संदर्भ:
रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने लगभग ₹1.05 लाख करोड़ की पूंजीगत रक्षा खरीद प्रस्तावों को स्वीकृति दी है।
प्रस्ताव के तहत खरीदे जाने वाले उपकरण:
यह खरीद प्रस्ताव थलसेना, नौसेना और वायुसेना तीनों सेनाओं से जुड़ा है, जिसमें भूमि और समुद्री दोनों तरह की प्रणालियाँ शामिल हैं। प्रमुख रूप से जिन उपकरणों की खरीद की जाएगी, वे हैं:
- आर्मर्ड रिकवरी व्हीकल (ARV): बख़्तरबंद वाहनों की युद्ध क्षेत्र में मरम्मत और त्वरित गतिशीलता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक।
- इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम: निगरानी, इलेक्ट्रॉनिक हमला और सुरक्षा उपायों को सुदृढ़ करने के लिए।
- इंटीग्रेटेड कॉमन इन्वेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम (ICIMS): तीनों सेनाओं के लिए एकीकृत लॉजिस्टिक्स, संसाधन नियंत्रण और भंडारण प्रबंधन प्रणाली।
- सर्फेस-टू-एयर मिसाइल (SAM): वायु रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए, जो तेज़ प्रतिक्रिया और सटीक लक्ष्यभेदन में सक्षम होगी।
नौसैनिक आधुनिकीकरण और समुद्री सुरक्षा:
समुद्री क्षेत्र में बढ़ते खतरों और चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, भारतीय नौसेना की क्षमता बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी गई है:
- मूअर्ड माइंस (Moored Mines): तटीय इलाकों में रणनीतिक नियंत्रण बनाए रखने और दुश्मन की गतिविधियों को रोकने के लिए आवश्यक।
- माइन काउंटर मेज़र वेसल्स (MCMVs): समुद्री सुरंगों का पता लगाने और उन्हें निष्क्रिय करने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन की गई जहाज़ें।
- सुपर रैपिड गन माउंट्स (SRGMs): हवा और सतह से होने वाले हमलों का मुकाबला करने में सक्षम आधुनिक नौसैनिक तोपें।
- सबमर्सिबल ऑटोनॉमस वेसल्स: जल के भीतर निगरानी और गुप्त सूचना जुटाने के लिए मानव रहित स्वचालित प्रणाली।
इन उन्नत प्रणालियों की खरीद इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ती भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और समुद्री सुरक्षा खतरों के संदर्भ में रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
हाल के अन्य प्रमुख रक्षा सौदे:
इस हालिया फैसले से पहले भी सरकार ने कई बड़े रक्षा खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी है:
- मार्च 2025: भारत के अब तक के सबसे बड़े हेलीकॉप्टर सौदे के तहत ₹62,700 करोड़ में 156 लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) ‘प्रचंड’ की खरीद को मंजूरी दी गई। यह हेलीकॉप्टर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।
- जून 2025: भारतीय सेना के लिए देश में विकसित तीन क्विक रिएक्शन सर्फेस-टू-एयर मिसाइल (QR-SAM) रेजीमेंट्स की ₹30,000 करोड़ की परियोजना को आगे बढ़ाया गया।
रणनीतिक महत्व:
रक्षा मंत्रालय द्वारा स्वदेशी खरीद को प्राथमिकता देने से देश को कई महत्वपूर्ण रणनीतिक लाभ प्राप्त होते हैं:
1. आत्मनिर्भरता में वृद्धि: विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम होती है, जिससे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा अधिक मजबूत और स्थायी बनती है।
2. औद्योगिक विकास: यह पहल देश के रक्षा उद्योग, MSMEs और स्टार्टअप्स को अनुसंधान, विकास और उत्पादन के क्षेत्र में बड़ा प्रोत्साहन देती है।
3. प्रौद्योगिकी संवर्धन: अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों, रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स और स्वायत्त प्लेटफॉर्म के क्षेत्र में नवाचार और तकनीकी प्रगति को गति मिलती है।
4. रोज़गार और कौशल विकास: रक्षा उपकरणों के निर्माण और आपूर्ति श्रृंखला में विस्तार से देशभर में व्यापक स्तर पर रोज़गार और कौशल विकास के अवसर सृजित होते हैं।
निष्कर्ष:
भारत की 2025 की रक्षा खरीद नीतियाँ देश की रणनीतिक दिशा को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं, आत्मनिर्भरता, रक्षा क्षेत्र का आधुनिकीकरण, और एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में उभरना। ‘प्रचंड’ LCH और ‘QR-SAM’ जैसे स्वदेशी प्लेटफॉर्म को प्राथमिकता देने के साथ-साथ ₹1 लाख करोड़ से अधिक की नई खरीद घरेलू कंपनियों से करने का निर्णय, भारत को आने वाले वर्षों में एक वैश्विक रक्षा उत्पादन केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में निर्णायक कदम साबित हो सकता है।