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Blog / 24 Oct 2025

210 माओवादी कैडरों का ऐतिहासिक सामूहिक आत्मसमर्पण

संदर्भ:

हाल ही में छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के जगदलपुर स्थित रिज़र्व पुलिस लाइन में कुल 210 माओवादी (जिनमें 110 महिलाएँ शामिल थीं) ने सामूहिक आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लिया।

पुना मार्गेमसमारोह:

इस आत्मसमर्पण कार्यक्रम को पुना मार्गेम’ (पुनर्वास का मार्ग) नाम दिया गया, जो माओवादियों के मुख्यधारा में लौटने का प्रतीकात्मक आयोजन था। इस दौरान आत्मसमर्पण करने वाले हर व्यक्ति को भारतीय संविधान की एक प्रति और एक गुलाब का फूल दिया गया, जो शांति और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी नई प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

आत्मसमर्पण के पीछे कारण:

माओवादियों के आत्मसमर्पण के कई मुख्य कारण रहे

·         आंतरिक मतभेद: संगठन के शीर्ष नेतृत्व से बढ़ती असहमति, गुटबाजी और पारदर्शिता की कमी के कारण कई कैडर निराश और असंतुष्ट हो गए।

·         सुरक्षा दबाव: हाल के महीनों में सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाइयों और अभियानों में भारी नुकसान से माओवादियों का मनोबल कमजोर हुआ।

·         शांति और सम्मानपूर्ण जीवन की आकांक्षा: लंबे समय तक हिंसा और कठिन जीवन के बाद अब सम्मानजनक और शांतिपूर्ण जीवन जीने की सामूहिक इच्छा बढ़ी।

सामूहिक आत्मसमर्पण के प्रभाव:

1.        नक्सल विरोधी रणनीति में बड़ा परिवर्तन: यह सामूहिक आत्मसमर्पण छत्तीसगढ़ की नक्सल विरोधी नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है। राज्य अब केवल दंडात्मक अभियानों पर निर्भर रहने के बजाय संवाद, पुनर्वास और सामाजिक पुनर्स्थापन को प्राथमिकता दे रहा है। इस मानवीय दृष्टिकोण से अबूझमाड़ और उत्तरी बस्तर जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में माओवादी गतिविधियाँ उल्लेखनीय रूप से घटी हैं। यह रणनीति केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस लक्ष्य के अनुरूप है, जिसमें मार्च 2026 तक माओवाद का पूर्ण उन्मूलन करने की बात कही गई है, बशर्ते माओवादी हिंसा का रास्ता त्याग दें।

2.      समुदाय के साथ भरोसे और सहयोग में वृद्धि: पुना मार्गेमपहल ने सरकार और स्थानीय समुदायों के बीच विश्वास और संवाद की नई नींव रखी है। आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के इस प्रयास से यह स्पष्ट संदेश गया है कि सरकार शांति, विकास और पुनर्वास के लिए गंभीरता से प्रतिबद्ध है। इस सकारात्मक वातावरण ने अन्य सक्रिय माओवादियों को भी हथियार छोड़कर समाज में लौटने की प्रेरणा दी है।

Left-Wing Extremism and the Red Corridor: India's Prolonged Internal  Security Challenge

वामपंथी उग्रवाद (LWE) के बारे में:

·        वामपंथी उग्रवाद (Left-Wing Extremism - LWE) भारत में माओवादी विचारधारा पर आधारित राजनीतिक हिंसा का एक रूप है, जिसका लक्ष्य सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से राज्य को कमजोर करना है। यह समस्या मुख्य रूप से अविकसित और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में फैली है, जिन्हें रेड कॉरिडोरके नाम से जाना जाता है। माओवादी अक्सर सुरक्षा बलों, सरकारी ढाँचों और आम नागरिकों को अपना निशाना बनाते हैं।

·        इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार ने बहुआयामी रणनीति अपनाई है, जिसमें न केवल सुरक्षा अभियान, बल्कि विकास योजनाएँ, शिक्षा, रोजगार और सामाजिक कल्याण कार्यक्रम भी शामिल हैं। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य केवल हिंसा को दबाना नहीं, बल्कि समाज के पीछे छिपी जड़ें और असमानताएँ दूर कर स्थायी शांति स्थापित करना भी है।

निष्कर्ष:

जगदलपुर में 210 माओवादी कैडरों का सामूहिक आत्मसमर्पण छत्तीसगढ़ के वामपंथी उग्रवाद (LWE) समाप्त करने के प्रयासों में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह घटनाक्रम स्पष्ट करता है कि संवाद, पुनर्वास और शांति पहलें हिंसा की जड़ों को कम करने और स्थायी समाधान खोजने में कितनी प्रभावी हो सकती हैं। यह घटना न केवल राज्य की सुरक्षा रणनीति में नया दृष्टिकोण पेश करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सहनशीलता, सहयोग और सामुदायिक भागीदारी पर आधारित नीतियाँ जटिल संघर्षों को सुलझाने में कितनी कारगर साबित होती हैं।