होम > Blog

Blog / 08 Oct 2025

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट

संदर्भ:

हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने 1995 के कोपेनहेगन शिखर सम्मेलन की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर सामाजिक विकास के लिए आयोजित द्वितीय विश्व शिखर सम्मेलन से पहले "सामाजिक न्याय की स्थिति: एक प्रगति यात्रा" शीर्षक से रिपोर्ट जारी की।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:

·         गरीबी में कमी: अत्यंत गरीबी दर 1995 में 39% से घटकर 2025 में 10% हो गई है।

·         बाल श्रम: 5–14 वर्ष की आयु के बच्चों में बाल श्रम की संख्या 1995 में 2.5 करोड़ से घटकर 2025 में 1.06 करोड़ हो गई है।

·         कार्यरत गरीबी: कामकाजी लोगों में गरीबी का प्रतिशत 2000 में 28% से घटकर 2025 में 7% हो गया है।

·         सामाजिक सुरक्षा: वैश्विक जनसंख्या का 50% से अधिक हिस्सा अब किसी न किसी रूप में सामाजिक संरक्षण के दायरे में है।

UPSC Current Affairs: ILO's “State of Social Justice 2025” – Key Findings &  India's Progress

जारी असमानताएँ:

इन प्रगति के बावजूद महत्वपूर्ण असमानताएँ बनी हुई हैं:

·         धन वितरण: वैश्विक आबादी का शीर्ष 1% हिस्सा 20% वैश्विक आय और 38% वैश्विक संपत्ति पर नियंत्रण रखता है।

·         लैंगिक वेतन अंतर: महिलाएँ औसतन पुरुषों की तुलना में केवल 78% कमाती हैं; इस दर से इसे कम करने में 50–100 साल लग सकते हैं।

·         जन्म के आधार पर असमानता: आय असमानता का 55% व्यक्ति के जन्मस्थान पर निर्भर है, जो वैश्विक स्तर पर स्थानिक भेदभाव को दर्शाता है।

उभरती वैश्विक चुनौतियाँ:

·         दुनिया में तेजी से पर्यावरणीय, डिजिटल और जनसांख्यिकीय बदलाव हो रहे हैं, जो श्रम बाजारों और रोजगार के स्वरूप को बदल रहे हैं।

o    जलवायु नीतियाँ और पर्यावरणीय परिवर्तन विशेष रूप से कार्बन-प्रधान क्षेत्रों के श्रमिकों के लिए जोखिम पैदा कर रहे हैं, खासकर जब उचित न्यायसंगत संक्रमणयोजनाएँ उपलब्ध न हों।

o    डिजिटल बदलाव से तकनीक और गुणवत्तापूर्ण रोजगार तक पहुंच में असमानताएँ बढ़ सकती हैं।

o    जनसांख्यिकीय परिवर्तन, जैसे वृद्ध होती आबादी और कुछ क्षेत्रों में युवा वृद्धि, सामाजिक सुरक्षा प्रणाली और श्रम बाजारों पर अतिरिक्त दबाव डाल रहे हैं।

भारत की प्रगति और चुनौतियाँ:

भारत ने कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है:

·         गरीबी में कमी: भारत में बहुआयामी गरीबी 2013–14 में 29% से घटकर 2022–23 में 11% रह गई है।

·         शिक्षा: 2024 तक माध्यमिक विद्यालय पूर्णता दर 79% तक पहुँच गई है, जबकि महिला साक्षरता दर 77% दर्ज की गई है।

हालाँकि, देश में कुछ गंभीर चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं:

·         लैंगिक असमानता: पुरुषों और महिलाओं के बीच वेतन अंतर अभी भी व्यापक है, साथ ही लैंगिक हिंसा भी एक प्रमुख सामाजिक चिंता बनी हुई है।

·         जाति आधारित भेदभाव: विभिन्न जाति समूहों के बीच शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और रोजगार के अवसरों में असमानताएँ बनी हुई हैं।

·         डिजिटल विभाजन: डिजिटल तकनीकों तक समान पहुँच का अभाव है, जिससे वंचित समुदायों को डिजिटल समावेशन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

सिफ़ारिशें:

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) सामाजिक न्याय के प्रति एक नया और निर्णायक संकल्प लेने का आह्वान करता है। यह समावेशी नीति निर्माण की आवश्यकता पर जोर देता है, जिसमें वित्त, उद्योग, जलवायु और स्वास्थ्य क्षेत्रों में सामाजिक न्याय को शामिल किया जाए।

·         सामाजिक अनुबंध को मजबूत करना, कौशल प्रशिक्षण में निवेश करना, उचित वेतन निर्धारण और ठोस सामाजिक सुरक्षा प्रणाली विकसित करना महत्वपूर्ण हैं।

·         वैश्विक सहयोग अनिवार्य है ताकि अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियों का सामना किया जा सके और आर्थिक लाभों का समान वितरण सुनिश्चित किया जा सके, जिससे मजबूत और समावेशी समाज का निर्माण हो।

निष्कर्ष:

यह रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि नीति निर्माण की प्रत्येक प्रक्रिया में सामाजिक न्याय को केंद्र में रखना आवश्यक है, जिससे समान, न्यायसंगत और समावेशी विकास सुनिश्चित किया जा सके। यद्यपि वैश्विक स्तर पर उल्लेखनीय प्रगति हुई है, फिर भी रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि स्थायी सामाजिक न्याय प्राप्त करने के लिए असमानताओं को दूर करने और समान अवसरों को बढ़ावा देने की दिशा में निरंतर प्रयास आवश्यक हैं।