संदर्भ:
हाल ही में इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) की पहली सभा नई दिल्ली में आयोजित की गई, जहाँ पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को नौ संस्थापक देशों के प्रतिनिधियों द्वारा सर्वसम्मति से IBCA के पहले अध्यक्ष के रूप में चुना गया। इस सभा में मुख्यालय समझौते को भी अनुमोदित किया गया, जिससे IBCA का संचालन केंद्र आधिकारिक रूप से भारत में स्थापित हो गया है। भविष्य में सदस्य देशों में इसके क्षेत्रीय कार्यालय भी खोले जाएंगे।
IBCA के बारे में:
• IBCA की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 अप्रैल, 2023 को "प्रोजेक्ट टाइगर" की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर की थी।
• इस पहल का मुख्य उद्देश्य सात प्रमुख बड़ी बिल्ली प्रजातियों का संरक्षण करना है: टाइगर, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जैगुआर और प्यूमा।
• 29 फरवरी 2024 को हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने IBCA की स्थापना को मंजूरी दी, और इसका मुख्यालय भारत में स्थापित किया गया।
• इस पहल का नेतृत्व राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने किया, जो पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अंतर्गत कार्यरत है।
• IBCA की सदस्यता सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों के लिए खुली है, विशेष रूप से उन देशों के लिए जहाँ ये प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इसके अलावा वे देश भी सदस्य बन सकते हैं जो संरक्षण प्रयासों में सहयोग देना चाहते हैं। सितंबर 2024 तक विश्व के 95 रेंज देशों में से 25 देश IBCA के सदस्य बन चुके थे।
IBCA की स्थापना क्यों की गई?
IBCA की स्थापना निम्नलिखित उद्देश्यों से की गई:
• बड़ी बिल्लियों के प्रति बढ़ते खतरों से निपटना।
• संरक्षण प्रयासों को एकजुट करना और सर्वोत्तम तरीकों को साझा करना।
• सांझा शोध, क्षमता निर्माण और वित्तीय सहायता को बढ़ावा देना।
• शीर्ष शिकारी प्रजातियों की रक्षा के माध्यम से पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित करना।
IBCA के कार्य:
• संरक्षण रणनीतियों के लिए देशों के बीच सहयोग।
• तकनीकी साझेदारी, शोध और डेटा का आदान-प्रदान।
• सदस्य देशों के लिए वित्तीय सहायता।
• शिकार विरोधी प्रशिक्षण और समन्वय।
• इको-टूरिज्म और सतत विकास को बढ़ावा देना।
• सीमाओं के पार बड़ी बिल्लियों की निगरानी।
संरक्षित बड़ी बिल्ली प्रजातियाँ और उनकी संरक्षण स्थिति:
प्रजाति |
वैज्ञानिक नाम |
IUCN स्थिति |
CITES स्थिति |
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (भारत) |
बाघ (Tiger) |
पैंथेरा टाइग्रिस |
संकटग्रस्त |
परिशिष्ट-I |
अनुसूची-1 |
एशियाई शेर |
पैंथेरा लियो पर्सिका |
संकटग्रस्त |
परिशिष्ट-I |
अनुसूची-1 |
तेंदुआ (Leopard) |
पैंथेरा पार्डस |
असुरक्षित |
परिशिष्ट-I |
अनुसूची-1 |
हिम तेंदुआ |
पैंथेरा अन्सिया |
असुरक्षित |
परिशिष्ट-I |
अनुसूची-1 |
चीता (Cheetah) |
एसिनोनिक्स जुबेटस |
असुरक्षित |
परिशिष्ट-I |
अनुसूची-1 |
जैगुआर (Jaguar) |
पैंथेरा ओंका |
निकट संकटग्रस्त |
परिशिष्ट-I |
भारत में नहीं पाई जाती |
प्यूमा (Puma) |
प्यूमा कॉनकलर |
कम संकटग्रस्त |
परिशिष्ट-I |
भारत में नहीं पाई जाती |
निष्कर्ष:
IBCA वैश्विक स्तर पर बड़ी बिल्लियों के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसकी समग्र और सहयोगात्मक संरचना इन जीवों और उनके आवासों को भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखने में मदद कर सकती है।