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Blog / 12 Nov 2025

भारत में एआई गवर्नेंस के दिशानिर्देश: सिद्धांत, ढांचा और रोडमैप | Dhyeya IAS

संदर्भ:

हाल ही में भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय नेइंडिया एआई मिशनके अंतर्गत कृत्रिम बुद्धिमत्ता के शासन और विनियमन हेतु एक समग्र दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य नवाचार और सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित करते हुए भारत कोसभी के लिए एआईकी दिशा में अग्रसर करना है।

मुख्य विशेषताएँ:

सात सूत्रनैतिक आधार

इन दिशा-निर्देशों का नैतिक आधार सात मार्गदर्शक सूत्रों पर आधारित है, जो नवाचार और उत्तरदायित्व के बीच संतुलन सुनिश्चित करते हैं

i. विश्वास ही आधार:

    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता की पूरी मूल्य श्रृंखला (AI value chain) में जनविश्वास को सर्वोपरि माना गया है।

ii. जन-प्रथम दृष्टिकोण:

    • मानव पर्यवेक्षण (human oversight) और नैतिक डिज़ाइन पर बल।

iii. निष्पक्षता एवं समानता:

    • पूर्वाग्रह को कम कर समावेशन को बढ़ावा देना।

iv. नवाचार को प्रोत्साहन, प्रतिबंध नहीं:

    • जिम्मेदारीपूर्वक प्रयोग और अनुसंधान को प्रोत्साहन देना।

v. उत्तरदायित्व:

    • निर्माताओं, तैनाती संस्थाओं और नियामकों के स्पष्ट दायित्व निर्धारित करना।

vi. स्पष्ट एवं व्याख्येय डिज़ाइन:

    • AI प्रणालियाँ पारदर्शी और व्याख्यायोग्य (explainable) हों।

vii. सुरक्षा, लचीलापन और स्थायित्व:

    • प्रयोग में विश्वसनीयता, सुरक्षा और पर्यावरणीय दायित्व सुनिश्चित करना।
    • ये सात सूत्र भारत केविकसित भारत 2047” औरसभी के लिए एआईदृष्टिकोण की नैतिक नींव हैं।

2. शासन के छह स्तंभ

() अवसंरचना:

·        38,000 उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग क्लस्टरों की स्थापना।

·        एआई कोशनामक राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता भंडार का निर्माण।

·        शोधकर्ताओं एवं नवप्रवर्तकों को कंप्यूट संसाधनों तक रियायती पहुँच।

() क्षमता निर्माण:

·        इंडिया एआई फ्यूचर स्किल्सऔरफ्यूचर स्किल्स प्राइमके माध्यम से नागरिकों एवं अधिकारियों का प्रशिक्षण जिसमें विशेष ध्यान द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी के शहरों पर होना चाहिए।

() नीति एवं विनियमन:

·        अलग कानून बनाने के बजाय मौजूदा विधिक ढाँचे (जैसे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, डिजिटल निजता अधिनियम, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम) के अंतर्गत नियमन।

·        समय-समय पर नीति की समीक्षा और अद्यतन का प्रावधान।

() जोखिम न्यूनीकरण:

·        राष्ट्रीय एआई घटना डेटाबेसकी स्थापना, जिसमें डीपफेक, एल्गोरिथ्मिक पक्षपात और अन्य हानियों का अभिलेखन किया जाएगा।

() उत्तरदायित्व एवं संस्थागत ढाँचा:

तीन प्रमुख संस्थाओं की स्थापना

1. एआई शासन समूह: नीतिगत समन्वय के लिए।

2. तकनीकी एवं नीतिगत विशेषज्ञ समिति: विशेषज्ञ परामर्श हेतु।

3. एआई सुरक्षा संस्थान: परीक्षण और प्रमाणीकरण के लिएजो भारत काकृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रहरीहोगा।

() संस्थागत सुदृढ़ीकरण:

·        एआई सुरक्षा संस्थान भारत में सुरक्षा मानकों का निर्धारण, पक्षपात शमन और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगा।

3. कार्ययोजनाअल्प, मध्यम एवं दीर्घकालिक दृष्टि

अल्पकालिक (0–2 वर्ष):

·        संस्थागत तंत्र की स्थापना, भारत-विशिष्ट जोखिम ढाँचा तैयार करना, दायित्व निर्धारण एवं शिकायत निवारण प्रणाली बनाना, और क्षेत्रीय क्षमता विकास।

मध्यम एवं दीर्घकालिक (5 वर्ष से अधिक):

·        एआई सुरक्षा परीक्षण और प्रमाणन का संस्थानीकरण, अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप घरेलू मानक तैयार करना, तथा वैश्विक दक्षिण के नेतृत्व में भारत की भूमिका को सशक्त बनाना।

भारत के लिए प्रभाव:

अवसर:

·        यह विकासशील देशों के लिए एआई शासन का आदर्श मॉडल प्रस्तुत करता है।

·        समावेशी नवाचार और क्षमता निर्माण को गति देता है।

·        डिजिटल विश्वास और नैतिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता अपनाने को प्रोत्साहन मिलता है।

चुनौतियाँ:

·        नई संस्थाओं के बीच प्रभावी समन्वय और कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।

·        तीव्र तकनीकी परिवर्तन के साथ तालमेल बनाए रखना।

·        स्वैच्छिक अनुपालन की स्थिति में उत्तरदायित्व तय करना।

·        डेटा उपलब्धता और गोपनीयता संरक्षण के बीच संतुलन बनाना।

निष्कर्ष:

भारत द्वारा प्रस्तुत कृत्रिम बुद्धिमत्ता शासन के दिशा-निर्देश एक महत्त्वपूर्ण नीति पहल हैं,जोकि उत्तरदायी नवाचार और सतत विकास के लिए समग्र ढाँचा प्रदान करते हैं। इन दिशा-निर्देशों में पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और सुरक्षा को केंद्र में रखा गया है। एक लचीले और अनुकूलनीय दृष्टिकोण के माध्यम से भारत न केवल नवाचार को प्रोत्साहित कर सकता है,बल्कि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए कृत्रिम बुद्धिमत्ता को समाज के समग्र हित में परिवर्तित कर सकता है।