संदर्भ:
हाल ही में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने देश में विकसित एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) का पहला सफल उड़ान परीक्षण ओडिशा के तट पर किया। यह परीक्षण भारत की वायु रक्षा क्षमताओं के स्वदेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण तकनीकी उपलब्धि है।
एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (आईएडीडब्ल्यूएस) क्या है?
एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) एक बहु-स्तरीय, लचीली एवं स्वदेश में विकसित वायु रक्षा प्रणाली है, जिसे ड्रोन, मानव रहित हवाई वाहन (UAV), लड़ाकू विमान एवं क्रूज़ मिसाइल जैसे विविध हवाई खतरों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने हेतु डिज़ाइन किया गया है।
इसमें तीन उन्नत घटक शामिल हैं:
• त्वरित प्रतिक्रिया सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (क्यूआरएसएएम)
• अति लघु दूरी वायु रक्षा प्रणाली (वीएसएचओआरएडीएस) मिसाइलें
• लेज़र-आधारित निर्देशित ऊर्जा हथियार (डीईडब्ल्यू)
इन हथियार प्रणालियों का प्रबंधन रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL), हैदराबाद द्वारा विकसित एक केंद्रीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र के माध्यम से किया जाता है।
IADWS के प्रमुख घटक:
1. त्वरित प्रतिक्रिया सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (QRSAM)
· विकासकर्ता: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)
· उद्देश्य: दुश्मन के हवाई हमलों से गतिशील बख्तरबंद संरचनाओं की रक्षा करना।
· मारक सीमा: 3 से 30 किलोमीटर
· मुख्य विशेषताएँ:
o 360 डिग्री निगरानी एवं लक्ष्य ट्रैकिंग क्षमता
o मोबाइल लॉन्चर और रडार प्रणाली
o "मूव-एंड-शूट" क्षमता
2. अति लघु दूरी वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS)
· विकासकर्ता: अनुसंधान केंद्र इमारत (RCI), हैदराबाद
· प्रकार: चौथी पीढ़ी की MANPAD (मानव-संचालित वायु रक्षा प्रणाली)
· मारक सीमा: 300 मीटर से 6 किलोमीटर
· लक्ष्य: UAVs, हेलीकॉप्टर, एवं कम ऊँचाई पर उड़ने वाले लड़ाकू विमान
· सेवाओं में उपयोग: थल सेना, नौसेना एवं वायु सेना द्वारा
3. निर्देशित ऊर्जा हथियार प्रणाली (DEW):
· विकासकर्ता: उच्च ऊर्जा प्रणाली एवं विज्ञान केंद्र (CHESS), हैदराबाद
· प्रणाली: लेज़र-आधारित DEW Mk-II(A), वाहन-आधारित प्लेटफ़ॉर्म
· प्रभावी रेंज: 3 किलोमीटर से कम
· हालिया प्रदर्शन:
o अप्रैल 2025 में UAVs और ड्रोन स्वार्म के विरुद्ध प्रत्यक्ष ऊर्जा लक्ष्यीकरण द्वारा सफल परीक्षण।
· रणनीतिक महत्त्व:
o भारत अब उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास परिचालन-योग्य निर्देशित ऊर्जा हथियार तकनीक उपलब्ध है।
रणनीतिक महत्व:
बहु-स्तरीय रक्षा कवच:
· यह प्रणाली अति लघु, लघु एवं बिंदु-रक्षा सीमाओं को प्रभावी रूप से कवर करती है।
· ड्रोन, क्रूज़ मिसाइलें और लड़ाकू विमानों जैसे विविध हवाई खतरों के विरुद्ध लचीली और त्वरित प्रतिक्रिया प्रदान करती है।
2. स्वदेशी क्षमता:
· IADWS को DRDO एवं इसकी संबद्ध रक्षा प्रयोगशालाओं द्वारा पूर्णतः भारत में विकसित किया गया है।
· यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के अनुरूप कार्य करते हुए विदेशी वायु रक्षा प्रणालियों पर निर्भरता को कम करता है।
3. राष्ट्रीय सुरक्षा का सुदृढ़ीकरण:
· यह प्रणाली महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों एवं सीमावर्ती अग्रिम चौकियों की रक्षा को और अधिक सशक्त बनाती है।
· मिशन सुदर्शन चक्र के तहत यह भारत के समग्र वायु रक्षा तंत्र की दिशा में एक बड़ा कदम है।
मिशन सुदर्शन चक्र के बारे में:
IADWS, मिशन सुदर्शन चक्र का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह प्रधानमंत्री द्वारा घोषित एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य एक पूर्णतः एकीकृत एवं बहु-स्तरीय वायु रक्षा प्रणाली की स्थापना करना है।
इसके अंतर्गत शामिल प्रमुख घटक:
- निगरानी प्रणाली
- साइबर सुरक्षा उपाय
- गतिज (kinetic) एवं गैर-गतिज (non-kinetic) वायु रक्षा तंत्र
इसका लक्ष्य देश की रणनीतिक परिसंपत्तियों एवं सीमावर्ती क्षेत्रों की रक्षा निम्नलिखित खतरों से करना है:
- लंबी दूरी की मिसाइलें
- ड्रोन एवं UAVs
- दुश्मन के लड़ाकू विमान
निष्कर्ष:
IADWS का सफल परीक्षण भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इसकी तैनाती से भारत की रणनीतिक परिसंपत्तियों की सुरक्षा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी तथा उभरते हवाई खतरों के प्रति त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित हो सकेगी। यह परीक्षण न केवल भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को दर्शाता है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा में आत्मनिर्भरता और रणनीतिक स्वायत्तता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी सुदृढ़ करता है।