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Blog / 10 Nov 2025

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-II में रीसस मकाक को शामिल करने की मांग

संदर्भ:

हाल ही में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्ल्यूएल) की स्थायी समिति (जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव कर रहे हैं) ने रीसस मकाक (Rhesus Macaque) को फिर से वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-II में शामिल करने की सिफारिश की है। इस सिफारिश का उद्देश्य इस प्रजाति को अधिक कानूनी सुरक्षा प्रदान करना, अवैध व्यापार और क्रूरता पर रोक लगाना तथा वैज्ञानिक और नियंत्रित प्रबंधन प्रणाली को सशक्त बनाना है।

पृष्ठभूमि:

    • वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2022 के लागू होने के बाद, रीसस मकाक को अनुसूची-II से हटाकर कम सुरक्षा वाली श्रेणी में स्थानांतरित कर दिया गया था। यह श्रेणी अपेक्षाकृत कम सख्त संरक्षण प्रदान करती है।
    • इस श्रेणी के अंतर्गत आने वाले जानवरों से संबंधित अपराधों पर कम दंड का प्रावधान है, जिसके कारण वन अधिकारियों के लिए इन पर अत्याचार, अवैध पकड़ या व्यापार के विरुद्ध त्वरित कार्रवाई करना कठिन हो जाता है।

Everything You Need to Know About the Rhesus Macaque Monkey

प्रस्तावित स्थिति:

समिति ने सिफारिश की है कि रीसस मकाक को पुनः अनुसूची-II में शामिल किया जाए, जो संशोधित अधिनियम में विशेष रूप से संरक्षित प्रजातियों के लिए निर्धारित दो अनुसूचियों में से एक है। इस श्रेणी में शामिल प्रजातियों को अधिक सशक्त कानूनी सुरक्षा प्राप्त होती है।

प्रस्ताव के प्रभाव:

    • शिकार और व्यापार पर पूर्ण प्रतिबंध: अनुसूची-II में पुनः शामिल होने से रीसस मकाक का शिकार, पकड़ना या व्यापार पूर्णतः अवैध हो जाएगा, और उल्लंघन करने वालों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जा सकेगी।
    •  कड़े दंड का प्रावधान: इस श्रेणी में अपराधों के लिए अधिक जुर्माना और लंबी अवधि की कैद का प्रावधान होगा।
    • प्रवर्तन एजेंसियों को सशक्त बनाना: राज्य के वन विभागों और वन्यजीव प्राधिकरणों को क्रूरता, शोषण और अवैध पकड़ पर रोक लगाने तथा अपराधियों के विरुद्ध प्रभावी कानूनी कार्रवाई करने के लिए अधिक अधिकार प्राप्त होंगे।
    • वैज्ञानिक प्रबंधन का ढांचा: यह कदम इस प्रजाति के वैज्ञानिक और नियंत्रित प्रबंधन, जैसे संघर्ष निवारण, बचाव, पुनर्वास और जनसंख्या नियंत्रण, के लिए एक संगठित और अनुमोदित ढांचा प्रदान करेगा।

महत्व:

अनुसूची-II के अंतर्गत रीसस मकाक को पुनः शामिल किए जाने से:

    • क्रूरता और अवैध व्यापार के विरुद्ध कानूनी संरक्षण और अधिक सशक्त होगा।
    • वैज्ञानिक आधार पर संरक्षण और प्रबंधन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे प्रजाति के दीर्घकालिक अस्तित्व को सुनिश्चित किया जा सकेगा।
    • लक्षित संघर्ष निवारण रणनीतियों के निर्माण में सहायता मिलेगी, जिससे वन्यजीव संरक्षण और मानव हितों के बीच बेहतर संतुलन स्थापित किया जा सकेगा।

आगे की राह:

यह सिफारिश वर्तमान में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के विचार और अनुमोदन की प्रतीक्षा में है। यदि यह प्रस्ताव स्वीकृत होता है, तो यह कदम उन अन्य प्रजातियों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है जो समान प्रकार के खतरों और चुनौतियों का सामना कर रही हैं।

निष्कर्ष:

यह पहल भारत की पशु कल्याण, जैव विविधता संरक्षण और पारिस्थितिक संतुलन के प्रति उसकी दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाती है। साथ ही यह इस तथ्य को रेखांकित करती है कि मानव और वन्यजीव सह-अस्तित्व की चुनौतियों का समाधान केवल रणनीतिक, वैज्ञानिक और संतुलित प्रबंधन योजनाओं के माध्यम से ही संभव है। यदि इसे प्रभावी रूप से लागू किया गया, तो रीसस मकाक न केवल बेहतर रूप से संरक्षित रहेगा, बल्कि मानव-प्रधान क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाले संघर्षों को भी नियंत्रित किया जा सकेगा।