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Blog / 22 Jul 2025

वैश्विक आर्द्रभूमि संकट

संदर्भ:

हाल ही में रामसर कन्वेंशन सचिवालय द्वारा जारी 2025 का "ग्लोबल वेटलैंड आउटलुक" यह स्पष्ट करता है कि आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र बेहद तेज़ी से नष्ट हो रहे हैं। इसका प्रतिकूल प्रभाव न केवल जैव विविधता और जलवायु लचीलापन पर पड़ रहा है, बल्कि यह मानव जीवन और आजीविका के लिए भी एक गंभीर खतरा बनता जा रहा है।

रिपोर्ट ले मुख्य निष्कर्ष:

1970 के बाद से आर्द्रभूमियों में भारी गिरावट

         वर्ष 1970 से अब तक वैश्विक स्तर पर 411 मिलियन हेक्टेयर आर्द्रभूमियों का नुकसान हो चुका है, जो कुल आर्द्रभूमि क्षेत्रफल का लगभग 22% है।

         वर्तमान में आर्द्रभूमियों का औसतन 0.52% प्रतिवर्ष क्षरण हो रहा है, और यह दर लगातार बढ़ रही है मुख्यतः मानवजनित गतिविधियों के कारण।

क्षरण में क्षेत्रीय विविधता

         अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, और कैरेबियन देशों में आर्द्रभूमियों का क्षरण बहुत तीव्र गति से हो रहा है, जो पुनर्स्थापन प्रयासों से कहीं अधिक तेज़ है।

         उत्तर अमेरिका और ओशिनिया में आक्रामक विदेशी प्रजातियाँ (invasive species) आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी हैं।

         यूरोप में सूखा और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी अस्थिरता wetlands के क्षरण के मुख्य कारण हैं।

Global Wetland Crisis

आर्द्रभूमि क्षरण के प्राथमिक कारण:

  • शहरीकरण, औद्योगिक विस्तार और बुनियादी ढांचे का विकास वैश्विक दक्षिण में आर्द्रभूमि की हानि के प्रमुख कारण हैं।
  • अतिरिक्त तनाव कारकों में शामिल हैं:
    • कृषि अतिक्रमण
    • औद्योगिक अपशिष्टों और घरेलू कचरे से प्रदूषण
    • जल निष्कर्षण और बांध निर्माण

आर्द्रभूमियों के बारे में:

आर्द्रभूमियाँ वे भू-क्षेत्र होती हैं जहाँ जल पर्यावरण को नियंत्रित करने वाला मुख्य तत्व होता है और इसी के आधार पर वहाँ की वनस्पति और जीव-जंतु विकसित होते हैं। ये वे क्षेत्र होते हैं जहाँ जल स्तर सतह के करीब होता है या भूमि पानी से ढकी रहती है

हालाँकि आर्द्रभूमियाँ पृथ्वी की सतह का केवल 6% हिस्सा घेरती हैं, फिर भी ये प्रतिवर्ष लगभग $7.98 ट्रिलियन से $39.01 ट्रिलियन तक की पारिस्थितिक सेवाएँ प्रदान करती हैं, जिनमें शामिल हैं:

         जल शुद्धिकरण

         कार्बन का अवशोषण (Carbon Sequestration)

         बाढ़ और समुद्री तटों से सुरक्षा

         भूजल पुनर्भरण

         जैव विविधता का संरक्षण

लेकिन रिपोर्ट से यह भी स्पष्ट होता है कि पूरी दुनिया में जैव विविधता संरक्षण पर होने वाला निवेश केवल वैश्विक GDP का 0.25% है, जो आर्द्रभूमियों द्वारा प्रदान किए जाने वाले असाधारण पारिस्थितिक और आर्थिक मूल्य के मुकाबले बेहद अपर्याप्त है।

प्रमुख उदाहरण और क्षेत्रीय प्रयास:

ज़ाम्बिया के काफ़ुए फ़्लैट्स

         $3 लाख की लागत से शुरू की गई आर्द्रभूमि पुनरुद्धार परियोजना ने प्राकृतिक बाढ़ चक्रों को सफलतापूर्वक पुनः सक्रिय कर दिया।

         इस पहल के प्रमुख लाभों मेंजैव विविधता में उल्लेखनीय वृद्धि, प्रति वर्ष $30 मिलियन मूल्य की मत्स्य पालन गतिविधियों का पुनर्जीवन, 10 लाख से अधिक लोगों की आजीविका में सहायताशामिल हैं।

एशिया की क्षेत्रीय फ्लाईवे पहल

         $3 अरब डॉलर के अंतरराष्ट्रीय सहयोग का उद्देश्य प्रवासी पक्षियों और स्थानीय समुदायों के लिए महत्वपूर्ण 140 से अधिक आर्द्रभूमियों का पुनर्स्थापन करना है।

         यह पहल बहुपक्षीय संरक्षण वित्तपोषण और साझी पारिस्थितिकीय जिम्मेदारी के प्रभावशाली मॉडल के रूप में प्रस्तुत होती है।

नीति और वित्त से जुड़ी सिफारिशें:

राष्ट्रीय योजना एकीकरण

रिपोर्ट यह ज़ोर देती है कि आर्द्रभूमि संरक्षण को इन क्षेत्रों में शामिल करना ज़रूरी है:
शहरी और ग्रामीण योजना
जलवायु अनुकूलन रणनीतियाँ
जल प्रबंधन और कृषि नीति

नई तरह की वित्तीय व्यवस्था अपनाना

वित्तीय कमी को पूरा करने के लिए रिपोर्ट में यह सुझाव दिए गए हैं:

         ग्रीन बॉन्ड्स जो विशेष रूप से wetlands के लिए जारी हों

         परिणाम-आधारित वित्तीय मॉडल

         सार्वजनिक-निजी भागीदारी और मिश्रित वित्त (blended finance)

         कार्बन क्रेडिट मार्केटक्योंकि wetlands कार्बन को अवशोषित करने में सक्षम हैं

निष्कर्ष:

2025 की ग्लोबल वेटलैंड आउटलुक रिपोर्ट एक गंभीर चेतावनी देती है की यदि आर्द्रभूमियों की अनदेखी जारी रही, तो इसका दुष्परिणाम पूरे ग्रह के पारिस्थितिक संतुलन पर पड़ेगा। आर्द्रभूमियाँ वैश्विक जल चक्र को बनाए रखने, जैव विविधता की रक्षा करने, और जलवायु संकट को नियंत्रित करने में एक अहम कड़ी हैं। क्षतिग्रस्त वेटलैंड का पुनरुद्धार न केवल एक पारिस्थितिक और नैतिक जिम्मेदारी है, बल्कि यह विशेष रूप से ग्रामीण समुदायों और जलवायु-संवेदनशील देशों के लिए आर्थिक अवसर भी प्रस्तुत करता है। जैसे ही विभिन्न देश इस महीने जिम्बाब्वे में आयोजित होने वाले रामसर कन्वेंशन के 15वें सम्मेलन (COP15) के लिए एकत्रित होंगे, यह रिपोर्ट स्पष्ट रूप से दृढ़ प्रतिबद्धताओं, विज्ञान-आधारित नीतियों, और नवोन्मेषी वित्तीय उपायों की माँग करती है, ताकि हम इस संकट को अवापसी की स्थिति तक पहुँचने से पहले ही रोक सकें