सन्दर्भ:
हाल ही में सरकार ने “मैत्री II” पूर्वी अंटार्कटिका में एक अत्याधुनिक अनुसंधान स्टेशन की स्थापना को सैद्धांतिक (in-principle) मंज़ूरी दी है। यह स्टेशन जनवरी 2029 तक पूरा होने की योजना के साथ भारत का चौथा अनुसंधान केंद्र बनेगा। यह पहल विज्ञान, रणनीति, पर्यावरण और कूटनीति के बीच मज़बूत समन्वय को दर्शाती है।
पृष्ठभूमि (Background):
भारत का अंटार्कटिका से जुड़ाव वर्ष 1981 में शुरू हुआ, जब पहला भारतीय वैज्ञानिक अभियान वहाँ भेजा गया। तब से भारत ने तीन अनुसंधान स्टेशन स्थापित किए हैं:
1. दक्षिण गंगोत्री (1983) – अब निष्क्रिय (decommissioned), वर्तमान में आपूर्ति आधार (supply base) के रूप में उपयोग में।
2. मैत्री (1989) – सक्रिय; शिरमाकर ओएसिस (Schirmacher Oasis) में स्थित।
3. भारती (2012) – सक्रिय; बहु-विषयक अनुसंधान पर केंद्रित।
इन अभियानों का समन्वय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (NCPOR) द्वारा किया जाता है।
मैत्री II की आवश्यकता (Need for Maitri II):
वर्तमान मैत्री स्टेशन, जो 1988–89 में बनाया गया था, शिर्माखेर ओएसिस में स्थित है। इसे केवल 10 वर्षों की कार्यावधि के लिए बनाया गया था, लेकिन यह अब तीन दशक से अधिक समय से कार्यरत है। इस दौरान इसने भूविज्ञान, वायुमंडलीय विज्ञान, हिमनद (glaciology), और चरम ठंड में जीवन से संबंधित कई महत्वपूर्ण शोधों में योगदान दिया है।
समय के साथ अब इसकी कुछ सीमाएँ सामने आई हैं —
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- ढांचे की उम्र और क्षति,
- बढ़ती रखरखाव लागत,
- लॉजिस्टिक चुनौतियाँ,
- आधुनिक प्रयोगशालाओं, बेहतर आवास और अद्यतन सुविधाओं की कमी।
- ढांचे की उम्र और क्षति,
साथ ही, पर्यावरणीय अनुपालन (environmental compliance) के नियम भी अब और कठोर हो गए हैं।
इसलिए, “मैत्री II” की स्थापना की आवश्यकता महसूस की गई है।
मैत्री II की प्रमुख विशेषताएँ (Salient Features of Maitri II):
स्थान (Location):
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- पूर्वी अंटार्कटिका में स्थित होगा, संभवतः शिरमाकर ओएसिस के निकट।
- तट (coast) से लगभग 100 किलोमीटर अंदर स्थित।
- पूर्वी अंटार्कटिका में स्थित होगा, संभवतः शिरमाकर ओएसिस के निकट।
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डिज़ाइन और सततता (Design and Sustainability):
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- यह एक हरित (green) अनुसंधान स्टेशन होगा जो सतत संचालन (sustainable operations) पर केंद्रित रहेगा।
- नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग किया जाएगा —
- गर्मियों में सौर ऊर्जा (solar power),
- और क्षेत्र की तेज़ हवाओं से पवन ऊर्जा (wind energy)।
- गर्मियों में सौर ऊर्जा (solar power),
- स्वचालित उपकरणों (automated instruments) की मदद से डेटा को भारत तक रिमोटली भेजा जा सकेगा —
यहाँ तक कि जब स्टेशन खाली (unmanned) हो। - आधुनिक आवास, प्रयोगशालाएँ और स्वच्छता सुविधाओं सहित बेहतर बुनियादी ढाँचा उपलब्ध कराया जाएगा।
- यह एक हरित (green) अनुसंधान स्टेशन होगा जो सतत संचालन (sustainable operations) पर केंद्रित रहेगा।
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वैज्ञानिक महत्त्व (Scientific Significance):
अंटार्कटिका जो लगभग 1.4 करोड़ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, एक प्राकृतिक प्रयोगशाला (natural laboratory) है, जहाँ निम्नलिखित क्षेत्रों में अध्ययन किया जा सकता है:
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- जलवायु परिवर्तन और वायुमंडलीय गतिशीलता
- हिमनद विज्ञान (Glaciology) और समुद्र-स्तर वृद्धि
- प्लेट विवर्तनिकी (Plate tectonics) और भूकंप विज्ञान
- अत्यधिक ठंड में जैविक अनुकूलन (Biological adaptation)
- अंतरिक्ष मौसम और खगोल भौतिकीय घटनाएँ
- जलवायु परिवर्तन और वायुमंडलीय गतिशीलता
रणनीतिक और कूटनीतिक आयाम (Strategic and Diplomatic Dimensions):
1. भूराजनीतिक महत्त्व (Geopolitical Significance):
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- अंटार्कटिका अंटार्कटिक संधि (Antarctic Treaty, 1959) के तहत शासित है, जो केवल शांतिपूर्ण वैज्ञानिक अनुसंधान की अनुमति देती है और सैन्य गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाती है।
- चीन, अमेरिका और रूस जैसे देशों की बढ़ती उपस्थिति के बीच, भारत की यह नई पहल वैश्विक ध्रुवीय मामलों में रणनीतिक संतुलन (strategic parity) सुनिश्चित करेगी।
- अंटार्कटिका अंटार्कटिक संधि (Antarctic Treaty, 1959) के तहत शासित है, जो केवल शांतिपूर्ण वैज्ञानिक अनुसंधान की अनुमति देती है और सैन्य गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाती है।
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2. सॉफ्ट पावर और वैश्विक प्रतिष्ठा (Soft Power and Global Standing):
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- यह आधुनिक अनुसंधान स्टेशन भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमता का प्रतीक होगा।
- यह भारत की जलवायु परिवर्तन वार्ताओं और वैश्विक पृथ्वी प्रणाली विज्ञान (Earth System Science) में भूमिका को और सशक्त करेगा।
- यह आधुनिक अनुसंधान स्टेशन भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमता का प्रतीक होगा।
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3. अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन (Compliance with International Norms):
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- “मैत्री II” का निर्माण अंटार्कटिक संधि के पर्यावरण संरक्षण प्रोटोकॉल (Madrid Protocol) के अनुरूप होगा।
- यह प्रोटोकॉल किसी भी नए निर्माण से पहले पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessment - EIA) को अनिवार्य बनाता है।
- “मैत्री II” का निर्माण अंटार्कटिक संधि के पर्यावरण संरक्षण प्रोटोकॉल (Madrid Protocol) के अनुरूप होगा।
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निष्कर्ष (Conclusion):
मैत्री II भारत के अंटार्कटिक कार्यक्रम में एक समयबद्ध और रणनीतिक कदम है। यह पहल विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरणीय सततता, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग जैसे राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से मेल खाती है।
