संदर्भ:
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने एक सम्मलेन के दौरान हिंदू विकास दर शब्द की आलोचना करते हुए कहा कि यह शब्द हिंदू जीवनशैली को बदनाम करने के लिए जानबूझकर फैलाया गया भ्रम है। यह आर्थिक ठहराव को धर्म या संस्कृति से जोड़ने वाला एक अनुचित लेबल है।
हिंदू विकास दर की परिभाषा:
· यह शब्द अर्थशास्त्री राज कृष्ण ने 1978 में प्रस्तुत किया था।
· इसका अर्थ स्वतंत्रता के बाद 1950 से 1980 तक भारत की औसत GDP वृद्धि दर है, जो लगभग 3.5% थी।
· इसे “हिंदू” इसलिए कहा गया क्योंकि यह एक सांस्कृतिक रूपक (metaphor) था, धार्मिक नहीं। इसका उद्देश्य यह दिखाना था कि इतने लंबे समय में, चाहे सरकारें बदलें, युद्ध हों या अन्य संकट हों, आर्थिक वृद्धि धीमी ही बनी रही।
अर्थशास्त्रियों के अनुसार प्रमुख कारण:
• भारी सरकारी नियंत्रण (लाइसेंस राज)
• प्रतिबंधात्मक आर्थिक नीतियाँ
• अत्यधिक नौकरशाही
1991 के बाद हुए आर्थिक उदारीकरण के चलते यह शब्द अप्रासंगिक हो गया।
स्वतंत्रता के बाद भारत की आर्थिक वृद्धि:
1. 1950–1964 (नेहरू युग):
• GDP वृद्धि दर: 4.1%, प्रति व्यक्ति आय वृद्धि: 1.9%
• यह दर चीन (2.9%) से अधिक थी, लेकिन दक्षिण कोरिया (6.1%) से कम।
• जनसंख्या वृद्धि औपनिवेशिक काल के 0.8% से बढ़कर 2% हो गई।
• यदि जनसंख्या इतनी तेजी से न बढ़ती, तो प्रति व्यक्ति आय 3% से अधिक हो सकती थी, जो 1820–1992 के दौरान अमेरिका और ब्रिटेन की दरों से भी बेहतर होती।
2. 1956–1975
• औसत वार्षिक GDP वृद्धि: 3.4%
• यह दर लगभग हिंदू विकास दर के बराबर थी।
3. 1975–1991
• औसत GDP वृद्धि: 5.6–5.8% अर्थात 1991 के उदारीकरण से पहले ही भारत ने हिंदू विकास दर से काफी अधिक स्थिति में था।
• इस सुधार का श्रेय जाता है:
o इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल के बाद किए गए सुधार
o राजीव गांधी के समय लागू नीतिगत ढील
o धातु, मशीनरी, रसायन, बिजली और परिवहन जैसे क्षेत्रों में क्षमता निर्माण
4. 1991 के बाद उदारीकरण
• उदारीकरण ने वृद्धि की गति और तेज कर दी।
• लेकिन अर्थशास्त्रियों का मानना है कि असली आर्थिक तेजी 1980 के दशक में ही शुरू हो चुकी थी।
आर्थिक वृद्धि की स्थिति:
अर्थशास्त्री बलदेव राज नायर (2006) के अनुसार:
• भारत ने 1991 से बहुत पहले ही हिंदू विकास दर को पीछे छोड़ दिया था।
• 1976–2006 के बीच GDP औसतन 5.6% रही अर्थात आर्थिक वृद्धि पहले से ही तेज हो चुकी थी।
• इसके विकास के प्रमुख कारणों में “आपातकाल के दौरान लागू आंशिक सुधार, 1980 के दशक में किए गए सुधार, विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में क्षमता निर्माण और नीति-स्तर पर किये गए बदलाव शामिल है।
निष्कर्ष:
"हिंदू विकास दर" शब्द 1978 में एक अर्थशास्त्री राज कृष्णा द्वारा भारत की धीमी जीडीपी वृद्धि दर (लगभग 3.5%) का वर्णन करने के लिए गढ़ा गया एक आर्थिक रूपक था। यह मुख्य रूप से लाइसेंस राज जैसी आर्थिक नीतियों के कारण था, न कि धर्म या संस्कृति के कारण। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में इस शब्द की आलोचना करते हुए इसे हिंदू जीवन शैली को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल की गई एक जानबूझकर की गई विकृति बताया है, जो आर्थिक ठहराव को धर्म या संस्कृति से अनुचित रूप से जोड़ती है।

