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Blog / 19 Apr 2025

ड्यूल-साइडेड सुपरहाइड्रोफोबिक लेज़र-इंड्यूस्ड ग्रेफीन (DSLIG)

संदर्भ:

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे के शोधकर्ताओं ने एक नया पदार्थ विकसित किया है, जिसे ड्यूल-साइडेड सुपरहाइड्रोफोबिक लेज़र-इंड्यूस्ड ग्रेफीन (DSLIG) कहा जाता है। यह पदार्थ जल विलवणीकरण (desalination) की प्रक्रिया की दक्षता बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो वैश्विक मीठे पानी की कमी की समस्या को हल करने में सहायक हो सकता है।

मीठे पानी की कमी और विलवणीकरण

हालांकि पृथ्वी पर लगभग 71% हिस्सा पानी से ढका हुआ है, लेकिन इसमें से केवल 3% ही मीठा पानी है, और इसमें से भी केवल 0.05% पानी ही मनुष्यों के लिए आसानी से उपलब्ध है। समुद्री जल से नमक हटाने की प्रक्रिया, जिसे विलवणीकरण कहा जाता है, जल संकट के समाधान के रूप में तेजी से उभर रही है।

• हालांकि, वर्तमान विलवणीकरण विधियों में कई चुनौतियाँ हैं, जैसे अधिक ऊर्जा की खपत, कम दक्षता, और नमकीन पानी (ब्राइन) के निपटान से जुड़ी पर्यावरणीय चिंताएं।

Dual-Sided Superhydrophobic Laser

परंपरागत विलवणीकरण विधियों की चुनौतियाँ:

सौर विलवणीकरण प्रणालियाँ, विशेष रूप से इंटरफेशियल इवैपोरेशन सिस्टम, पर्यावरण पर कम प्रभाव डालने के कारण ध्यान आकर्षित कर रही हैं। ये प्रणालियाँ सौर ऊर्जा को पानी की पतली परत पर केंद्रित करती हैं, जिससे ऊर्जा दक्षता बढ़ती है।

  • हालांकि, बादल वाले दिनों (Cloudy days) में सूर्य की रोशनी की असंगति और वाष्पीकरण सतहों पर नमक के जमाव जैसी समस्याओं ने इन प्रणालियों की कार्यक्षमता को प्रभावित किया है।
  • नमक के क्रिस्टल वाष्पीकरण सतहों पर जमा हो सकते हैं, जिससे समय के साथ दक्षता में कमी आती है। इसके अलावा, दिन के दौरान सूर्य की रोशनी में उतार-चढ़ाव होने के कारण विलवणीकरण प्रक्रिया प्रभावित होती है और वाष्पीकरण दर दोपहर 2 बजे के आसपास सबसे अधिक होती है, जब सूर्य की तीव्रता उच्चतम होती है।

ड्यूल-साइडेड सुपरहाइड्रोफोबिक लेज़र-इंड्यूस्ड ग्रेफीन (DSLIG) के बारे में:

DSLIG एक दो-स्तरीय संरचना से बना होता है: पॉलीविनाइलिडीन फ्लोराइड (PVDF) और पॉली(ईथर सल्फोन) (PES)

PVDF परत जलरोधी गुण प्रदान करती है, जबकि PES यांत्रिक स्थिरता सुनिश्चित करता है।

        DSLIG लेज़र एनग्रेविंग तकनीक का उपयोग करके सामग्री के प्रदर्शन को बेहतर बनाया गया है, जिससे यह सौर और विद्युत दोनों ही ताप विधियों के तहत प्रभावी ढंग से काम कर सकती है। यह सौर और विद्युत (जूल) ताप दोनों को जोड़ती है, जिससे सूरज की रोशनी में बदलाव के बावजूद लगातार प्रदर्शन सुनिश्चित होता है।

        यह ड्यूल हीटिंग प्रणाली वाष्पीकरणकर्ता को स्थिर तापमान बनाए रखने में मदद करती है, जिससे सूरज की रोशनी न होने पर भी विश्वसनीय विलवणीकरण संभव होता है।

        इसके अतिरिक्त, DSLIG में सुपरहाइड्रोफोबिक गुण होते हैं, जो सतह पर नमक को चिपकने से रोकते हैं, जिससे नमक का जमाव कम होता है और वाष्पीकरणकर्ता की दीर्घकालिक दक्षता बढ़ती है।

भविष्य की संभावनाएँ-
प्रयोगशाला परीक्षणों में DSLIG ने समुद्री जल, खारे पानी, और औद्योगिक अपशिष्ट जल के विलवणीकरण में प्रभावी परिणाम दिखाए हैं।
हालांकि, बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए और क्षेत्रीय परीक्षणों और वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। फिर भी, इसका कम कार्बन उत्सर्जन, लागत-कुशलता और उच्च सांद्रता वाले नमकीन घोल को संभालने की क्षमता इसे भविष्य में सतत विलवणीकरण और अपशिष्ट जल उपचार के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बना सकती है।

निष्कर्ष
DSLIG का विकास विलवणीकरण की दक्षता को बेहतर बनाने की दिशा में एक आशाजनक कदम है। यह पारंपरिक विधियों से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों को दूर करता है और अधिक सतत और विश्वसनीय विलवणीकरण प्रक्रियाओं की संभावनाएं प्रदान करता है, जो वैश्विक मीठे पानी की कमी को कम करने में सहायक हो सकती हैं।