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Blog / 12 Jul 2025

भारत में सैटेलाइट इंटरनेट प्रदान करने के लिए स्टारलिंक को मिला लाइसेंस

संदर्भ:

IN-SPACe (इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर) ने आधिकारिक रूप से Starlink Satellite Communications Private Limited (SSCPL) को भारत में सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने के लिए पांच वर्ष का लाइसेंस प्रदान किया है। SSCPL, एलन मस्क की कंपनी SpaceX की पूर्ण स्वामित्व वाली भारतीय इकाई है।

  • यह लाइसेंस Starlink को अपने Low Earth Orbit (LEO) में स्थित Starlink Gen1 सैटेलाइट समूह के माध्यम से भारत में ब्रॉडबैंड सेवाएं देने की अनुमति देता है। यह लाइसेंस 8 जुलाई 2025 से प्रभावी होकर  पांच वर्ष की अवधि तक या Starlink Gen1 सैटेलाइट समूह की परिचालन अवधि समाप्त होने तक (जो भी पहले हो) वैध रहेगा।

स्टारलिंक जेन1 सैटेलाइट समूह के बारे में:

·         स्टारलिंक जेन1 नेटवर्क में कुल 4,408 उपग्रह शामिल हैं, जो पृथ्वी की सतह से 540 से 570 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित लो अर्थ ऑर्बिट में परिक्रमा कर रहे हैं।

·         यह नेटवर्क भारत में 600 जीबीपीएस तक की क्षमता वाली तेज़ ब्रॉडबैंड सेवा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

·         यह प्रणाली कम विलंबता (लो लेटेंसी) के साथ इंटरनेट सुविधा देती है, जो ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।

·         स्टारलिंक वर्ष 2022 से भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने का प्रयास कर रहा था, लेकिन नियमों और सुरक्षा से जुड़ी अड़चनों के कारण इसमें देरी हुई।

·         अंततः जून 2025 में स्टारलिंक को भारत के दूरसंचार विभाग (DoT) से उपग्रह संचार (सैटकॉम) सेवाएं प्रदान करने का लाइसेंस प्राप्त हुआ। इससे पहले यूटेलसैट वनवेब और जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशंस को यह लाइसेंस मिल चुका था।

starlink working in india

नियामकीय शर्तें और स्पेक्ट्रम आवंटन:

हालांकि IN-SPACe द्वारा दिया गया लाइसेंस एक बड़ा कदम है, लेकिन वाणिज्यिक स्तर पर सेवा शुरू करने के लिए उपग्रह स्पेक्ट्रम आवंटन जरूरी है।

TRAI (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ने हाल ही में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के मूल्य निर्धारण, नीलामी प्रक्रिया और लाइसेंस शर्तों पर अपनी सिफारिशें दी हैं। अब अंतिम फैसला DoT को लेना है।

साथ ही, DoT ने विदेशी सैटेलाइट ऑपरेटरों के लिए कुछ सख्त सुरक्षा शर्तें रखी हैं:

  • भारत में पंजीकृत सैटेलाइट कनेक्शन का सीमापार उपयोग प्रतिबंधित होगा।
  • भारतीय डेटा संप्रभुता नियमों का पालन करना होगा।
  • भारत में ही ग्राउंड स्टेशन और गेटवे स्थापित करने होंगे।
  • संबंधित खुफिया एजेंसियों से राष्ट्रीय सुरक्षा मंजूरी लेनी होगी।

लक्षित बाजार, कीमतें और क्षेत्रीय विस्तार:

Starlink की सेवाएं विशेष रूप से ग्रामीण, दूरदराज़ और भौगोलिक रूप से कठिन इलाकों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई हैं, जहां पारंपरिक फाइबर ऑप्टिक या मोबाइल नेटवर्क या तो मौजूद नहीं हैं या फिर उनकी गुणवत्ता भरोसेमंद नहीं है।

यह पहल भारत सरकार की "डिजिटल इंडिया" मुहिम का समर्थन करती है, जिसका उद्देश्य देश के हर कोने तक इंटरनेट पहुंचाना है। यह सेवा सरकारी कार्यालयों, स्कूलों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों जैसे सार्वजनिक संस्थानों के लिए भी अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकती है।

अनुमानित कीमतें (टैक्स और सरकारी शुल्क को छोड़कर):

  • हार्डवेयर (डिश और मॉडेम): ₹60,000 (एकमुश्त)
  • मासिक सेवा शुल्क: ₹3,500

Starlink पहले से ही भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका (जहां जुलाई 2025 में सेवा की मंजूरी मिली) जैसे पड़ोसी देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है, जिससे उसका क्षेत्रीय नेटवर्क लगातार विस्तार कर रहा है।

IN-SPACe के बारे में:

  • पूरा नाम: इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर
  • स्थापना: 24 जून 2020
  • मुख्यालय: अहमदाबाद, गुजरात, भारत
  • भूमिका: IN-SPACe एक स्वायत्त एजेंसी है जो भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत कार्य करती है। इसका उद्देश्य है कि भारत में निजी कंपनियों को अंतरिक्ष क्षेत्र में भागीदारी करने के लिए प्रोत्साहित, अनुमोदित और विनियमित करना।
  • यह एजेंसी भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरिक्ष नीति दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करते हुए भारतीय और विदेशी कंपनियों के वाणिज्यिक अंतरिक्ष कार्यों को समर्थन देती है।