संदर्भ:
यूरेशियन ऊदबिलाव (Lutra lutra), जिसे लंबे समय से कश्मीर में विलुप्त माना जा रहा था, हाल ही में दक्षिण कश्मीर के श्रीगुफवारा क्षेत्र में लिद्दर नदी में देखा गया। यह अप्रत्याशित दृश्य स्थानीय वन्यजीव संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण प्रगति है, क्योंकि यह वर्ष 2025 में घाटी में इस ऊदबिलाव की तीसरी उपस्थिति है।
यूरेशियन ऊदबिलाव के बारे में:
ऊदबिलाव स्तनधारियों के उस समूह से संबंधित हैं जिसे मस्टेलिडी (Mustelidae) कहा जाता है और ये मीठे पानी तथा समुद्री दोनों प्रकार के आवासों में पाए जाते हैं।
• जम्मू और कश्मीर में इन्हें 'वोडुर' कहा जाता है और ये जल-परिस्थितिकी तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
• ये प्रायः भोर और संध्या के समय सक्रिय रहते हैं इसलिए इन्हें संध्याकालीन जीव कहा जाता है।
• ये हिमालय, पूर्वोत्तर भारत और पश्चिमी घाटों में पाए जाते हैं।
• यूरेशियन ऊदबिलाव मछलियाँ, झींगे और कभी-कभी सरीसृप, पक्षी, अंडे, कीट और कीड़े भी इनके आहार श्रृंखला में है।
संरक्षण स्थिति:
इन्हें IUCN द्वारा निकट संकटग्रस्त (Near Threatened) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I में शामिल किया गया है और CITES के परिशिष्ट-I में भी रखा गया है।
भारत में पाए जाने वाले अन्य ऊदबिलाव प्रजातियाँ:
भारत में स्मूद-कोटेड ऊदबिलाव (जो पूरे देश में पाया जाता है) और स्मॉल-क्लॉड ऊदबिलाव (जो हिमालय और दक्षिण भारत में पाया जाता है) भी मौजूद हैं।
संख्या में गिरावट के कारण:
• जल प्रदूषण: कश्मीर की नदियों और झीलों में बढ़ता प्रदूषण जैसे सीवेज, प्लास्टिक कचरा, कृषि रसायन और अनियंत्रित पर्यटन ने ऊदबिलाव के प्राकृतिक आवास को नष्ट कर दिया। चूँकि ऊदबिलाव स्वच्छ जल और स्वस्थ मछली आबादी पर निर्भर करते हैं, प्रदूषित पारिस्थितिकी तंत्र ने इन्हें वहाँ से बाहर कर दिया।
• फ़र के लिए शिकार: पहले ऊदबिलावों का शिकार उनके मुलायम और जलरोधक फ़र के लिए किया जाता था, जिससे इनकी संख्या में भारी गिरावट आई।
यह दृष्टि क्यों महत्वपूर्ण है:
यूरेशियन ऊदबिलाव की वापसी एक सकारात्मक पारिस्थितिक संकेत है। मीठे जल के आवासों में शीर्ष शिकारी होने के नाते, ऊदबिलाव जलीय खाद्य श्रृंखला में संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। इनकी उपस्थिति अक्सर एक अपेक्षाकृत स्वस्थ नदी प्रणाली का संकेत होती है।
हालाँकि, विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ दृश्य मिलने का मतलब यह नहीं है कि आबादी पूरी तरह से पुनर्स्थापित हो गई है। यह एकाकी जीव हो सकता है या किसी छिपी हुई छोटी आबादी का हिस्सा हो सकता है। इसके लिए अधिक फील्ड शोध और दीर्घकालीन निगरानी की आवश्यकता होगी।
लिद्दर नदी के बारे में-
लिद्दर नदी दक्षिण कश्मीर की एक स्वच्छ और तेज बहाव वाली नदी है। यह हिमालय की हिमनदियों से निकलती है और सुंदर लिद्दर घाटी, जिसमें पहलगाम शहर शामिल है, से होकर बहती है।
• यह नदी पहलगाम के पास दो शाखाओं में बंट जाती है — पूर्वी लिद्दर और पश्चिमी लिद्दर। यह झेलम नदी की एक शाखा है और मछलियों, वन्यजीवों तथा स्थानीय लोगों के लिए महत्वपूर्ण है।
• यह नदी पर्यटन को भी सहारा देती है और क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाती है।