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Blog / 27 Dec 2025

सरकार ने राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर से एकीकृत किया

संदर्भ:

हाल ही में भारत सरकार ने राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड (NATGRID) को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) से एकीकृत किया है। इस एकीकरण से कानून प्रवर्तन और जांच एजेंसियों को उपलब्ध डेटा का दायरा काफ़ी बढ़ गया है। अब अधिकृत एजेंसियाँ एक सुरक्षित खुफिया मंच के माध्यम से लगभग 119 करोड़ निवासियों से जुड़े जनसांख्यिकीय और परिवार-स्तरीय विवरणों तक पहुँच बना सकेंगी।

राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड के बारे में:

      • राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड (NATGRID) एक सुरक्षित और केंद्रीकृत डेटा-साझाकरण मंच है, जिसे आतंकवाद-रोधी और आपराधिक जांच के लिए विभिन्न सरकारी तथा कुछ चयनित निजी डेटाबेस से रियल-टाइम सूचना उपलब्ध कराने हेतु विकसित किया गया है।
      • इसकी परिकल्पना 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के बाद की गई थी, ताकि विभिन्न एजेंसियों के बीच खुफिया समन्वय  को मज़बूत किया जा सके और सूचना प्राप्ति में होने वाली देरी को कम किया जा सके।
      • राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड से पहले, एजेंसियों को आवश्यक जानकारी प्राप्त करने हेतु अलग-अलग विभागों को औपचारिक अनुरोध भेजने पड़ते थे।

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर:

      • राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) एक डेटाबेस है, जिसका संधारण रजिस्टॉर जनरल ऑफ़ इंडिया द्वारा किया जाता है। इसमें भारत के निवासियों से संबंधित व्यक्तिगत तथा परिवार-स्तरीय विवरण शामिल होते हैं।
      • इसे पहली बार 2011 की जनगणना के दौरान संकलित किया गया था तथा 2015 में अंतिम बार अद्यतन किया गया। यह लगभग 119 करोड़ निवासियों को कवर करता है और पहचान सत्यापन (Identity Validation) एवं सार्वजनिक योजना निर्माण के लिए एक आधारभूत डेटासेट के रूप में कार्य करता है।

एकीकरण की प्रमुख विशेषताएँ:

      • विस्तारित डेटा पहुँच: अब पुलिस और जांच एजेंसियाँ राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड के माध्यम से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के रिकॉर्ड तक रियल-टाइम पहुँच बना सकती हैं। इसमें घर-स्तरीय (Household-Level) और जनसांख्यिकीय विवरण शामिल हैं, जो जांच और खुफिया विश्लेषण में सहायक होंगे।
      • व्यापक एजेंसी कवरेज: पहले राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड की पहुँच मुख्यतः कुछ केंद्रीय एजेंसियों तक सीमित थी। इस एकीकरण के बाद राज्य पुलिस बलों, विशेषकर पुलिस अधीक्षक (SP) स्तर और उससे ऊपर के अधिकारियों को भी इस प्रणाली के उपयोग की अनुमति दी गई है।
      • उन्नत विश्लेषणात्मक उपकरण: राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड में गांडीव (Gandiva) जैसे उन्नत विश्लेषणात्मक उपकरणों का प्रयोग किया जाता है, जो डेटा एनालिटिक्स, एंटिटी रेज़ोल्यूशन तथा संभावित रूप से फेसियल रिकॉग्निशन जैसी क्षमताएँ प्रदान करते हैं।

महत्व:

      • जांच प्रक्रिया में सुधार: यह एकीकरण एजेंसियों को व्यक्तियों की पहचान, पारिवारिक कड़ियों (Family Linkages) की ट्रैकिंग तथा विभिन्न खुफिया डेटासेट्स के बीच सहसंबंध स्थापित करने में सहायता करता है, जिससे आतंकवाद, संगठित अपराध और सीमा-पार अपराधों की जांच तेज़ होती है।
      • आंतरिक सुरक्षा का सुदृढ़ीकरण: जनसांख्यिकीय डेटा को यात्रा, दूरसंचार और वित्तीय लेन-देन डेटासेट्स से जोड़कर राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड भारत की आंतरिक सुरक्षा संरचना को और मज़बूत बनाता है।

चिंताएँ और सुरक्षा उपाय:

      • गोपनीयता और डेटा सुरक्षा: संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी तक पहुँच से गोपनीयता और डेटा संरक्षण (Data Protection) से जुड़ी चिंताएँ उत्पन्न होती हैं। स्पष्ट एक्सेस प्रोटोकॉल, ऑडिट ट्रेल और दुरुपयोग रोकने हेतु सख़्त सुरक्षा उपाय अनिवार्य हैं।
      • कानूनी और संस्थागत ढांचा: वर्तमान में राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड किसी समर्पित संसदीय क़ानून के बजाय कार्यकारी आदेशों के आधार पर संचालित हो रहा है, जिससे पारदर्शिता, जवाबदेही और विधायी निगरानी से जुड़े प्रश्न उठते हैं।

निष्कर्ष:

राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का यह एकीकरण भारत की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण संरचनात्मक बदलाव को दर्शाता है। जहाँ यह तेज़ और डेटा-आधारित खुफिया प्रणाली को सशक्त करता है, वहीं इसके साथ-साथ मज़बूत डेटा संरक्षण क़ानून, प्रभावी निगरानी तंत्र और पारदर्शिता सुनिश्चित करना भी उतना ही आवश्यक है।