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Blog / 08 Dec 2025

डीआरडीओ की नई रॉकेट-स्लेड इजेक्शन टेस्ट प्रणाली

सन्दर्भ:

हाल ही में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने चंडीगढ़ स्थित टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लेबोरेटरी (TBRL) के रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड (RTRS) केंद्र में फाइटर विमान के इमरजेंसी एस्केप सिस्टम का उच्च गति वाला रॉकेट-स्लेड परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया।

रॉकेट-स्लेड इजेक्शन टेस्ट क्या है?

    • रॉकेट-स्लेड एक उच्च गति भूमि-आधारित परीक्षण प्रणाली है, जिसमें स्लेड को रेल पटरियों पर रॉकेट मोटरों द्वारा तेज गति से दौड़ाया जाता है। इसका उद्देश्य विमान की उड़ान के दौरान होने वाली वायुगतिकीय परिस्थितियों का वास्तविक अनुकरण करना होता है, ताकि इजेक्शन सीट जैसी सुरक्षा प्रणालियों का सुरक्षित परीक्षण किया जा सके।
    • DRDO ने इस परीक्षण को एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के सहयोग से सफलतापूर्वक पूरा किया। इसके अंतर्गत स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) के अग्र-भाग को कई ठोस प्रणोदक रॉकेट मोटरों की चरणबद्ध फायरिंग द्वारा लगभग 800 किमी/घंटा तक गति प्रदान की गई।
    • पहले भारत को ऐसी डायनेमिक इजेक्शन टेस्ट के लिए विदेशी परीक्षण सुविधाओं पर निर्भर रहना पड़ता था, जिससे लागत अधिक और समय में विलंब होता था। यह सुविधा भारत को उन सीमित देशों की श्रेणी में शामिल करती है जो आत्मनिर्भर रूप से उन्नत एयरोस्पेस सुरक्षा मूल्यांकन कर सकते हैं।
    • यह उपलब्धि पायलट सुरक्षा बढ़ाने, स्वदेशी रक्षा तकनीकों को सुदृढ़ करने तथा आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम को दर्शाती हैDRDO completes high-speed rocket-sled test of fighter ejection system at  800 km/h, watch video - The Economic Times

तकनीकी महत्व:

    • यह गतिशील परीक्षण विमान की उड़ान-स्थितियों  जैसे ऊँचाई में परिवर्तन, अत्यधिक (सुपरसोनिक) गति, उल्टी उड़ान तथा स्पिन को भूमि पर ही वास्तविक रूप में पुनः निर्मित करता है। आधुनिक इजेक्शन सीट में लगाए गए विस्फोटक कार्ट्रिज और रॉकेट मोटर मिलीसेकंड के भीतर पायलट को सुरक्षित रूप से विमान से बाहर निकालते हैं।
    • परीक्षण क्रम में पहले कैनोपी को हटाया जाता है, इसके तुरंत बाद इजेक्शन सीट बाहर निकलती है, हवा में स्थिर होती है और अंत में पैराशूट खुलता है। मानव-आकृति डमी में लगे सेंसर पायलट पर पड़ने वाले दबाव, झटकों और त्वरण से संबंधित महत्वपूर्ण आँकड़े दर्ज करते हैं, जबकि ग्राउंड और ऑनबोर्ड कैमरों द्वारा संपूर्ण प्रक्रिया का रिकॉर्ड तैयार किया जाता है, जिससे सुरक्षा प्रणाली का वैज्ञानिक और विश्वसनीय मूल्यांकन सुनिश्चित होता है।

भारत के लिए सामरिक महत्व:

    • यह परीक्षण भारत की वायु सुरक्षा और रक्षा तकनीक को कई स्तरों पर मजबूत करता है। इससे पायलट की सुरक्षा में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, क्योंकि यह उच्च गति और जटिल उड़ान स्थितियों में भी सुरक्षित इजेक्शन सुनिश्चित करता है।
    • इस क्षमता के साथ भारत की विदेशी परीक्षण प्रणालियों पर निर्भरता कम होगी, जिससे समय और लागत दोनों में 4–5 गुना तक बचत संभव है। यह प्रणाली भविष्य के लड़ाकू विमानों हेतु स्वदेशी इजेक्शन सीट और कैनोपी तंत्र में निरंतर सुधार तथा डिजाइन-अपग्रेड को सक्षम बनाती है।
    • यह उपलब्धि आत्मनिर्भर भारत के सामरिक और तकनीकी सशक्तिकरण का संकेत देती है तथा रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी नवाचार को गति प्रदान करती है।
    • उल्लेखनीय है कि RTRS सुविधा इससे पूर्व गगनयान मिशन के ड्रोग पैराशूट परीक्षण जैसे मानव सुरक्षा-केन्द्रित महत्वपूर्ण अभियानों में भी सफलतापूर्वक योगदान दे चुकी है।

निष्कर्ष:

डीआरडीओ (DRDO) का यह रॉकेट-स्लेड इजेक्शन परीक्षण भारत की वायु सेना की सुरक्षा अवसंरचना में एक महत्वपूर्ण विकास है। इससे पायलट की जीवन-रक्षा क्षमता बढ़ती है और भारत की एयरोस्पेस तकनीकी आत्मनिर्भरता को सुदृढ़ समर्थन मिलता है। यह उपलब्धि रक्षा नवाचार, परिचालन तत्परता और वैश्विक एयरोस्पेस प्रतिस्पर्धा में भारत की प्रगति को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।