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Blog / 15 Sep 2025

ज्ञान भारतम पोर्टल

संदर्भ:

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ज्ञान भारतम मिशन के अंतर्गत ज्ञान भारतम पोर्टल का शुभारंभ किया। इसका उद्घाटन नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय ज्ञान भारतम सम्मेलन के दौरान किया गया। यह पोर्टल भारत की अमूल्य पांडुलिपि धरोहर को डिजिटल स्वरूप में संरक्षित करने और आम जनता के लिए सुलभ बनाने हेतु विकसित किया गया है।

ज्ञान भारतम मिशन:

  • ज्ञान भारतम मिशन भारत की पांडुलिपि धरोहर को सुरक्षित रखने, डिजिटाइज़ करने और आमजन तक पहुँचाने की एक राष्ट्रीय पहल है। इसका उद्देश्य पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक से जोड़कर आने वाली पीढ़ियों के लिए इन सांस्कृतिक खजानों की रक्षा करना है। इस मिशन के लिए सरकार ने वर्ष 2024 से 2031 तक 482.85 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।
  • इस मिशन में तकनीक, विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। हैंडरिटन टेक्स्ट रिकग्निशन (HTR) जैसी AI तकनीकों की मदद से प्राचीन पांडुलिपियों को अत्यधिक सटीकता के साथ डिजिटाइज़ किया जाएगा।

ज्ञान भारतम मिशन के मुख्य उद्देश्य:

यह मिशन निम्नलिखित क्षेत्रों पर केंद्रित है:

1.        पहचान और प्रलेखन: पूरे भारत में मैन्युस्क्रिप्ट रिसोर्स सेंटर (MRCs) स्थापित कर व्यवस्थित तरीके से पांडुलिपियों का दस्तावेज़ीकरण।

2.      संरक्षण और पुनर्स्थापन: मैन्युस्क्रिप्ट कंज़र्वेशन सेंटर (MCCs) को वैज्ञानिक और पारंपरिक तरीकों से मजबूत बनाना।

3.      डिजिटाइजेशन: बड़े पैमाने पर AI टूल्स (जैसे HTR) से पांडुलिपियों का डिजिटाइज़ेशन।

4.      अनुसंधान और प्रकाशन: दुर्लभ पांडुलिपियों को अनुवाद और समालोचनात्मक संस्करणों के माध्यम से पुनर्जीवित करना।

5.      क्षमता निर्माण: लिप्यंतरण, संरक्षण और पांडुलिपि अध्ययन (Manuscriptology) के विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करना।

6.      वैश्विक सहयोग: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पांडुलिपियों की खोज, पुनर्प्राप्ति और डिजिटाइज़ेशन में सहयोग।

पांडुलिपियों के बारे में:

पांडुलिपि एक हस्तलिखित रचना होती है, जो कागज़, छाल, कपड़े, धातु, ताड़पत्र या अन्य किसी भी सामग्री पर लिखी जाती है और कम से कम 75 वर्ष पुरानी होती है। इसका वैज्ञानिक, ऐतिहासिक या सौंदर्यात्मक महत्व होता है। छपी हुई किताबें या लिथोग्राफ पांडुलिपि नहीं मानी जातीं। पांडुलिपियाँ सैकड़ों भाषाओं और लिपियों में पाई जाती हैं।

·         कई बार एक ही भाषा अलग-अलग लिपियों में लिखी मिलती है। जैसे संस्कृतओड़िया लिपि, ग्रंथ लिपि, देवनागरी लिपि और कई अन्य लिपियों में।

·         पांडुलिपियाँ ऐतिहासिक दस्तावेज़ों जैसे शिलालेख, फ़रमान या राजस्व अभिलेख से अलग होती हैं, क्योंकि इनमें सीधे घटनाओं का विवरण नहीं बल्कि ज्ञान-सामग्री होती है।

ज्ञान भारतम मिशन का महत्व:

ज्ञान भारतम मिशन भारत की अमूल्य पांडुलिपि धरोहर को संरक्षित करने, डिजिटाइज़ करने और वैश्विक स्तर पर उपलब्ध कराने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह केवल शैक्षणिक या सरकारी पहल नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति, साहित्य और बौद्धिक चेतना का प्रतीक है। यह मिशन न केवल भारत की ज्ञान-परंपरा को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखेगा, बल्कि विश्व के ज्ञान-संसार को भी समृद्ध बनाएगा।

राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (NMM) के बारे में:

साल 2003 में स्थापित राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (NMM) ने भारत की पांडुलिपि धरोहर को सुरक्षित रखने में बड़ी भूमिका निभाई है। अब तक 44 लाख से अधिक पांडुलिपियों का प्रलेखन किया गया है। ज्ञान भारतम मिशन इसी आधार पर आगे बढ़ता है, लेकिन इसमें आधुनिक AI तकनीकों का उपयोग और राष्ट्रीय डिजिटल भंडार तैयार करने पर ज़ोर है ताकि पूरी दुनिया तक इनका लाभ पहुँच सके।

निष्कर्ष:

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ज्ञान भारतम पोर्टल का शुभारंभ भारत की पांडुलिपि धरोहर को सुरक्षित रखने, डिजिटाइज़ करने और साझा करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह मिशन प्राचीन ज्ञान को तो संरक्षित करेगा ही, साथ ही युवाओं को भी इसे डिजिटल युग में समझने और नए तरीके से अपनाने के लिए प्रेरित करेगा। इस तरह भारत की बौद्धिक धरोहर आने वाली पीढ़ियों को निरंतर प्रेरित करती रहेगी।