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Blog / 13 May 2025

फ्रांस और पोलैंड ने आपसी रक्षा संधि पर हस्ताक्षर किए

सन्दर्भ:

फ्रांस और पोलैंड ने मैत्री और व्यापक सहयोग की एक नई संधि पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें आपसी रक्षा का प्रावधान भी शामिल है। यह संधि ऐसे समय में की गई है जब रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते पूर्वी यूरोप में लगातार तनाव बना हुआ है।

संधि के प्रमुख प्रावधान:

·        आपसी रक्षा प्रतिबद्धता: यदि किसी बाहरी देश द्वारा आक्रमण किया जाता है, तो दोनों देश एक-दूसरे को सैन्य सहयोग प्रदान करेंगे।

·        नाटो और यूरोपीय संघ की भूमिका को सशक्त बनाना: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने यह स्पष्ट किया है कि यह संधि नाटो या यूरोपीय संघ की सुरक्षा गारंटी का विकल्प नहीं है, बल्कि उन संस्थाओं की सुरक्षा संरचना को और अधिक मज़बूती प्रदान करती है।

यूरोप के लिए रणनीतिक महत्व:

यह संधि यूरोप में रक्षा सहयोग को एक नई दिशा देती है और रूस की आक्रामक नीतियों के प्रति बढ़ती चिंताओं को उजागर करती है।

·        सुरक्षा संतुलन: यह संधि विशेष रूप से पोलैंड की सुरक्षा क्षमताओं को मज़बूत करती है, क्योंकि उसकी सीमाएँ बेलारूस और यूक्रेन से लगती हैं, जो वर्तमान भू-राजनीतिक तनाव के प्रमुख केंद्र हैं।

·        एकजुटता का संदेश: यह पहल यूरोपीय देशों के बीच बढ़ती एकता का स्पष्ट संकेत देती है और नाटो के साथ समन्वय में यूरोपीय सुरक्षा ढांचे को और सुदृढ़ बनाती है।

भारत की रुचि और रणनीतिक दृष्टिकोण:
भले ही भारत भौगोलिक रूप से इस क्षेत्र से दूर है, फिर भी वह यूरोपीय सुरक्षा परिदृश्य में गहरी दिलचस्पी रखता है। इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं:

1.        वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था पर प्रभाव:
भारत हमेशा नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का समर्थन करता रहा है। फ्रांस-पोलैंड की यह संधि द्विपक्षीय सहयोग को बहुपक्षीय ढांचे (जैसे नाटो और ईयू) के भीतर मज़बूती देती है, जो भारत की सामूहिक सुरक्षा की सोच से मेल खाती है।

2.      रणनीतिक साझेदारियाँ:
भारत का फ्रांस और पोलैंड दोनों के साथ गहरा रक्षा और व्यापारिक रिश्ता है:

  • फ्रांस: भारत का एक पुराने और मज़बूत रक्षा साझेदार के रूप में जाना जाता है। राफेल लड़ाकू विमान, स्कॉर्पीन पनडुब्बियाँ, अंतरिक्ष तकनीक और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग जारी है।
  • पोलैंड: भारत का उभरता हुआ रक्षा और औद्योगिक साझेदार है। दोनों देश मिलिट्री आधुनिकीकरण, औद्योगिक सहयोग और तकनीकी हस्तांतरण के क्षेत्रों में मिलकर काम कर रहे हैं।

भारत की रुचि और रणनीतिक दृष्टिकोण:
यद्यपि भारत भौगोलिक रूप से इस क्षेत्र से दूर है, फिर भी वह यूरोप में बदलते सुरक्षा परिदृश्य में गहरी रुचि रखता है। इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं:

1.        वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था पर प्रभाव: भारत सदैव नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का पक्षधर रहा है। फ्रांस-पोलैंड की यह संधि द्विपक्षीय सहयोग को नाटो और यूरोपीय संघ जैसे बहुपक्षीय ढांचों के भीतर सुदृढ़ करती है, जो भारत की सामूहिक सुरक्षा और संतुलित वैश्विक व्यवस्था की सोच से मेल खाती है।

2.      रणनीतिक साझेदारियाँ: भारत का फ्रांस और पोलैंड, दोनों के साथ मजबूत और सक्रिय रक्षा व व्यापारिक संबंध हैं:

    • फ्रांस: भारत, फ्रांस का दीर्घकालिक व विश्वसनीय रक्षा साझेदार है। दोनों देशों के बीच राफेल लड़ाकू विमानों, स्कॉर्पीन पनडुब्बियों, अंतरिक्ष तकनीक और असैन्य परमाणु ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में गहरा सहयोग है।
    • पोलैंड: भारत के लिए पोलैंड एक उभरता हुआ रक्षा और औद्योगिक साझेदार है। दोनों देश सैन्य आधुनिकीकरण, औद्योगिक सहयोग और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के क्षेत्र में मिलकर काम कर रहे हैं।

फ्रांस के बारे में:

फ्रांस, जिसे आधिकारिक रूप से फ्रेंच रिपब्लिक कहा जाता है, पश्चिमी यूरोप में स्थित एक प्रमुख देश है। इसके कई विदेशी क्षेत्र अमेरिका, अटलांटिक, हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में फैले हुए हैं। यह देश जर्मनी, इटली, स्पेन, बेल्जियम सहित कई यूरोपीय देशों से घिरा हुआ है तथा अटलांटिक महासागर से लेकर राइन नदी तक और भूमध्य सागर से इंग्लिश चैनल तक विस्तृत है।

फ्रांस एक परमाणु शक्ति संपन्न देश है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है। साथ ही, यह यूरोपीय संघ (EU), नाटो, G7 और G20 जैसी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में सक्रिय और प्रभावशाली भूमिका निभाता है।

पोलैंड के बारे में:

पोलैंड, जिसे आधिकारिक रूप से रिपब्लिक ऑफ पोलैंड कहा जाता है, मध्य यूरोप में स्थित है और इसकी सीमाएँ जर्मनी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया, यूक्रेन, बेलारूस, लिथुआनिया और रूस से मिलती हैं। इसकी उत्तरी सीमा बाल्टिक सागर से लगती है।

पोलैंड संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, नाटो, ओईसीडी और शेंगेन क्षेत्र जैसे संगठनों का सदस्य है और इसके पास 17 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं।

निष्कर्ष:

फ्रांस और पोलैंड के बीच हुआ यह रक्षा समझौता केवल एक द्विपक्षीय संधि नहीं है, बल्कि यह यूरोप की सुरक्षा ज़िम्मेदारी को लेकर एक नए युग की शुरुआत है। भारत के लिए, जो रणनीतिक स्वायत्तता के साथ सक्रिय कूटनीति में विश्वास रखता है, यह समझौता यूरोप के साथ सहयोग, संवाद और गहरे जुड़ाव के नए अवसर प्रदान करता है।