संदर्भ:
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2025–26 में निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट (RoDTEP) योजना के तहत ₹18,233 करोड़ का बजट निर्धारित किया है। साथ ही, अग्रिम प्राधिकरण (AA) धारकों, निर्यात-उन्मुख इकाइयों (EOUs) और विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZs) में कार्यरत इकाइयों के लिए RoDTEP लाभों को पुनः लागू कर दिया गया है।
RoDTEP योजना के बारे में:
निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट (RoDTEP) योजना की शुरुआत 1 जनवरी 2021 को की गई थी। इसका उद्देश्य उन केंद्रीय और राज्य स्तरीय करों व शुल्कों की भरपाई करना है, जो अन्य निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं के तहत वापस नहीं किए जाते। इनमें मुख्य रूप से शामिल हैं:
• बिजली पर लगने वाला शुल्क,
• परिवहन में प्रयुक्त ईंधन पर वैट,
• मंडी शुल्क,
• स्टांप ड्यूटी आदि।
ये छिपे हुए खर्च भारतीय निर्यातकों की अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा को कमजोर करते हैं, विशेष रूप से तब जब अन्य देशों में निर्यात पर शून्य कर व्यवस्था लागू होती है। RoDTEP का उद्देश्य इन अप्रत्यक्ष लागतों की भरपाई कर भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना है। यह योजना पूरी तरह विश्व व्यापार संगठन (WTO) के मानदंडों के अनुरूप है और इसे एक पारदर्शी व पूर्णतः डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से लागू किया गया है।
बजट आवंटन की मुख्य बातें:
· कुल आवंटन: ₹18,233 करोड़
· कवर की गई श्रेणियाँ:
o 10,780 श्रेणियाँ घरेलू टैरिफ क्षेत्र (DTA) निर्यात के लिए
o 10,795 श्रेणियाँ AA होल्डर्स, EOUs और विशेष आर्थिक क्षेत्रों के लिए
· विशेष आर्थिक क्षेत्रों और धारकों, निर्यात-उन्मुख इकाइयों के लिए RoDTEP लाभ 1 जून 2025 से फिर लागू होंगे।
इस आवंटन के प्रभाव:
· निर्यातकों को बराबरी का अवसर मिलेगा।
· भारत की वैश्विक व्यापार स्थिति मजबूत होगी।
· निर्यात योजना बनाने में नीतिगत स्थिरता का लाभ मिलेगा।
सरकार का मानना है कि खास निर्यात श्रेणियों के लिए लाभ बहाल करना यह दिखाता है कि भारत एक प्रतिस्पर्धी और नियमों के अनुरूप निर्यात तंत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
रणनीतिक संदर्भ:
RoDTEP आवंटन ऐसे महत्वपूर्ण समय पर हुआ है जब:
· भारत वैश्विक स्तर पर हो रहे बदलावों और सप्लाई चेन में विविधता के बीच गैर-तेल वस्तुओं के निर्यात को बढ़ाना चाहता है।
· वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।
· घरेलू उद्योगों को "मेक इन इंडिया" और "आत्मनिर्भर भारत" अभियानों के तहत वैश्विक स्तर पर शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
आगे की राह:
इस बजट आवंटन का अधिकतम लाभ उठाने के लिए सरकार को:
· भुगतान प्रक्रिया को तेज करना चाहिए।
· दीर्घकालिक नीतिगत स्पष्टता सुनिश्चित करनी चाहिए।
· और निर्यातकों को उनके क्षेत्रों के अनुसार लाभ की स्पष्ट जानकारी देनी चाहिए ताकि वे अपनी मूल्य निर्धारण रणनीति बेहतर बना सकें।