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Blog / 26 Nov 2025

हैली गुब्बी ज्वालामुखी 2025 विस्फोट – असर व राख बादल अपडेट | Dhyeya IAS

सन्दर्भ:

23 नवंबर 2025 को इथियोपिया के अफार क्षेत्र स्थित हेयली-गुब्बी ज्वालामुखी ने इतिहास में पहली बार विस्फोट किया। इस विस्फोट से उत्पन्न राख की ऊंचाई लगभग 14 किमी तक वायुमंडल में पहुँचा तथा यह राख लाल सागर को पार करते हुए यमन, ओमान, पाकिस्तान और उत्तर भारत तक फैल गई, जिससे व्यापक वायुमंडलीय प्रभाव देखने को मिले।

हेयली-गुब्बी ज्वालामुखी के विषय में:

    • हेयली-गुब्बी इथियोपिया के उत्तर-पूर्व में स्थित अफार क्षेत्र का एक शील्ड ज्वालामुखी है।
    • यह एर्टा एले पर्वतमाला (Erta Ale Range) का हिस्सा है और इस श्रृंखला का सबसे दक्षिणी ज्वालामुखी है।
    • यह क्षेत्र एक सक्रिय रिफ्ट ज़ोन में स्थित है विशेष रूप से अफार रिफ्ट, जो बड़े पूर्वी अफ्रीकी रिफ्ट सिस्टम का हिस्सा है।
    • अफार रिफ्ट एक त्रि-संधि क्षेत्र (triple junction) है, जहाँ नूबियन, सोमाली और अरबियन प्लेटें एक-दूसरे से दूर हो रही हैं। इससे यह क्षेत्र अत्यधिक भूगर्भीय रूप से अस्थिर और ज्वालामुखीय रूप से सक्रिय है।

Hayli Gubbi Volcano

ज्वालामुखी क्या होता है?

ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह में एक ऐसा छिद्र या दरार होता है जिससे पिघला हुआ पत्थर, गैसें और राख बाहर निकलती हैं।सतह के नीचे इसे मैग्मा,सतह पर पहुँचने पर लावा कहा जाता है।

ज्वालामुखी कैसे बनते हैं?

1. टेक्टोनिक प्लेट सीमाएँ

      • अपसरण सीमा : प्लेटें अलग होती हैं और मैग्मा ऊपर आकर जगह भरता है।
        उदाहरण: मिड-अटलांटिक रिज
      • अभिसरण सीमा (Convergent boundaries): एक प्लेट दूसरी के नीचे धँसती है, जिससे मैग्मा का निर्माण होता है।
        उदाहरण: पैसिफिक रिंग ऑफ फायर

2. हॉटस्पॉट (Hotspots):

मैग्मा मेंटल की गहराई से ऊपर उठता है और प्लेट सीमा से स्वतंत्र रूप से ज्वालामुखी बनाता है।
उदाहरण: हवाई द्वीप समूह

ज्वालामुखियों के प्रकार:

1.        शील्ड ज्वालामुखी :
चौड़े, ढलान वाले; पतले, तरल लावा से बनते हैं।
उदाहरण: मौना लोआ (हवाई)

2.      संयुक्त या स्तरीय ज्वालामुखी :
खड़े, शंक्वाकार; लावा प्रवाह और विस्फोट दोनों से बनते हैं।
उदाहरण: माउंट फ़ूजी, वेसुवियस

3.      सिंडर कोन :
छोटे, खड़े ढलान वाले; राख, पत्थरों और सिंडर से निर्मित।
उदाहरण: पैरिकुटिन (मेक्सिको)

4.     लावा डोम :
चिपचिपे लावा से बना गुंबदाकार ढांचा।
उदाहरण: माउंट सेंट हेलेन्स का लावा डोम

ज्वालामुखीय पदार्थ:

    • लावा: सतह पर बहता पिघला हुआ पत्थर।
    • पायरोक्लास्टिक पदार्थ: राख, सिंडर, ज्वालामुखीय बम।
    • गैसें: कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, जलवाष्प, हाइड्रोजन सल्फाइड।

ज्वालामुखीय भू-आकृतियाँ:

    • कैल्डेरा: बड़े गड्ढे, बड़े विस्फोट के बाद ज्वालामुखी के धँसने से बनते हैं।
    • क्रेटर: ज्वालामुखी के शीर्ष पर कटोरे जैसी संरचना।
    • लावा पठार: बार-बार के लावा प्रवाह से बड़े क्षेत्र में बने व्यापक पठार।
    • ज्वालामुखीय द्वीप: पानी के नीचे ज्वालामुखी विस्फोट से बने द्वीप।
      उदाहरण: आइसलैंड, एजोरेस

ज्वालामुखियों के लाभकारी प्रभाव:

उपजाऊ मिट्टी: राख मिट्टी को पोषक तत्व देती है।

    • खनिज संसाधन: प्यूमिस, बेसाल्ट, सोना आदि के भंडार।
    • भू-ऊर्जा (Geothermal Energy): गर्म पानी और भाप से विद्युत् उत्पादन।
      उदाहरण: आइसलैंड
    • पर्यटन: ज्वालामुखी पर्यटन बढ़ाते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ मिलता है।

भारत में ज्वालामुखी:

    • बैरेन आइलैंड (अंडमान-निकोबार): भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी।
    • नारकोंडम (अंडमान-निकोबार): सुप्त (Dormant) ज्वालामुखी।
    • डेक्कन पठार: प्राचीन ज्वालामुखीय गतिविधि के अवशेष; बेसाल्ट चट्टानों से निर्मित।