संदर्भ:
हाल ही में परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 (PARAKH Rashtriya Sarvekshan 2024) शुरू किया गया है। यह एक राष्ट्रीय स्तर का लर्निंग असेसमेंट सर्वेक्षण है, जो यह दिखाता है कि भारत में बुनियादी शिक्षा पर COVID-19 महामारी का प्रभाव अब भी बना हुआ है।
परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण के बारे में:
- परख का पूरा नाम Performance Assessment, Review and Analysis of Knowledge for Holistic Development है। यह National Achievement Survey (NAS) का नया और बेहतर रूप है।
- यह सर्वेक्षण दिसंबर 2024 में किया गया।
- इसमें 21.15 लाख से अधिक छात्रों (कक्षा 3, 6 और 9) और 74,229 स्कूलों को शामिल किया गया।
- यह सर्वेक्षण नई शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के अनुसार चरणबद्ध ढांचे पर आधारित था:
- कक्षा 3 – आधारभूत स्तर
- कक्षा 6 – तैयारी स्तर
- कक्षा 9 – मध्य स्तर
मुख्य निष्कर्ष:
हालांकि 2021 की तुलना में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन कक्षा 3 के छात्र अब भी 2017 के स्तर तक नहीं पहुँच पाए हैं, जब महामारी से पहले शिक्षा व्यवस्था सामान्य थी।
विषय |
2017 |
2021 |
2024 |
भाषा |
66.7% |
62% |
64% |
गणित |
63% |
57% |
60% |
भाषा में सीखने की चुनौतियाँ:
- सबसे कमजोर क्षेत्र: कहानी पढ़ना और समझना – 60%
- सबसे मजबूत क्षेत्र: रोज़मर्रा की बातचीत में शब्दों का प्रयोग – 67%
गणित में सीखने की चुनौतियाँ:
- सबसे कमजोर क्षेत्र: आकृतियाँ पहचानना और पैसे का लेनदेन समझना – 50%
- सबसे मजबूत क्षेत्र: पैटर्न और संख्याएँ पहचानना – 69%
कक्षा 6 और 9 की स्थिति:
- भाषा को छोड़कर सभी विषयों में 50% से कम अंक।
- लगभग दो वर्षों की पढ़ाई का नुकसान इन कक्षाओं पर बुरा असर डाल गया।
- ये आंकड़े महामारी के दौरान स्कूल बंद होने और ऑनलाइन शिक्षा की कठिनाइयों के दीर्घकालिक प्रभाव को दिखाते हैं।
महत्वपूर्ण संकेत:
1. बुनियादी शिक्षा को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाना जरूरी है
– शुरुआती कक्षाओं पर ध्यान देना आवश्यक है ताकि भविष्य में विकास की कमी न हो।
2. NEP 2020 का चरणबद्ध शिक्षण मॉडल सही दिशा में है
– अलग-अलग कक्षाओं में अलग-अलग चुनौतियाँ हैं, जिन्हें चरणों में बांटकर ही बेहतर समझा जा सकता है।
3. नीतियों के लिए उपयोगी जानकारी:
o प्राथमिक स्तर (कक्षा 3) पर विशेष सुधार कार्यक्रम जरूरी हैं।
o NIPUN भारत मिशन को और मजबूत व विस्तारशील बनाना होगा।
प्रमुख चुनौतियाँ:
- डिजिटल विभाजन: महामारी के दौरान ऑनलाइन शिक्षा तक पहुँच में भारी असमानता।
- शिक्षकों की तैयारी: ऑनलाइन शिक्षण की तकनीकी समझ और प्रशिक्षण की कमी।
- मूल्यांकन में असमानता: राज्यों में मूल्यांकन की पद्धतियों में एकरूपता का अभाव।
- सामाजिक-आर्थिक बाधाएँ: गरीब और हाशिए पर मौजूद छात्रों के लिए पढ़ाई में वापसी कठिन।
निष्कर्ष:
PARAKH 2024 सर्वेक्षण भारत की शिक्षा प्रणाली के लिए एक चेतावनी संकेत है। यह महामारी से हुए सीखने के नुकसान को उजागर करता है और यह स्पष्ट करता है कि सभी बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण और समान बुनियादी शिक्षा सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है।
SDG 4 लक्ष्य और NEP 2020 के सपनों को साकार करने के लिए भारत को बुनियादी साक्षरता और गणना में तुरंत निवेश करना होगा।