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Blog / 18 Sep 2025

ड्रोन से तस्करी में वृद्धि

संदर्भ:

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत-पाकिस्तान सीमा (विशेषकर पंजाब में) ड्रोन के माध्यम से नशीले पदार्थों की तस्करी में तेज़ी से वृद्धि हो रही है। पाकिस्तान से भौगोलिक निकटता और पहले से सक्रिय तस्करी नेटवर्क के कारण यह क्षेत्र इस नई तस्करी पद्धति का प्रमुख केंद्र बन गया है।

मुख्य तथ्य:

·         ड्रोन से तस्करी में बढ़ोतरी: 2021 में जहाँ केवल 3 मामले सामने आए थे, वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 179 तक पहुँच गई।

·         हेरोइन और अफीम का सबसे अधिक प्रयोग: अधिकांश मामलों में हेरोइन और अफीम की तस्करी हुई। वर्ष 2024 में कुल 236 किलो नशीले पदार्थ बरामद किए गए।

·         पंजाब सबसे अधिक प्रभावित: 179 में से 163 मामले पंजाब में दर्ज हुए। अमृतसर, तरनतारन, फ़िरोज़पुर और गुरदासपुर जैसे सीमावर्ती ज़िलों में ड्रोन गतिविधियों और बरामदगी में तेज़ी से इज़ाफा हुआ।

·         कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती: ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल कर तस्कर पारंपरिक सुरक्षा व्यवस्था को आसानी से दरकिनार कर रहे हैं, जिससे नशे की खेप का पता लगाना और उन्हें रोकना और भी मुश्किल हो गया है।

एनसीबी के प्रयास:

·         2024 में 96,930 नशे से जुड़े मामले दर्ज किए गए।

·         1.22 लाख से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हुई, जिनमें 660 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं।

·         तकनीक, राडार और ड्रोन-पकड़ने वाली प्रणालियों का इस्तेमाल बढ़ाया गया।

·         NCORD पोर्टल के ज़रिए विभिन्न एजेंसियों में तालमेल बढ़ाया गया।

·         पंजाब जैसे राज्यों में विशेष एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स को मज़बूत किया गया।

एनसीबी डार्कनेट लेन-देन और क्रिप्टोकरेंसी के ज़रिए हो रही नशे की तस्करी पर भी नज़र रख रहा है। 2020 से 2024 के बीच ऐसे 96 मामले दर्ज किए गए।

भारत में नशीली दवाओं के खतरे के बारे में:

1.        वास्तविकताओं से पलायन : संयुक्त परिवार प्रणाली और नैतिक मूल्यों के पतन के कारण कई लोग नशे में सांत्वना ढूंढने लगे हैं।

2.      सामाजिक नियंत्रण में कमी : सामाजिक एकजुटता के कमजोर होने से व्यक्ति नशीली दवाओं के दुरुपयोग के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है।

3.      साथियों का दबाव : युवा, विशेषकर शैक्षणिक संस्थानों में, अक्सर साथियों द्वारा नशीली दवाओं के सेवन के लिए प्रभावित होते हैं।

4.     आसान उपलब्धता : 'गोल्डन क्रीसेंट' और 'गोल्डन ट्रायंगल' जैसे नशीली दवाओं के उत्पादक क्षेत्रों के निकट भारत का स्थान नशीली दवाओं की तस्करी को सुविधाजनक बनाता है।

5.      आर्थिक समृद्धि : पंजाब जैसे राज्यों में बढ़ती प्रयोज्य आय ने दवाओं को अधिक सुलभ बना दिया है।

भारत का कानूनी ढांचा:

·         भारतीय संविधान का अनुच्छेद 47: राज्य को यह निर्देश देता है कि वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नशीली दवाओं और मादक पदार्थों के सेवन पर रोक लगाए।

·         अंतरराष्ट्रीय अभिसमय: भारत कई अंतरराष्ट्रीय औषधि-नियंत्रण समझौतों का पक्षकार है, जैसे1961 का स्वापक औषधियों पर एकल अभिसमय (1972 में संशोधित), 1971 का मनःप्रभावी पदार्थों पर अभिसमय और 1988 का स्वापक औषधियों व मनःप्रभावी पदार्थों के अवैध व्यापार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र अभिसमय

·         मौजूदा कानून: प्रमुख कानूनों में स्वापक औषधि और मनःप्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 तथा औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 शामिल हैं।

·         प्रमुख संस्थान: नशीली दवाओं के दुरुपयोग से निपटने में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) अहम भूमिका निभाता है, जो स्वास्थ्य मंत्रालय और सामाजिक न्याय मंत्रालय के साथ मिलकर काम करता है।

·         तकनीकी पहल: एनसीओआरडी पोर्टल और मानस हेल्पलाइन के ज़रिए समन्वय, निगरानी और नशा मुक्ति के लिए सहायता उपलब्ध कराई जाती है।

निष्कर्ष:

भारत-पाकिस्तान सीमा पर ड्रोन के ज़रिए नशे की तस्करी एक बड़ी और बढ़ती हुई सुरक्षा चुनौती है। नशे की तस्करी, सामाजिक-आर्थिक कारणों और तस्करों की बदलती चालों का मेल इस समस्या को और गंभीर बना रहा है। भारत का कानूनी ढांचा और बहु-एजेंसी प्रयास ज़रूरी हैं, लेकिन नशे की जड़ पर प्रहार करने के लिए समाज को भी लगातार और सामूहिक प्रयास करने होंगे।