संदर्भ:
अहमदाबाद में एयर इंडिया के बोइंग 787 ड्रीमलाइनर की दुखद दुर्घटना ने डीएनए पहचान को एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया के रूप में सामने लाया है। जब किसी बड़ी आपदा में शव जल जाते हैं या बुरी तरह क्षत-विक्षत हो जाते हैं, तब पारंपरिक तरीकों से पहचान करना लगभग असंभव हो जाता है। ऐसे कठिन हालात में डीएनए परीक्षण एकमात्र वैज्ञानिक और विश्वसनीय माध्यम बन जाता है, जो मृतकों की सटीक पहचान सुनिश्चित करता है।
डीएनए पहचान क्यों महत्वपूर्ण है?
हर व्यक्ति का डीएनए (एक जैसे जुड़वां को छोड़कर) पूरी तरह से अलग होता है और यह शरीर की लगभग हर कोशिका में मौजूद रहता है। बड़े हादसों, जब शव इस कदर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं कि चेहरा या अन्य पहचान के संकेत नहीं बचते, तब पारंपरिक तरीकों से पहचान कर पाना संभव नहीं होता। ऐसे में डीएनए परीक्षण एकमात्र वैज्ञानिक, सटीक और भरोसेमंद तरीका बन जाता है, जो शवों की सही पहचान करके उन्हें उनके परिजनों से मिलाने का काम करता है।
डीएनए विश्लेषण की प्रमुख विधियाँ:
आपदाओं के बाद शवों से प्राप्त नमूनों की स्थिति और गुणवत्ता के आधार पर विभिन्न प्रकार की डीएनए जांच की जाती है। प्रत्येक विधि की अपनी विशेषता और उपयोग का क्षेत्र होता है:
· शॉर्ट टेंडेम रिपीट (STR) विश्लेषण: यह सबसे सामान्य तकनीक है, जिसमें न्यूक्लियर डीएनए के छोटे-छोटे दोहराए जाने वाले अनुक्रमों का विश्लेषण किया जाता है। ये अनुक्रम हर व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं, जिससे सटीक पहचान संभव होती है।
· माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (mtDNA) विश्लेषण: जब न्यूक्लियर डीएनए उपलब्ध नहीं होता या बहुत अधिक क्षतिग्रस्त होता है, तब यह तकनीक उपयोग में लाई जाती है। यह मां से बच्चों को मिलने वाले डीएनए का अध्ययन करती है और विशेष रूप से लंबी अवधि से क्षयग्रस्त अवशेषों की पहचान में सहायक होती है।
· वाई-क्रोमोज़ोम STR विश्लेषण: यह विश्लेषण पुरुषों में पाए जाने वाले वाई-क्रोमोज़ोम पर आधारित होता है, जो पिता से बेटे को मिलता है। इससे मृत व्यक्ति की पहचान उसके पितृ पक्ष के पुरुष परिजनों से की जा सकती है।
· सिंगल न्यूक्लियोटाइड पॉलिमॉरफिज्म (SNP) विश्लेषण: जब डीएनए बहुत अधिक विखंडित या नष्ट हो चुका हो, तब यह विधि सहायक होती है। इसमें डीएनए अनुक्रमों में पाए जाने वाले एकल अणविक बदलावों का अध्ययन किया जाता है, जो व्यक्ति-विशिष्ट पहचान सुनिश्चित करने में मदद करते हैं।
डीएनए क्या होता है?
डीएनए (डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) एक अति सूक्ष्म अणु है, जो किसी भी जीव की जीवन प्रक्रिया, विकास और वंशानुगत गुणों के संचरण के लिए आवश्यक सभी आनुवंशिक सूचनाएँ संग्रहीत करता है। यह मुख्य रूप से कोशिकाओं के नाभिक (nucleus) में पाया जाता है, जबकि उसकी थोड़ी मात्रा माइटोकॉन्ड्रिया में भी मौजूद होती है।
डीएनए की संरचना:
डीएनए का आकार एक डबल हेलिक्स (दोहरी कुंडल) होता है, जो एक मुड़ी हुई सीढ़ी जैसा दिखता है। इसकी संरचना निम्नलिखित भागों से मिलकर बनी होती है:
· बैकबोन (कंकाल): इसमें शक्कर (डिऑक्सीराइबोज़) और फॉस्फेट अणु एक-दूसरे से रूप में जुड़े होते हैं।
· नाइट्रोजन बेस: डीएनए में चार प्रकार के नाइट्रोजन बेस होते हैं —
एडेनिन (A), थाइमिन (T), साइटोसिन (C), और ग्वानिन (G)।
· बेस पेयरिंग (जोड़ी बनाने का नियम):
ये बेस एक-दूसरे से विशिष्ट नियमों के आधार पर जुड़ते हैं:
एडेनिन (A) हमेशा थाइमिन (T) से, और साइटोसिन (C) हमेशा ग्वानिन (G) से जुड़ता है।
यही अनुक्रम व्यक्ति की अनूठी आनुवंशिक पहचान तय करता है।
डीएनए कैसे काम करता है:
- आनुवंशिक जानकारी को संग्रहीत करता है।
- प्रोटीन बनाने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
- पीढ़ियों के बीच लक्षणों का स्थानांतरण करता है।
- कोशिकाओं के कामकाज और विकास को नियंत्रित करता है।
डीएनए का महत्व:
1. फोरेंसिक विज्ञान (अपराध जांच):
- अपराध सुलझाना: अपराध स्थल से मिले डीएनए की तुलना संदिग्धों से की जाती है।
- पितृत्व परीक्षण: जैविक संबंधों की पुष्टि करता है।
- लापता व्यक्ति: आपदाओं या जांच में अवशेषों की पहचान कर उनके परिवार से मिलाता है।
- न्याय: जिन लोगों को गलत तरीके से दोषी ठहराया गया हो, उन्हें निर्दोष साबित करता है।
2. चिकित्सा (स्वास्थ्य):
- अनुवांशिक अनुसंधान: बीमारियों को समझने और उनका इलाज खोजने में मदद करता है।
- जीन थेरेपी: दोषपूर्ण जीन को सुधारता है।
- व्यक्तिगत इलाज: हर व्यक्ति के डीएनए के अनुसार इलाज तैयार किया जाता है।
3. कृषि (खेती-बाड़ी):
- बेहतर फसलें: उत्पादन बढ़ाने, पोषण सुधारने और बीमारियों से लड़ने में मदद करता है।
- पशु पालन: आनुवंशिक चयन से पशुओं की गुणवत्ता बढ़ाई जाती है।
- कीट नियंत्रण: कीड़ों की पहचान कर उनके विरुद्ध सटीक उपाय किए जाते हैं।