संदर्भ:
हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों – हर्षवर्धन शृंगला, उज्ज्वल निकम, मीनाक्षी जैन और सी. सदानंदन मास्टर – को राज्यसभा के लिए नामित किया है। ये नामांकन संसद के उच्च सदन में क़ानून, कूटनीति, इतिहास और सामाजिक सेवा जैसे विविध क्षेत्रों से समृद्ध अनुभव और विशेष ज्ञान लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
राज्यसभा में नामित सदस्यों से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
अनुच्छेद 80(1)(a):
• राज्यसभा (राज्यों की परिषद) में अधिकतम 250 सदस्य हो सकते हैं।
• इनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाते हैं।
अनुच्छेद 80(3):
• राष्ट्रपति उन व्यक्तियों को नामित करते हैं, जिन्हें निम्नलिखित क्षेत्रों में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हो:
- साहित्य
- विज्ञान
- कला
- सामाजिक सेवा
नामित सदस्यों के अधिकार, विशेषाधिकार और शक्तियाँ:
निर्वाचित सदस्यों के समान अधिकार:
• नामित सदस्यों को राज्यसभा के निर्वाचित सदस्यों के समान सभी अधिकार, विशेषाधिकार और संसदीय संरक्षण प्राप्त होते हैं।
• वे सदन की कार्यवाही में भाग लेते हैं, बहसों और चर्चाओं में अपनी बात रखते हैं तथा विधेयकों और प्रस्तावों पर मतदान कर सकते हैं।
एकमात्र अपवाद – राष्ट्रपति चुनाव:
• नामित सदस्य भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं ले सकते (अनुच्छेद 54)।
उपराष्ट्रपति चुनाव में भागीदारी:
• वे उपराष्ट्रपति के चुनाव में मतदान कर सकते हैं, क्योंकि यह चुनाव संसद के दोनों सदनों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है (अनुच्छेद 66)।
राजनीतिक दल में शामिल होने से संबंधित प्रावधान (अनुच्छेद 99 व दसवीं अनुसूची के अंतर्गत):
• नामित सदस्य को नामांकन की तिथि से छह महीने के भीतर किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ने की अनुमति होती है।
• यदि वे छह महीने बाद किसी दल में शामिल होते हैं, तो वे दलबदल निरोधक कानून के अंतर्गत अयोग्य ठहराए जा सकते हैं।
नामित व्यक्तियों का संक्षिप्त परिचय
1. हर्षवर्धन शृंगला:
पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला एक वरिष्ठ और अनुभवी राजनयिक हैं। उन्होंने अमेरिका में भारत के राजदूत, बांग्लादेश में उच्चायुक्त तथा थाईलैंड में भारत के राजदूत के रूप में सेवाएं दी हैं। वर्ष 2023 में भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान वे मुख्य समन्वयक की भूमिका में रहे।
2. उज्ज्वल निकम:
उज्ज्वल निकम एक वरिष्ठ सरकारी वकील (पब्लिक प्रॉसिक्यूटर) हैं, जो 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मुकदमे में प्रमुख अभियोजन अधिकारी रहे। उन्होंने 1993 बॉम्बे ब्लास्ट, गुलशन कुमार हत्याकांड समेत अनेक हाई-प्रोफाइल आपराधिक मामलों में सरकार की ओर से प्रभावी पैरवी की है।
3. मीनाक्षी जैन:
मीनाक्षी जैन एक ख्यातिप्राप्त इतिहासकार हैं। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के गर्गी कॉलेज में इतिहास की एसोसिएट प्रोफेसर रही हैं। वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में उन्होंने मध्यकालीन भारत पर आधारित एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक का लेखन किया। भारतीय इतिहास और संस्कृति पर उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी हैं।
4. सी. सदानंदन मास्टर:
केरल के एक समर्पित शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता, सी. सदानंदन मास्टर पर 1994 में CPI(M) कार्यकर्ताओं द्वारा जानलेवा हमला हुआ था, जिसमें वे दोनों पैर गंवा बैठे। इसके बावजूद उन्होंने सामाजिक सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में अपना कार्य जारी रखा और समुदाय के उत्थान के लिए लगातार प्रयासरत रहे।
नामांकन का महत्व
ये नामांकन उन सीटों को भरते हैं जो पूर्व नामित सदस्यों के सेवानिवृत्त होने से रिक्त हुई थीं। यह प्रक्रिया न केवल सार्वजनिक जीवन में विशिष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करती है, बल्कि राज्यसभा की बहसों और विधायी प्रक्रियाओं को भी समृद्ध करती है। इन विशेषज्ञों की विद्वता, अनुभव और दृष्टिकोण से नीतिनिर्माण और जनहित के मुद्दों पर अधिक गंभीर और विविध विचार सामने आएंगे।