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Blog / 08 Jul 2025

हैम रेडियो संचार: एक भरोसेमंद और वैकल्पिक माध्यम

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने 4 जुलाई 2025 को अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से हैम रेडियो संचार के माध्यम से पृथ्वी से संपर्क किया। यह घटना इस बात को उजागर करती है कि हैम रेडियो संचार आज भी कितना उपयोगी और प्रासंगिक है। यह एक लाइसेंस प्राप्त रेडियो सेवा है, जो रेडियो तरंगों के ज़रिए दो-तरफा संवाद स्थापित करने में सक्षम होती है।

हैम रेडियो क्या है?

हैम रेडियो, जिसे औपचारिक रूप से शौकिया रेडियो कहा जाता है, एक गैर-व्यावसायिक लेकिन लाइसेंस प्राप्त संचार सेवा है। इसमें दो लोगों के बीच दो-तरफा संवाद रेडियो तरंगों के माध्यम से स्थापित किया जाता है।

मुख्य विशेषताएं:

·         उद्देश्य: इसका उपयोग मुख्य रूप से शैक्षिक गतिविधियों, वैज्ञानिक प्रयोगों, और आपातकालीन स्थितियों में संचार के लिए किया जाता है।

·         संचालन: इसे चलाने के लिए एक निश्चित फ्रीक्वेंसी, ट्रांसीवर (संचार यंत्र) और ऐंटेना की आवश्यकता होती है। केवल लाइसेंस प्राप्त व्यक्ति (जिन्हें "हैम" कहा जाता है) ही इसका संचालन कर सकते हैं।

·         भारत में पात्रता: भारत में 12 वर्ष या उससे अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा आयोजित परीक्षा पास कर के हैम रेडियो का लाइसेंस प्राप्त कर सकता है।

अंतरिक्ष में हैम रेडियो का उपयोग:

  • हैम रेडियो का उपयोग अंतरिक्ष में पहली बार 1983 में हुआ, जब इसे नासा के एक अंतरिक्ष यान से धरती पर संपर्क बनाए रखने के लिए इस्तेमाल किया गया।
  • आज यह तकनीक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों और पृथ्वी पर मौजूद लोगों के बीच संवाद का एक प्रभावी माध्यम बन चुकी है।
  • इसका उपयोग विशेष रूप से ARISS (Amateur Radio on the ISS) कार्यक्रम के तहत किया जाता है, जो छात्रों को अंतरिक्ष यात्रियों से सीधे बातचीत का मौका देता है।

ARISS कार्यक्रम के उद्देश्य:

  • छात्रों को STEM (विज्ञान, तकनीकी, इंजीनियरिंग और गणित) के प्रति उत्साहित करना।
  • अंतरिक्ष यात्रियों के ज़रिए दुनियाभर के छात्रों से संवाद कराना।
  • अंतरिक्ष स्टेशन पर बैकअप संचार प्रणाली के रूप में काम करना।

इस कार्यक्रम को NASA, Roscosmos, ESA, JAXA, CSA जैसे कई अंतरिक्ष एजेंसियाँ मिलकर चला रही हैं ताकि युवा वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को प्रेरित किया जा सके।

हैम रेडियो संचार के लाभ:

1. आपातकालीन परिस्थितियों में भरोसेमंद:

  • जब मोबाइल नेटवर्क, इंटरनेट या अन्य पारंपरिक संचार माध्यम युद्ध, भूकंप, चक्रवात या बाढ़ जैसी आपदाओं में असफल हो जाते हैं, तब हैम रेडियो एक मजबूत विकल्प के रूप में सामने आता है।
  • भारत में इसका सफलतापूर्वक उपयोग 2001 के भुज भूकंप, 2004 की सुनामी और 2013 की उत्तराखंड बाढ़ जैसी आपात स्थितियों में किया जा चुका है।

2. शैक्षणिक महत्व:

  • हैम रेडियो के ज़रिए छात्र भौतिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स, और रेडियो तरंगों के व्यवहार को वास्तविक रूप में समझ सकते हैं।
  • यह बच्चों और युवाओं में जिज्ञासा को बढ़ावा देता है और उन्हें STEM (विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित) क्षेत्रों की ओर प्रेरित करता है।

3. वैज्ञानिक और प्रयोगात्मक उपयोग:

  • यह रेडियो प्रेमियों को ऐंटेना डिज़ाइन, सिग्नल की दिशा (प्रसारण), और वायुमंडलीय विज्ञान से जुड़े प्रयोग करने का अवसर देता है।
  • इससे तकनीकी कौशल विकसित होते हैं और नवाचार को बढ़ावा मिलता है।

निष्कर्ष:

आज के डिजिटल युग में, जहां सैटेलाइट इंटरनेट और 5G तकनीक का वर्चस्व है, वहीं हैम रेडियो अब भी एक विश्वसनीय, कम लागत वाला और आसान उपलब्ध संचार माध्यम बना हुआ हैविशेष रूप से आपातकालीन परिस्थितियों और दूरदराज़ क्षेत्रों में। शुभांशु शुक्ला द्वारा ISS से हैम रेडियो के माध्यम से छात्रों से किया गया संवाद केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि इस बात का प्रतीक है कि अब अंतरिक्ष संचार आम जनता की पहुँच में भी आ रहा है। यह अनुभव न सिर्फ विद्यार्थियों में जिज्ञासा और प्रेरणा जगाता है, बल्कि यह भारत के अंतरिक्ष शिक्षा और वैज्ञानिक जागरूकता की दिशा में बढ़ते कदमों को भी दर्शाता है।