योग्य बाल मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
इस पहल के प्रमुख तत्वों में शामिल हैं:
· दूरदराज और वंचित क्षेत्रों में टीकाकरण सेवाओं का विस्तार
· कोल्ड चेन (शीत श्रृंखला) अवसंरचना और सेवा वितरण तंत्र को सुदृढ़ करना
- समुदायों को जागरूक बनाना और टीकाकरण को लेकर विश्वास बढ़ाना
इस सफलता में योगदान देने वाली प्रमुख पहलें:
1. सर्वजन टीकाकरण कार्यक्रम (UIP): डिप्थीरिया, खसरा, टेटनस, पोलियो जैसे घातक रोगों से बचाव के लिए बच्चों और गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से निःशुल्क टीके प्रदान किए जाते हैं।
2. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA): प्रत्येक माह एक निर्धारित तिथि को गर्भवती महिलाओं को निशुल्क, व्यापक और गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व देखभाल उपलब्ध कराई जाती है।
3. जननी सुरक्षा योजना (JSY): गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने हेतु नकद सहायता प्रदान की जाती है, जिससे मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके।
4. मदर्स एब्सोल्यूट अफेक्शन (MAA) योजना: नवजात शिशुओं के बेहतर पोषण और स्वास्थ्य के लिए प्रारंभिक और पूर्ण स्तनपान को बढ़ावा देने पर केंद्रित यह योजना शिशु मृत्यु दर को कम करने में सहायक रही है।
आगे सुधार के लिए सुझाव:
· निवेश को प्राथमिकता देना: उन क्षेत्रों में विशेषकर सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर तथा पिछड़े इलाकों में संसाधनों को केंद्रित किया जाए जहाँ मृत्यु दर अब भी अधिक है।
· डेटा का प्रभावी उपयोग: ज़िला और उप-ज़िला स्तर पर उपलब्ध विस्तृत आंकड़ों के आधार पर योजनाओं को अधिक लक्षित और प्रभावशाली बनाया जाए तथा प्रगति की नियमित निगरानी सुनिश्चित की जाए।
· आयु-विशिष्ट हस्तक्षेप: शिशुओं की अलग-अलग आयु श्रेणियों के अनुसार कार्यक्रमों को डिजाइन किया जाए — जैसे नवजातों के लिए विशेष देखभाल, और शिशु/बाल्यावस्था में पोषण एवं विकास पर केंद्रित उपाय।
· डेटा प्रणाली को सशक्त बनाना: जन्म, मृत्यु और टीकाकरण कवरेज से जुड़ी सूचनाओं को सटीक और समयबद्ध रूप से एकत्र करने के लिए डेटा संग्रहण और निगरानी तंत्र को मज़बूत किया जाए।
आगे की राह:
भारत की यह उपलब्धि इस बात का सशक्त प्रमाण है कि जब नीतिगत प्रतिबद्धता, स्थानीय स्तर पर सक्रिय भागीदारी और मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली का समन्वय होता है, तो व्यापक और सकारात्मक बदलाव संभव होता है। हालांकि अब भी कई क्षेत्रों में निरंतर प्रयास की आवश्यकता है:
· प्रत्येक बच्चे तक टीकाकरण सेवाओं की पूर्ण पहुंच सुनिश्चित करना
· पोषण, स्वच्छता, मातृ शिक्षा और सामाजिक जागरूकता जैसे सामाजिक निर्धारकों पर समग्र दृष्टिकोण से कार्य करना
· तकनीकी समाधान अपनाकर निगरानी, मूल्यांकन और सेवा वितरण को और अधिक प्रभावशाली बनाना
संयुक्त राष्ट्र का सतत विकास लक्ष्य (SDG-3) यह सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखता है कि 2030 तक नवजातों और पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की रोकी जा सकने वाली मौतों का अंत हो सके। इस दिशा में भारत की प्रगति न केवल उल्लेखनीय है, बल्कि उन देशों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है जो बाल मृत्यु दर को कम करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधारने के लिए प्रयासरत हैं।