संदर्भ:
हाल ही में आई विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वैश्विक क्षय रोग रिपोर्ट 2025 के अनुसार, भारत अभी भी दुनिया में टीबी के सबसे अधिक मामलों वाला देश है और कुल वैश्विक मामलों का लगभग 25% अकेले भारत में ही पाया जाता है। हालांकि, 2015 से भारत में टीबी की घटनाओं में 21% की कमी दर्ज की गई है, जो प्रति लाख जनसंख्या पर 237 मामलों से घटकर 187 मामले हो गई है। यह गिरावट वैश्विक स्तर पर दर्ज 12% की कमी की तुलना में लगभग दोगुनी है।
वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2025 के बारे में:
यह रिपोर्ट डब्ल्यूएचओ द्वारा हर वर्ष प्रकाशित की जाती है। इसमें वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर क्षय रोग की प्रवृत्तियों का आकलन किया जाता है, जिसमें टीबी की घटना, मृत्यु दर, रोकथाम, निदान और उपचार की स्थिति जैसे प्रमुख पहलू शामिल होते हैं।
क्षय रोग में वैश्विक रुझान:
वैश्विक घटना:
• वर्ष 2023–2024 के बीच टीबी की घटनाओं में 1.7% की गिरावट दर्ज की गई, जो घटकर 131 मामले प्रति 1 लाख जनसंख्या पर आ गई है।
• यह महामारी से संबंधित व्यवधानों से धीरे-धीरे सामान्य स्थिति का संकेत देता है।
क्षेत्रीय पैटर्न:
• अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया, पूर्वी भूमध्य सागर और यूरोप में टीबी मामलों में गिरावट जारी है।
• अमेरिका महाद्वीप में लगातार चौथे वर्ष वृद्धि दर्ज हुई, जिसका मुख्य कारण मामलों की कम पहचान और स्वास्थ्य प्रणाली में व्यवधान है।
भौगोलिक बोझ:
• दक्षिण-पूर्व एशिया: 34%
• पश्चिमी प्रशांत: 27%
• अफ्रीका: वैश्विक टीबी मामलों का 25%
उच्च बोझ वाले देश (वैश्विक मामलों का 67%):
• भारत – 25%
• इंडोनेशिया – 10%
• फिलीपींस – 6.8%
• इसके बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन, नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका का स्थान है।
दवा प्रतिरोध:
• एमडीआर-टीबी (बहु-औषधि प्रतिरोधी टीबी) अब भी एक प्रमुख वैश्विक खतरा बना हुआ है।
• विभिन्न क्षेत्रों में इसके पता लगाने और उपचार में असमान प्रगति देखी जा रही है।
निधि संचय में चुनौती:
• 2020 से वैश्विक टीबी वित्तपोषण स्थिर बना हुआ है।
• वर्तमान में दानदाताओं से मिलने वाले वित्तपोषण में संभावित कमी राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रमों की निरंतरता और प्रभावशीलता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
भारत में क्षय रोग के रुझान:
घटना दर:
• 2023 में टीबी की घटना दर 195 प्रति 1 लाख जनसंख्या थी, जो 2024 में घटकर 187 प्रति 1 लाख रह गई।
• 2015 से अब तक कुल मिलाकर 21% की कमी दर्ज की गई है, जो वैश्विक औसत गिरावट (12%) की तुलना में काफी अधिक है।
मृत्यु दर:
• 2015 में भारत में टीबी से मृत्यु दर 28 प्रति 1 लाख जनसंख्या थी, जो 2024 में घटकर 21 प्रति 1 लाख हो गई।
• इसके बावजूद, यह दर (21 प्रति 1 लाख) 2025 के राष्ट्रीय लक्ष्य (3 प्रति 1 लाख) की तुलना में अभी भी काफी अधिक है।
दवा प्रतिरोध:
• वैश्विक एमडीआर-टीबी (बहु-औषधि प्रतिरोधी टीबी) मामलों में भारत की हिस्सेदारी लगभग 32% है।
• हालांकि भारत में एमडीआर-टीबी की घटना दर धीरे-धीरे कम हो रही है, परन्तु चुनौती अभी भी गंभीर बनी हुई है।
टीबी को कम करने के लिए प्रमुख पहल:
वैश्विक स्तर पर:
1. टीबी उन्मूलन रणनीति (2015–2035): इस रणनीति का लक्ष्य 2030 तक टीबी से होने वाली मौतों में 90% तथा संक्रमण दर में 80% की कमी लाना है।
2. संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय बैठकें (2018 और 2023): इन बैठकों में वैश्विक वित्तपोषण, सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और टीका नवाचार को सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धताओं को दोहराया गया।
3. ग्लोबल फंड और स्टॉप टीबी पार्टनरशिप: ये संस्थाएँ संसाधन जुटाने, अनुसंधान को बढ़ावा देने और बहुराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
4. नए डब्ल्यूएचओ दिशानिर्देश (2024–25): तेज निदान, एमडीआर-टीबी प्रबंधन और टीबी–मधुमेह सह-रुग्णता (comorbidity) के लिए अद्यतन और अधिक प्रभावी दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
भारत स्तर पर:
1. टीबी उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (2017–2025): इसका लक्ष्य 2025 तक टीबी की घटनाओं में 80% तथा मृत्यु दर में 90% कमी सुनिश्चित करना है।
2. निक्षय पोषण योजना: इस योजना के अंतर्गत टीबी मरीजों को पोषण सहायता के रूप में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के माध्यम से ₹1,000 प्रति माह प्रदान किए जाते हैं।
3. प्रधान मंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान (2024): "निक्षय मित्र" मॉडल के माध्यम से समुदाय, व्यक्तियों और कॉर्पोरेट संस्थानों की भागीदारी को बढ़ाकर टीबी मरीजों के पोषण, उपचार सहयोग और सामाजिक समर्थन को मजबूत किया जा रहा है।
4. विस्तारित निदान: देशभर में Truenat, CBNAAT और एआई-आधारित जांच तकनीकों की तैनाती बढ़ाई गई है, जिससे टीबी की शीघ्र और अधिक सटीक पहचान संभव हो रही है।
