सन्दर्भ:
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की एक संयुक्त रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अत्यधिक तापमान वैश्विक स्तर पर एक गंभीर स्वास्थ्य संकट का रूप लेती जा रही है।
· रिकॉर्ड तोड़ वैश्विक तापमान (2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष) की पृष्ठभूमि में जारी इस रिपोर्ट में कामगारों को गर्मी से होने वाले तनाव और संबंधित स्वास्थ्य जोखिमों से बचाने के लिए त्वरित और ठोस कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
प्रमुख मुद्दे: अत्यधिक गर्मी और कार्यस्थल पर स्वास्थ्य संकट
1. कार्यकर्ताओं के लिए स्वास्थ्य जोखिम:
अत्यधिक गर्मी से कामगारों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ते हैं:
· तत्काल प्रभाव: हीट स्ट्रोक, निर्जलीकरण
· दीर्घकालिक प्रभाव: मस्तिष्क और गुर्दे संबंधी विकार
· विशेष जोखिम: गर्म वातावरण में कार्यरत गर्भवती महिलाओं में गर्भपात की संभावना अधिक
· अधिक प्रभावित समूह:
o मध्यम आयु वर्ग और बुजुर्ग कामगार
o वे लोग जो पुरानी बीमारियों से ग्रस्त हैं या जिनकी शारीरिक क्षमता सीमित है।
2. उत्पादकता में कमी:
· 20°C के बाद हर 1°C तापमान वृद्धि पर श्रमिकों की उत्पादकता में 2–3% तक की गिरावट देखी जाती है।
· यह प्रभाव विशेष रूप से ठंडी व्यवस्था से रहित इनडोर कार्यस्थलों में अधिक गंभीर होता है।
3. व्यावसायिक संकट का रूप:
· ताप तनाव (Heat Stress) अब एक व्यापक व्यावसायिक खतरा बन चुका है।
· वैश्विक जनसंख्या का लगभग 50% अत्यधिक गर्मी के प्रतिकूल प्रभावों का सामना कर रहा है।
4. नीति और तैयारी में कमियाँ:
· अनेक देशों में तापमान अनुकूलन हेतु पर्याप्त नीतियों और सुरक्षा उपायों का अभाव है।
· मौजूदा जलवायु अनुकूलन रणनीतियाँ निम्नलिखित कारणों से प्रभावी नहीं हो पा रही हैं:
o सांस्कृतिक संदर्भों की उपेक्षा
o लैंगिक कार्यभार की अनदेखी
o आर्थिक असमानताओं को दूर करने में विफलता
सुझाव:
1. नीति निर्माण:
· स्थानीय मौसम परिस्थितियों और कार्य की प्रकृति के आधार पर कार्यस्थलों के लिए ताप-स्वास्थ्य दिशानिर्देश विकसित किए जाएं।
2. संवेदनशील समूहों की सुरक्षा:
· वृद्ध श्रमिकों, पहले से बीमार लोगों तथा आर्थिक रूप से वंचित समुदायों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए।
3. जन-जागरूकता और प्रशिक्षण:
· नियोक्ताओं, श्रमिकों और स्वास्थ्यकर्मियों को ताप तनाव की पहचान, रोकथाम और प्राथमिक उपचार के बारे में प्रशिक्षित किया जाए।
4. प्रौद्योगिकी का समुचित उपयोग:
· उत्पादकता और स्वास्थ्य बनाए रखने हेतु पहनने योग्य डिवाइसेज़, जलवायु-अनुकूल बुनियादी ढाँचे जैसे नवाचारों को बढ़ावा दिया जाए।
5. स्थानीयकृत एवं न्यायसंगत अनुकूलन रणनीति:
· ऐसे समाधान अपनाए जाएं जो स्थानीय सामाजिक-सांस्कृतिक वास्तविकताओं के अनुकूल हों और सामाजिक-आर्थिक न्याय को सुनिश्चित करें।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO):
- मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड
- स्थापना: 1948 (संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी)
- उद्देश्य: वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य पर अधिकारिक प्राधिकरण के रूप में कार्य करना।
प्रमुख कार्य:
- अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य मानकों का निर्धारण और समन्वय।
- महामारी (जैसे COVID-19) की निगरानी और वैश्विक प्रतिक्रिया।
- सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज, मानसिक स्वास्थ्य, मातृ व शिशु स्वास्थ्य को बढ़ावा देना।
- लचीली स्वास्थ्य प्रणालियों के निर्माण में देशों की सहायता।
- रोगों का अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण (ICD) प्रकाशित करना।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO):
मुख्यालय:
· जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड
स्थापना:
· 1950 में अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) से विकसित होकर, उसी वर्ष संयुक्त राष्ट्र की एक विशिष्ट एजेंसी बनी।
अधिदेश (Mandate):
· वायुमंडलीय विज्ञान, जलवायु निगरानी, मौसम पूर्वानुमान और जल संसाधनों पर अंतर्राष्ट्रीय समन्वय सुनिश्चित करना।
प्रमुख कार्य:
· वैश्विक मौसम संबंधी आंकड़ों का संग्रह, विश्लेषण और मानकीकरण।
· जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और चरम मौसम स्थितियों की निगरानी एवं रिपोर्टिंग।
· बाढ़, सूखा, चक्रवात और लू जैसी घटनाओं के लिए पूर्व चेतावनी प्रणालियों को समर्थन देना।
· राष्ट्रीय मौसम विज्ञान और जल विज्ञान सेवाओं (NMHS), जैसे भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के साथ सहयोग।
निष्कर्ष:
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट अत्यधिक गर्मी को एक उभरते वैश्विक स्वास्थ्य और श्रम संकट के रूप में चिन्हित करती है, जिसका प्रभाव विशेष रूप से असुरक्षित जनसंख्या पर अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार, यदि तत्काल नीतिगत सुधार, लक्षित हस्तक्षेप, और समावेशी जलवायु अनुकूलन नहीं किए गए, तो बीमारी, मृत्यु दर और आर्थिक नुकसान में भारी वृद्धि हो सकती है। मानव स्वास्थ्य और गरिमा की रक्षा हेतु, गर्मी को अब केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं, बल्कि एक प्रमुख व्यावसायिक जोखिम के रूप में देखा जाना चाहिए।