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Blog / 23 Aug 2025

फोर्टिफाइड चावल योजना का विस्तार

संदर्भ:

हाल ही में भारत सरकार ने सार्वभौमिक फोर्टिफाइड चावल वितरण योजना को दिसंबर 2028 तक बढ़ा दिया है। इस विस्तार के लिए 17,082 करोड़ का बजटीय आवंटन किया गया है। यह योजना विशेष रूप से बच्चों, महिलाओं और अन्य कमजोर वर्गों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की व्यापक कमी, विशेषकर एनीमिया से निपटने के उद्देश्य से शुरू की गई एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य और पोषण पहल है।

·        चावल फोर्टिफिकेशन पहल की शुरुआत वर्ष 2019 में की गई थी। मार्च 2024 तक, खाद्य सुरक्षा संबंधी सभी कार्यक्रमों के अंतर्गत वितरित कस्टम-मिल्ड चावल को फोर्टिफाइड चावल से प्रतिस्थापित कर दिया गया।

उद्देश्य और लाभ:

·        पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना:
जनसंख्या में एनीमिया तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को प्रभावी रूप से कम करना।

·        सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार:
जनसंख्या के पोषण स्तर एवं समग्र स्वास्थ्य स्थिति को बेहतर बनाना।

·        कमजोर वर्गों का समर्थन:
वंचित वर्गों, विशेषकर बच्चों और महिलाओं को आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता सुनिश्चित करना।

फोर्टिफाइड चावल के विषय में:

फोर्टिफाइड चावल वह चावल होता है जिसे आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन B12 जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों से संवर्धित किया गया होता है। यह उन लोगों के लिए, जिनका मुख्य आहार चावल है, आवश्यक विटामिन और खनिज प्रदान कर कुपोषण, विशेषकर एनीमिया, से निपटने की एक प्रभावी रणनीति है। फोर्टिफिकेशन की प्रक्रिया में सामान्य चावल में फोर्टिफाइड राइस कर्नेल्स (FRK) को लगभग 1:100 के अनुपात में मिलाया जाता है।

·        फोर्टिफाइड चावल का वितरण पीएम पोषण योजना, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) तथा एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) जैसे प्रमुख कल्याणकारी कार्यक्रमों के माध्यम से किया जाता है।

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योजना के विस्तार के कारण:

·        भारत में एनीमिया की दर विश्व में सबसे अधिक है, विशेषकर महिलाओं, किशोरियों और बच्चों में। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5, 2019–21) के अनुसार, 57% से अधिक महिलाएं और पाँच वर्ष से कम आयु के लगभग 67% बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं।

·        सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, जिसे "छिपी हुई भूख" (Hidden Hunger) कहा जाता है, के कारण संज्ञानात्मक विकास में बाधा, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी तथा मातृत्व संबंधी जटिलताएं उत्पन्न होती हैं। आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन B12 से समृद्ध फोर्टिफाइड चावल इस कमी को बड़े पैमाने पर दूर करने में सहायक है।

·        भारत की लगभग दो-तिहाई जनसंख्या, विशेषकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) पर निर्भर परिवार, प्रतिदिन चावल का उपभोग करती है। पहले से मौजूद वितरण नेटवर्कजैसे पीडीएस, पीएम पोषण (मध्याह्न भोजन योजना), और एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS)—के माध्यम से फोर्टिफाइड चावल का वितरण इसकी व्यापक पहुँच और प्रभावशीलता को सुनिश्चित करता है।

यह पहल राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों के अनुच्छेद 47 के अनुरूप है, जो नागरिकों के पोषण, जीवन स्तर और स्वास्थ्य में सुधार के लिए राज्य को प्रयास करने का निर्देश देता है।

कुपोषण से निपटने के लिए विभिन्न योजनाएँ:

भारत सरकार की कई योजनाएँ और पहल कुपोषण, खासकर बच्चों, महिलाओं और किशोरियों में, को दूर करने पर केंद्रित हैं:

  • पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन) / मिशन पोषण 2.0:   2018 में शुरू यह बहु-मंत्रालयी मिशन किशोरियों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और 0-6 वर्ष के बच्चों की पोषण स्थिति सुधारने का लक्ष्य रखता है। इसका उद्देश्य बौनापन, कम वजन, एनीमिया और जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों की संख्या में कमी लाना है।
  • एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) योजना:  यह योजना आंगनवाड़ी सेवाओं के माध्यम से बच्चों और माताओं को पूरक पोषण और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती है। इसके तहत किशोरियों की पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने तथा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) के तहत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को नकद प्रोत्साहन भी दिया जाता है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए), 2013:· यह अधिनियम व्यापक स्तर पर रियायती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराता है और पीएम पोषण तथा ICDS जैसी योजनाओं के जरिए महिलाओं व बच्चों को पोषण सहायता एवं मातृत्व लाभ प्रदान करता है।
  • पीएम पोषण योजना:· पूर्व में मध्याह्न भोजन योजना के नाम से जानी जाने वाली इस योजना का उद्देश्य सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चों की पोषण स्थिति और स्कूल उपस्थिति में सुधार लाना है।

निष्कर्ष:

सार्वभौमिक फोर्टिफाइड चावल वितरण योजना का विस्तार भारत में कुपोषण और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अपने व्यापक कवरेज और पोषण संबंधी लाभों के साथ, इस पहल में सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों में उल्लेखनीय सुधार लाने और कमजोर आबादी को सहायता प्रदान करने की क्षमता है।