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Blog / 03 Sep 2025

भारत का पहला स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर

संदर्भ:

हाल ही में आयोजित सेमीकॉन इंडिया 2025 सम्मेलन में भारत ने देश के पहले पूर्णतः स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर विक्रम 3201 का अनावरण किया। यह भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और स्वदेशी विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

·        सेमीकॉन इंडिया 2025, 2 से 4 सितंबर तक आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन हुआ, जिसका उद्देश्य भारत में एक मजबूत, लचीला और टिकाऊ सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को बढ़ावा देना है।

विक्रम 3201 प्रोसेसर के बारे में:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला (SCL), चंडीगढ़ के सहयोग से विकसित विक्रम 3201 एक अत्याधुनिक अंतरिक्ष-स्तरीय माइक्रोप्रोसेसर है।

·         यह माइक्रोप्रोसेसर स्मार्टफोन या लैपटॉप में प्रयुक्त उपभोक्ता चिप्स से भिन्न है; इसे विशेष रूप से प्रक्षेपण यान एवियोनिक्स और अंतरिक्ष यान प्रणालियों के लिए डिज़ाइन किया गया है।

·         यह -55°C से +125°C तक के चरम तापमान में कार्य करने में सक्षम है तथा अंतरिक्ष में मौजूद विकिरण और कंपन जैसी कठोर परिस्थितियों को सहन कर सकता है।

·         विक्रम 3201, इसरो द्वारा विकसित पहले के विक्रम 1601 का उन्नत संस्करण है, जो एक 16-बिट चिप है और वर्ष 2009 से भारतीय रॉकेटों को शक्ति प्रदान कर रही है।

विक्रम 3201 का महत्व:

·        विकिरण-प्रतिरोधी घटकों की उपलब्धता में कठिनाई के कारण, भारत लंबे समय से महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अभियानों के लिए आयातित प्रोसेसर पर निर्भर रहा है।

·        विक्रम 3201 का विकास आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो देश को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की कमजोरियों से सुरक्षित रखने में सहायक होगा।

माइक्रोप्रोसेसर के विषय में:

·        माइक्रोप्रोसेसर कंप्यूटर की केंद्रीय प्रसंस्करण इकाई (CPU) होता है, जो एक छोटी चिप पर होता है। यह मेमोरी से निर्देश लेता है, गणना और तर्क से जुड़े कार्य करता है, और अन्य उपकरणों को नियंत्रित करता है।

·        माइक्रोप्रोसेसर को पर्सनल कंप्यूटर, स्मार्टफोन और उपग्रह जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का "दिमाग" माना जाता है, क्योंकि यह बाइनरी निर्देशों को पढ़कर उनका विश्लेषण करता है, डेटा को प्रोसेस करता है और उपकरण को निर्धारित कार्य करने में सक्षम बनाता है।

अर्धचालकों के विषय में:

अर्धचालक (Semiconductors) विशेष प्रकार के पदार्थ होते हैं जो आवश्यकता अनुसार विद्युत के चालक और कुचालक दोनों के रूप में कार्य कर सकते हैं। यही गुण उन्हें विद्युत संकेतों पर सटीक नियंत्रण की क्षमता प्रदान करता है, जिससे ये आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक परिपथों के मूलभूत घटक बन गए हैं।

·         एक अर्धचालक चिप में अरबों ट्रांजिस्टर (छोटे स्विच) समाहित किए जाते हैं, जिनके माध्यम से स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहन, चिकित्सा उपकरण, रक्षा प्रणालियाँ और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे जटिल उपकरण कुशलतापूर्वक कार्य करते हैं।

·         अर्धचालक आज के डिजिटलीकरण और स्वचालन (Automation) के मूल स्तंभ हैं, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), संचार, स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में नवाचारों को गति प्रदान करते हैं।

भारत का सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) :

·        भारत सरकार ने दिसंबर 2021 में 76,000 करोड़ के परिव्यय के साथ भारत अर्धचालक मिशन (ISM) की शुरुआत की। इसका उद्देश्य भारत में एक सशक्त, आत्मनिर्भर और प्रतिस्पर्धी सेमीकंडक्टर तथा डिस्प्ले विनिर्माण उद्योग का विकास करना है।

·        इस मिशन के अंतर्गत डिज़ाइन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (Design Linked Incentive - DLI) एक प्रमुख घटक है, जिसका उद्देश्य भारत के सेमीकंडक्टर डिज़ाइन क्षेत्र को बढ़ावा देना है।

·        इस योजना के तहत, एकीकृत सर्किट (IC), सिस्टम-ऑन-चिप (SoC) और अन्य अर्धचालक उत्पादों के डिज़ाइन में कार्यरत घरेलू कंपनियों और स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

निष्कर्ष:

विक्रम 3201 का अनावरण एयरोस्पेस क्षेत्र में भारत की तकनीकी संप्रभुता की दिशा में एक महत्वपूर्ण विकास है। यह आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो विदेशी तकनीक पर निर्भरता को कम करता है और वैश्विक सेमीकंडक्टर एवं अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की स्थिति को सशक्त बनाता है।