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Blog / 11 Jul 2025

राज्य प्रायोजित आतंकवाद पर FATF की रिपोर्ट

संदर्भ:

आतंकवाद की फंडिंग पर निगरानी रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में राज्य प्रायोजित आतंकवाद (State-Sponsored Terrorism) पर एक स्वतंत्र अनुभाग शामिल किया है। यह कदम उन आरोपों को वैश्विक स्तर पर मान्यता देता है, जिन्हें भारत लंबे समय से पाकिस्तान के खिलाफ उठाता रहा है।

FATF रिपोर्ट की मुख्य बातें:

  • राज्य प्रायोजित आतंकवाद: रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ आतंकवादी संगठनों को कुछ देशों की सरकारों से वित्तीय व अन्य प्रकार का समर्थन मिला है, जो वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है।
  • LeT और JeM की फंडिंग: रिपोर्ट में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) की वित्तीय गतिविधियों और फंडिंग पैटर्न का विवरण भी दिया गया है। ये दोनों संगठन संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी संगठन हैं।

भारत के लिए इसका महत्व:

FATF की यह रिपोर्ट भारत के लिए रणनीतिक और कूटनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें राज्य प्रायोजित आतंकवाद की स्वीकारोक्ति और LeT JeM की फंडिंग को लेकर जो तथ्य सामने आए हैं, वे पाकिस्तान पर भारत के आरोपों को वैश्विक स्तर पर वैधता और समर्थन प्रदान करते हैं।

पाकिस्तान की भूमिका उजागर करने के भारत के प्रयास:

भारत लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह तथ्य उठाता रहा है कि पाकिस्तान आतंकवाद को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से वित्तीय और लॉजिस्टिक सहयोग देता है।
2022 में भारत ने अपनी मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक वित्तपोषण जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को एक प्रमुख राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे के रूप में चिन्हित किया था।

आतंकवाद की परिभाषा:

आम तौर पर आतंकवाद का अर्थ होता है, किसी राजनीतिक, वैचारिक या सामाजिक उद्देश्य को पाने के लिए हिंसा या डर का इस्तेमाल करना।

संयुक्त राष्ट्र ने अभी तक आतंकवाद की एक सर्वमान्य परिभाषा तय नहीं की है, लेकिन उसने यह स्वीकार किया है कि यह ऐसे कृत्य होते हैं जो आम नागरिकों को चोट पहुँचाने या मारने के उद्देश्य से किए जाते हैं, जिससे समाज में भय का वातावरण बने और सरकारों या अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं पर दबाव डाला जा सके।

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) क्या है?

FATF एक अंतर-सरकारी संस्था है, जिसकी स्थापना 1989 में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद की फंडिंग से लड़ने के लिए की गई थी। इसका उद्देश्य है वैश्विक वित्तीय प्रणाली को ऐसे खतरों से सुरक्षित बनाना और देशों द्वारा अपनाए गए उपायों की निगरानी करना।

एफएटीएफ की भूमिका:

·        मानक निर्धारित करना : एफएटीएफ अनुशंसाओं के माध्यम से वैश्विक एएमएल/सीएफटी मानकों का विकास करना, जिसमें उचित परिश्रम, संदिग्ध लेनदेन रिपोर्टिंग और सहयोग शामिल हैं।

·        अनुपालन की निगरानी : यह आकलन करने के लिए पारस्परिक मूल्यांकन आयोजित करता है कि देश इन मानकों को कितनी प्रभावी ढंग से लागू करते हैं।

·        गैर-अनुपालन क्षेत्राधिकारों को सूचीबद्ध करना : कमजोर एएमएल/सीएफटी व्यवस्थाओं में सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए ब्लैकलिस्ट (उच्च जोखिम) और ग्रेलिस्ट (निगरानी के अधीन) प्रकाशित करना।

·        कार्यान्वयन में सहायता : देशों को अपनी प्रणालियों में सुधार करने में सहायता करने के लिए तकनीकी सहायता , प्रशिक्षण और मार्गदर्शन प्रदान करता है।

·        वैश्विक सहयोग : अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सूचना साझाकरण को बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र, आईएमएफ और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं के साथ साझेदारी ।

·        नए खतरों के प्रति अनुकूलन : आभासी परिसंपत्तियों , क्राउडफंडिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के उभरते रुझानों जैसे उभरते जोखिमों से निपटने के लिए मानकों को अद्यतन करना।

निष्कर्ष:

FATF की यह रिपोर्ट, जिसमें राज्य प्रायोजित आतंकवाद पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक उपलब्धि मानी जा सकती है। यह न सिर्फ आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों को जवाबदेह ठहराने की अंतरराष्ट्रीय आवश्यकता को रेखांकित करती है, बल्कि वैश्विक समुदाय को यह संदेश भी देती है कि ऐसे खतरों से निपटने के लिए सामूहिक और ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है।