संदर्भ:
भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने देश की राजनीतिक प्रणाली को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आयोग ने 345 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (Registered Unrecognised Political Parties - RUPP) को अपनी सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ये वे पार्टियां हैं जिन्होंने लंबे समय से किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं लिया है और जिनके पंजीकरण के दौरान दिए गए पते या संपर्क विवरण अब सत्यापित नहीं हो पा रहे हैं।
रजिस्टर्ड अपंजीकृत राजनीतिक पार्टियां के बारे में:
रजिस्टर्ड अपंजीकृत राजनीतिक पार्टियां वे राजनीतिक संगठन होते हैं जो 1951 के जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29A के अंतर्गत भारत के चुनाव आयोग के पास पंजीकृत तो होते हैं, लेकिन उन्हें राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त नहीं होती।
हालांकि इन राजनीतिक दलों को मान्यता प्राप्त नहीं होतीं, फिर भी इन्हें कुछ विशेष सुविधाएं मिलती हैं, जैसे:
• मतदाता सूची तक पहुंच की सुविधा
• चंदे पर आयकर छूट
• अन्य लाभ, जिनका उद्देश्य लोकतांत्रिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना होता है।
वर्तमान में देशभर में 2,800 से अधिक गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल पंजीकृत हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इनमें से कई पार्टियां या तो निष्क्रिय हो गई हैं या संपर्क से बाहर हैं, जिससे इनके दुरुपयोग और वास्तविक उपयोगिता को लेकर गंभीर सवाल सवाल उठे हैं।
इस कार्रवाई के मुख्य बिंदु:
1. देशव्यापी जांच: चुनाव आयोग ने पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) की व्यापक स्तर पर समीक्षा की, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे न्यूनतम आवश्यकताओं का पालन कर रही हैं या नहीं। किसी पार्टी को सक्रिय माने जाने के लिए उसका लोकसभा, राज्य विधानसभा या उपचुनावों में कम से कम एक बार भाग लेना आवश्यक है।
2. हटाने के लिए निर्धारित मानदंड: जिन 345 पार्टियों को सूची से हटाने के लिए चिन्हित किया गया है, वे दो प्रमुख शर्तें पूरी करती हैं:
o उन्होंने वर्ष 2019 से अब तक किसी भी चुनाव में भाग नहीं लिया है (लगभग छह वर्षों की अवधि)।
o इनके कार्यालय, पंजीकरण के समय दिए गए पते पर मौजूद नहीं पाए गए, अर्थात् इस संगठन का कोई पता नहीं हैं।
3. राज्यवार पहचान: इन निष्क्रिय और अप्राप्य पार्टियों की पहचान विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से की गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह समस्या देशव्यापी है और किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है।
4. न्यायसंगत प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय: यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी वास्तविक और सक्रिय पार्टी के साथ अन्याय न हो, आयोग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) को निर्देश दिया है कि वे संबंधित पार्टियों को कारण बताओ नोटिस (शो-कॉज नोटिस) जारी करें। प्रत्येक पार्टी को अपना पक्ष रखने और सुनवाई में भाग लेने का पूरा अवसर दिया जाएगा। अंतिम निर्णय उनके उत्तर और प्रस्तुतियों के आधार पर ही लिया जाएगा।
5. इस कार्रवाई का उद्देश्य: इस पूरी प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य राजनीतिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत करना है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह अभियान केवल प्रारंभिक चरण है, और आने वाले महीनों में शेष RUPPs की भी गहन जांच की जाएगी।
महत्त्व:
· यह पहल राजनीतिक दलों के पंजीकरण के दुरुपयोग को रोकने में सहायक होगी, विशेषकर उन मामलों में जहां पंजीकरण का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग या कर चोरी जैसी गतिविधियों के लिए किया जाता है।
· इससे मतदाता सूचियों और चुनाव संबंधी रिकॉर्ड की शुद्धता और विश्वसनीयता बनाए रखने में मदद मिलेगी।
· यह सुनिश्चित करेगा कि केवल वे ही राजनीतिक दल सार्वजनिक संसाधनों, सुविधाओं और कानूनी लाभों का उपयोग कर सकें जो वास्तव में सक्रिय हैं और चुनावी प्रक्रिया में गंभीर भागीदारी रखते हैं।
निष्कर्ष:
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत जब कोई संगठन एक राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत होता है, तो उसे कुछ विशेष अधिकार और सुविधाएं प्राप्त होती हैं। हालांकि, इन अधिकारों के साथ-साथ पारदर्शिता, जवाबदेही और सक्रिय भागीदारी जैसी ज़िम्मेदारियाँ भी आवश्यक होती हैं। पिछले वर्षों में कई रिपोर्टों में यह सामने आया है कि कुछ पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (RUPPs) केवल संदेहास्पद वित्तीय लेनदेन के माध्यम बनकर रह गए थे, जिनका वास्तविक चुनावी राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था। चुनाव आयोग की यह कार्रवाई देश में एक साफ, निष्पक्ष और जिम्मेदार चुनावी प्रणाली के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इससे न केवल लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता का विश्वास सुदृढ़ होगा, बल्कि राजनीतिक प्रक्रिया भी अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बन सकेगी।