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Blog / 18 Sep 2025

डब्ल्यूएचओ की आवश्यक दवाओं की सूची में जीएलपी-1 दवाएँ शामिल

संदर्भ:

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी आवश्यक दवाओं की मॉडल सूची (Essential Medicines List - EML) को अपडेट करते हुए जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट (GLP-1 receptor agonist) वर्ग की दवाओं को शामिल किया है। इस निर्णय से इन दवाओं की वैश्विक पहुँच, किफायती उपलब्धता और निरंतर आपूर्ति को बढ़ावा मिलने की संभावना है।

जीएलपी-1 दवाएँ क्या हैं?

जीएलपी-1 दवाएँ, जैसे सेमाग्लूटाइड (Ozempic/Wegovy) और टिर्ज़ेपाटाइड (Mounjaro/Zepbound), शरीर में प्राकृतिक जीएलपी-1 हार्मोन की तरह काम करती हैं। यह हार्मोन ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है, इंसुलिन की प्रतिक्रिया को सुधारता है और भूख को नियंत्रित करता है। इन दवाओं का प्रयोग मोटापा नियंत्रित करने और मेटाबॉलिक स्वास्थ्य सुधारने में सहायक साबित हुआ है।

जीएलपी-1 दवाओं के फायदे:

  • इंसुलिन स्राव में सुधार: जीएलपी-1 दवाएँ अग्न्याशय (pancreas) से ग्लूकोज़ रिलीज़ को प्रोत्साहित करती हैं और जिगर में ग्लूकोज़ बनने की प्रक्रिया को कम करती हैं।
  • हृदय और गुर्दे के लिए लाभकारी: शोध से साबित हुआ है कि ये दवाएँ हृदय संबंधी जोखिम कम करती हैं और वजन घटाने में मदद करती हैं।
  • वजन कम करने में सहायक: जीएलपी-1 दवाएँ भूख को दबाती हैं और पाचन की गति को धीमा करती हैं, जिससे काफी हद तक वजन कम हो सकता है।

डब्ल्यूएचओ के निर्णय का प्रभाव:

  • पहुँच में बढ़ोतरी: डब्ल्यूएचओ का यह कदम इन दवाओं तक बेहतर पहुँच सुनिश्चित कर सकता है, खासकर कम संसाधनों वाले देशों में।
  • सस्ती जेनेरिक दवाओं का विकास: इस सूची में शामिल होने से फार्मा कंपनियों को सस्ती जेनेरिक दवाएँ बनाने की प्रेरणा मिलेगी।
  • वैश्विक मान्यता: मोटापा और मधुमेह को गंभीर चिकित्सीय स्थितियों के रूप में मान्यता दी गई है, जिनके लिए चिकित्सीय समाधान की आवश्यकता।

आवश्यक दवाओं की WHO मॉडल सूची के बारे में:

डब्ल्यूएचओ की यह सूची उन दवाओं का वैश्विक रजिस्टर है, जो हर स्वास्थ्य-प्रणाली की न्यूनतम जरूरतें पूरी करती हैं।

  • इसे हर दो साल में एक्सपर्ट कमेटी द्वारा अपडेट किया जाता है।
  • यह देशों को यह तय करने में मदद करती है कि कौन सी दवाएँ सुरक्षित, असरदार और किफायती हैं और उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं में प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

ईएमएल का इतिहास:

  • सबसे पहला राष्ट्रीय आवश्यक दवाओं की मॉडल सूची (ईएमएल) 1970 में तंज़ानिया ने तैयार किया।
  • 1975 में विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly) ने डब्ल्यूएचओ से सदस्य देशों को आवश्यक दवाएँ पहचानने और उन्हें सस्ते दामों पर उपलब्ध कराने में मदद करने का अनुरोध किया।
  • 1977 में डब्ल्यूएचओ ने पहली आवश्यक दवाओं की सूची प्रकाशित की, जिसमें 186 दवाएँ शामिल थीं।
  • आज 150 से अधिक देशों ने अपनी राष्ट्रीय आवश्यक दवाओं की सूची बनाई है, जो डब्ल्यूएचओ की मॉडल सूची से प्रेरित है।

आवश्यक दवाओं के बारे में:

  • ये दवाएँ जनसंख्या की प्राथमिक स्वास्थ्य ज़रूरतों को पूरा करती हैं।
  • इनका चयन बीमारी की व्यापकता, असरकारिता (efficacy), सुरक्षा और लागत-प्रभावशीलता (cost-effectiveness) के आधार पर किया जाता है।
  • ये दवाएँ पर्याप्त मात्रा में, किफायती दाम पर और गुणवत्ता की गारंटी के साथ उपलब्ध होनी चाहिए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के बारे में:

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेषीकृत एजेंसी है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करती है।

·         इसकी स्थापना 7 अप्रैल 1948 को हुई थी और इसका मुख्यालय जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।

·         संगठन का मुख्य उद्देश्य है कि दुनिया के सभी लोगों को सर्वोच्च संभव स्वास्थ्य स्तर प्रदान किया जा सके।

·         डब्ल्यूएचओ स्वास्थ्य को इस प्रकार परिभाषित करता है: स्वास्थ्य केवल रोग या दुर्बलता की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि यह शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्णतः कुशल एवं संतुलित स्थिति है।

निष्कर्ष:

डब्ल्यूएचओ द्वारा जीएलपी-1 दवाओं को आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल करना एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दिखाता है कि मोटापा और डायबिटीज़ को अब गंभीर स्वास्थ्य समस्या मानकर चिकित्सकीय हस्तक्षेप की जरूरत समझी जा रही है। भले ही चुनौतियाँ बनी हुई हैं, लेकिन यह निर्णय इन दवाओं की बेहतर उपलब्धता, किफायती कीमत और वैश्विक मान्यता की दिशा में बड़ा बदलाव लाएगा।