संदर्भ:
हाल ही में केरल उच्च न्यायालय मलयालम फिल्म “हाल” (Haal) के निर्माता और निर्देशक द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें उन्होंने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) द्वारा फिल्म को “A” (Adults Only) प्रमाणपत्र देने और उस पर अनिवार्य कट लगाने के निर्णय को चुनौती दी है। उनका तर्क है कि यह निर्णय मनमाना है और अभिव्यक्ति तथा कलात्मक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है।
पृष्ठभूमि:
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- फिल्म “हाल” (Haal) एक धर्मांतर संबंध (interfaith relationship) पर आधारित संवेदनशील कहानी है। विवाद तब उत्पन्न हुआ जब CBFC के क्षेत्रीय कार्यालय ने प्रारंभ में फिल्म को पास करने की अनुशंसा की, लेकिन बाद में इसे मुंबई की पुनरीक्षण समिति के पास भेज दिया गया, जिसने 15 कट लगाने और “A” (Adults Only) सर्टिफिकेट देने का आदेश जारी किया।
- फिल्म निर्माताओं का तर्क है कि ये आदेश मनमाने, अनुचित हैं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
- CBFC ने कुछ दृश्यों में ईसाई कॉलेज का नाम धुंधला करने और धार्मिक पहचान से जुड़े संवाद बदलने का निर्देश दिया, जिससे फिल्म का सामाजिक-सांस्कृतिक संदेश कमजोर पड़ गया है।
- फिल्म “हाल” (Haal) एक धर्मांतर संबंध (interfaith relationship) पर आधारित संवेदनशील कहानी है। विवाद तब उत्पन्न हुआ जब CBFC के क्षेत्रीय कार्यालय ने प्रारंभ में फिल्म को पास करने की अनुशंसा की, लेकिन बाद में इसे मुंबई की पुनरीक्षण समिति के पास भेज दिया गया, जिसने 15 कट लगाने और “A” (Adults Only) सर्टिफिकेट देने का आदेश जारी किया।
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भारत में फिल्म प्रमाणन व्यवस्था:
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- भारत में फिल्मों के प्रमाणन की व्यवस्था सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 के अंतर्गत की जाती है।
- इस व्यवस्था का संचालन केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा किया जाता है, जो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन कार्यरत एक वैधानिक संस्था है।
- CBFC का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि फिल्में समाज की नैतिकता और शालीनता के मानकों के अनुरूप हों, साथ ही यह भी कि रचनात्मक स्वतंत्रता को अनुचित रूप से बाधित न किया जाए।
- इसमें एक अध्यक्ष और 12–25 गैर-सरकारी सदस्य होते हैं जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। इसका मुख्यालय मुंबई में है तथा देशभर में 9 क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
- भारत में फिल्मों के प्रमाणन की व्यवस्था सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 के अंतर्गत की जाती है।
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फिल्म प्रमाणन की प्रक्रिया :
वर्तमान में पूरी प्रक्रिया डिजिटल हो चुकी है और e-CinePramaan पोर्टल के माध्यम से संचालित होती है।
प्रक्रिया के मुख्य चरण निम्न हैं —
ऑनलाइन आवेदन :
निर्माता फिल्म, आवश्यक दस्तावेज़ और शुल्क पोर्टल पर अपलोड करते हैं।
परीक्षण :
एक समिति फिल्म को देखती है और यह अनुशंसा करती है कि फिल्म को कौन-सा सर्टिफिकेट दिया जाए और क्या कोई संशोधन या कट जरूरी हैं।
निर्णय व अनुपालन :
बोर्ड के अध्यक्ष समिति की रिपोर्ट की समीक्षा करते हैं और आवश्यकतानुसार आदेश जारी करते हैं।
सभी निर्देशों के अनुपालन के बाद प्रमाण पत्र इलेक्ट्रॉनिक रूप से जारी किया जाता है।
प्रमाणपत्रों के प्रकार :
U (Universal)- सभी आयु वर्ग के लिए उपयुक्त।
U/A -सभी के लिए, परंतु 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए अभिभावक की सलाह आवश्यक; इसमें उपश्रेणियाँ हैं – U/A 7+, U/A 13+, U/A 16+.
A (Adults Only)-केवल 18 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए।
S (Specialized)-विशेष पेशेवर समूहों (जैसे डॉक्टर, वैज्ञानिक) के लिए सीमित।
निष्कर्ष:
‘हाल’ (Haal) फिल्म का मामला भारत में कलात्मक स्वतंत्रता और राज्यीय नियंत्रण के बीच जारी तनाव को दर्शाता है। अक्सर CBFC “सार्वजनिक हित” का कारण देकर कट या रोक लगाता है, जिससे सेंसरशिप और वर्गीकरण की सीमा धुंधली हो जाती है। भारत को ऐसी पारदर्शी और स्व-नियामक व्यवस्था की आवश्यकता है, जहाँ फिल्मों को वर्गीकृत किया जाए जिससे रचनात्मक स्वतंत्रता सुरक्षित रहे।
